बिहार

घुटने में नसें और मांसपेशीयां फंसी थी, खड़ा भी नहीं हो पाते थे जफ़र

पटना, अजीत। सालों से जो मरीज घुटने में असहनीय है दर्द से था परेशान. खड़ा होने में भी होती थी परेशानी, ढाई घंटे के ऑपरेशन में पटना में मरीज के पैरों ने शुरू कर दिया कदमताल. जी हां मरीज को बिल्कुल अपने पैरों पर चलने फिरने लायक बनाया है पटना के डॉक्टर आशीष ने.

गुवाहाटी के रहने वाले हैं 38 साल के जफर हुसैन बताते हैं कि उन्होंने काफी डॉक्टरों से इलाज करवाया, अधिकतर डॉक्टरों ने उनसे कहा कि उनका पैर काटना पड़ेगा. अनूप इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स के डॉ. आशीष सिंह ने कहा वह सर्जरी के 24 घंटे बाद ही आप अपने पांव पर चलने लगेंगे तो उन्हें विश्वास नहीं हो पा रहा था की उनका पैर पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा. 6 महीने पहले एक दिन जफ़र के घुटने के जोड़ो में अचानक से काफी दर्द होने लगा, इस दर्द की वजह से वह अपना संतुलन खो बैठे और गिर गए, उन्होंने काफी कोशिश की वो खड़े हो लेकिन उनके पैर उनका सहयोग नहीं दे पा रहे थे। उन्होंने अपने दोस्तों से मदद ली और खुद को अस्पताल में भर्ती करवाया।

गुवाहाटी में इलाज के दौरान जफर को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा, डॉक्टर उनकी समस्या को समझ नहीं पा रहे थे और उन्हें बार-बार अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दे रहे थे ,जिसकी वजह से वह काफी परेशान हो गए। आखिर में उन्होंने अपने रिश्तेदार से सलाह ली और पटना आने का फैसला लिया।

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वह अनूप इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉक्टर आशीष सिंह से मिले, डॉ. आशीष सिंह ने सबसे पहले उनके घुटने को देखा और वह समझ गए कि शायद ये ट्यूमर का केस है। उन्होंने बिना देरी एक्स-रे और एमआरआई करवाई, जिसके नतीजे देखते हुए वह पूरी तरह से निश्चित हो गए कि जफर को ट्यूमर है। इतने बड़े ट्यूमर को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों ने सबसे बायोप्सी की, जिससे पता चला कि कैंसर नहीं, इसके बाद ऑपरेशन की तैयारी शुरू की गई। यह एक जटिल ऑपरेशन था क्योंकि मरीज का ट्यूमर काफी बड़ा था ,नस या मांसपेशियां एक दूसरे में फंसी थी, जिसे बहुत ध्यान से अलग करना था।

डॉक्टरों की टीम ने करीब 2.5 घंटे में इस जटिल ऑपरेशन को सफल बनाया।उन्हें बताया कि मरीज के ट्यूमर को देखते हुए ट्यूमर मेगा प्रोस्थेटिक्स ऑपरेशन किया गया। यह ऑपरेशन करीब ढाई घंटे तक चला। इस ऑपरेशन की सबसे बड़ी दिक्कत मरीज का 2.5 किलो का ट्यूमर था, जो बुरी तरह से फैल चुका था। अनूप इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक्स के ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ. आशीष ने बताया कि मरीज की हालत को देखकर समझ में आ गया था कि पैर काटने की जरूरत नहीं है, ऑपरेशन के बाद वह वापस चलने लगेंगे और वही हुआ। ऑपरेशन के 24 घंटे के अंदर ही यह अपने पैरों पर खड़े हो गए ।

इस ऑपरेशन को सफल बनाने में डॉक्टर आशीष सिंह ,डॉक्टर पुरूषोत्तम ,डॉक्टर कल्याण, डॉक्टर विवेक वर्मा, डॉक्टर आकाश ,डॉक्टर अनु नारायण का अहम योगदान रहा।

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