बलिया(संजय कुमार तिवारी): यूपी के बलिया में एक तरफ जहा स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जारी किए जा कोरोना हेल्थ बुलेटिन में लगातर कोरोना संक्रमित मरीज़ो की गिनती बतायी जा रही तो वही दूसरी तरफ बलिया के मुक्तिधाम के समसान घाटों पर बिना गिनती वाले मृतको की शव को लगातर जलाई जा रही है और इसका फायदा उठा रहे है वो लोग जो आपदा को अवसर समझ रहे है। जी हां आज आप को दिखाएंगे, बताएंगे और सुनाएंगे भी कि किस प्रकार इस आपदा में मोटा मुनाफा कमाने के लिए अवसर ढूंढ रहे है। बलिया के चमन सिंह बाग रोड का नज़ारा न केवल हैरान कर देने वाला है बल्कि उनके लिए भी एक सबक है जो कोरोना को हल्के में ले रहे है। अस्पताल से लेकर मुक्तिधाम तक का ये सफर आप को सोचने पर मजबूर कर देंगा। क्योंकि कैमरा कभी झूठ नही बोलता। हिन्दू धर्म मे शवो को जलाने के लिए सबसे बड़ी जरूरत लकड़ियों की पड़ती है। गरीब हो या अमीर जिसने भी अपनो को खोया उसे मुक्ति धाम में मुक्ति दिलाने के लिए लकड़ियां चाहिए लेकिन बलिया के बाज़ार में न लकड़ियों को खरीदने वालों की कमी है, न ही लकड़ी का व्यापार कर रहे व्यापारियों को शर्म। जी हां, शव को जलाने के लिए जिन लकड़ियों का प्रयोग होता है उसके दाम मानो आसमान छू रहे हों ये हम नही बल्कि आप खुद उन व्यापारियों के मुह से सुने जो मनमाने दाम में आपदा को अवसर बना रहे है लकड़ियों की कीमत में आम दिनों के मुताबिक कोरोना के इस भयावह दौर के 3 सौ से 7 सौ रुपये कुंटल तक बेचा जा रहा है।जिन्हें अपनो को जला कर उनकी आत्मा को मुक्ति देने के लिए मजबूरी में ऊंचे दाम पर लकड़ियां खरीदने को मजबूर है, नही जलाया तो मरने वाले की मौत अधूरी है। शहर से कुछ मिल दूरी पर गंगा नदी किनारे जल रहे लकड़ियों के बीच रखे ये शव है जिनकी कोई गिनती नही।किसी का पिता, किसी की मां, किसी का भाई किसी का दोस्त और न जाने कितने रिश्ते इस कोरोना काल मे यमदूत के शिकार हो गए। आपको को बताते चले कि यहां मौजूद शव जलाने वाले एक व्यक्ति की माने तो लगभग 20 दिनों से, पहले के मुताबिक अधिक संख्या में लोग शव लेकर आ रहे है जिनकी संख्या प्रति दिन 30 से 70 के आस-पास तक जा पहुंचती है जिनके पास मंहगी लकड़ियों को खरीदने के पैसे नही रहते वो शव को नदी में प्रवाह करने को मजबूर है। तो आप स्वयं सोच सकते है कि हालात क्या है? बात यही नही खत्म होती मुक्ति धाम पहुंचे एक युवक ने अपने दोस्त जैसे रिश्तेदार को कैसे खोया उसे भी सुन कर आप हैरान हो जाएंगे क़ि बलिया में योगी सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था का कितना बुरा हाल है? पीड़ित युवक अन्य जनपद में एक स्वास्थ्यकर्मी है जिसने अपने रिश्तदार की सही उपचार न मिलने पर उसकी मौत होने की बात कही। बलिया के कोविड अस्पाल की पोल खोलने के साथ ही सरकार से अस्पतालों में अपनी नजर दौड़ा कर स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने का अपील भी किया।