फुलवारीशरीफ(अजित यादव): फुलवारी शरीफ थाना के धरमपुर गांव निवासी रामबाबू चौहान के 14 साल के मजदूरी करने वाले बेटे रोहित कुमार को एक अपार्टमेंट के पास मछली मारने के लिए बिछाए गए नँगा तार की चपेट में आकर करंट लगने से मौत हो गयी। घटना के बाद परिजनों के चीत्कार और गांव में मचे कोहराम के बीच ही परिजनों को मुआवजा दिलाने को लेकर ग्रामीणों ने घंटो हो हंगामा किया। करीब साढ़े पांच घंटे बाद ग्रामीणों समाजसेवियों और पुलिस के काफी समझाने अपार्टमेंट मालीक द्वारा मुआवजा देने के आश्वासन पर लोग माने तब जाकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जा सका। गरीब परिवार के लड़के की करंट से मौत के बाद परीजनो का रो रो कर बुरा हाल होने लगा वहीँ ग्रामीणों में काफ़ी आक्रोश का माहौल है। घटना के बाद ग्रामीणों के आक्रोश को देख खगौल जानीपुर थाना पुलिस को भी बुलाना पड़ा.
वहीं घटना के बाद जब गांव परिवार के लोग दौड़े और तड़पता बालक को अस्पताल ले जाने के बजाए राख बेलन से बचाने में जुट गए। मृतक बालक रोहित भी पिता रामबाबू चौहान के साथ ही रेजा मजदूरी का काम करता था लेकिन आज वह काम करने नही गया। परिवार के लोग कई तरह की बाते करते रहे ।किसी ने कहा कि शौच करने गया था तो किसी नर कहा कि दवा लेने जा रहा था । उसी दौरान अपार्टमेंट के पास मछली मारने वालों को देखने लगा। गांव में रोहित की मौत की खबर मिलते ही लोग बड़ी संख्या में जमा होकर अपार्टमेंट के पास हो हंगामा करने लगे। इधर मामले की गंभीरता को देख फुलवारी खगौल जानीपुर थाना की पुलिस मौके पर पहुंची और काफी समझाने का प्रयास किया लेकिन कोई मानने को तैयार नही था। इसके बाद पुलिस ने स्थानीय जन प्रतिनिधियों और सामाजिक प्रबुद्धजनों को बुलाकर मामले में समझाने को कहा । ग्रामीणों में इस बात को लेकर गुस्सा था कि मछली मारने के लिए पानी गड्ढा से निकालने के लिए नँगा तार क्यों बिछाया गया। इसके अलावा बालक कुछ देर वहां खड़ा हॉकर देखने ही गया तो उसे धक्का क्यों और किसने दिया उसे पकड़ कर सामने लाया जाए। वही गरीब परिवार के लड़के की मौत के बाद सैंकड़ो ग्रामीणों ने मुआवजा की मांग को लेकर पांच घंटे से अधिक समय तक शव को उठाने नही दिया। ग्रामीणों के बिच सभी लोगो ने अपार्टमेंट्स मालिक सुमन से मुआवजा दिलाने का आश्वासन दिया तब दोपहर बाद लोग शांत हुए। रोहित के बाद परिजनों और गांव वालों को मलाल था की अपार्टमेंट वालो को रोहित को करंट लगने के बाद तत्काल अस्प्ताल ले जाना चाहिए था तो शायद उसकी जान बच जाती। वहीं परिवार वाले भी उसे अस्पताल नही ले जा पाए.