फुलवारीशरीफ, अजीत यादव। राजधानी पटना में अपराधियों का तांडव थमने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले 24 घंटे में महज 10 किलोमीटर के दायरे में नौ लोगों पर पिस्तौल और चाकू से जानलेवा हमला किया गया है. इनमें दो की मौत हो चुकी है जबकि सात गंभीर रूप से घायल हैं. यह सब कुछ तब हो रहा है जब शहर की सड़कों पर आईजी, डीआईजी, एसएसपी से लेकर थाना अध्यक्ष तक भारी पुलिस बल के साथ वाहन जांच अभियान चला रहे हैं. बावजूद इसके अपराधियों का दुस्साहस लगातार बढ़ता जा रहा है।
फिलहाल पुलिस द्वारा चलाए जा रहे वाहन जांच अभियान में कुछ लोगों को ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन, छोटे-मोटे हथियार और शराब की बोतल के साथ पकड़ा गया है, लेकिन कोई बड़ा या संगठित अपराधी पुलिस के हाथ नहीं लगा है. वहीं दूसरी ओर अपराधी लगातार पटना के अलग-अलग इलाकों में खुलेआम गोलियां बरसा रहे हैं, लोगों की जान से खेल रहे हैं और कानून-व्यवस्था को खुली चुनौती दे रहे हैं।
रविवार को धनरूआ थाना क्षेत्र के सेवती गांव में जमीन विवाद के बीच अपराधियों ने बैठक कर रहे सब-इंस्पेक्टर मनोज कुमार, उनके बेटे सावन कुमार और भतीजे रोहित कुमार को गोलियों से छलनी कर दिया. उसी रात मालसलामी थाना क्षेत्र के छोटी नगला में चंदन कुमार, कुंदन कुमार और बलविंदर साह को चाकू से गोदकर जख्मी किया गया।
सबसे दर्दनाक हमला सोमवार सुबह आलमगंज थाना के न्यू अरफाबाद कॉलोनी में हुआ, जहां सेवानिवृत्त नर्स महालक्ष्मी, उनके पति धनंजय मेहता और बेटी सिंहाली कुमारी पर गोलियां बरसाई गईं. महालक्ष्मी और सिंहाली की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि धनंजय अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं।
अब बड़ा सवाल यह उठता है कि पुलिस की इतनी तैनाती और चेकिंग के बावजूद अपराधी बेखौफ कैसे घूम रहे हैं. क्या पुलिस की रणनीति केवल दिखावे की बन कर रह गई है? कब रुकेगा यह खून का खेल? पटना के लोगों को अब ठोस कार्रवाई की उम्मीद है, केवल प्रेस नोट और बयानबाज़ी से नही।