बिहार

पारस एचएमआरआई और ओआरईएफ ने किया एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

पटना, अजीत : पारस एमएमआरआई और आर्थोपेडिक रिसर्च एंड एजुकेशन फाउंडेशन (ओआरईएफ) के संयुक्त प्रयास से जोड़ों एवं लिगामेंट के ट्रीटमेंट संबंधित विषय पर पटना के होटल मौर्या में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस एक दिवसीय कार्यशाला के दौरान पारस एचएमआरआई की ऑर्थों एवं देश के कोने कोने से आये हड्डी रोग विशेषज्ञों ने जोड़ों एवं लिगामेंट से संबंधित विषय पर अपने-अपने व्याख्यान (लेक्चर) प्रस्तुत किए और इस क्षेत्र में हुए नवीनतम तकनीक एक दूसरे से साझा किए।
पारस एचएमआरआई के डायरेक्टर (आर्थोपेडिक) एवं औरगेनाइजिंग चेयरपर्सन डॉ. जॉन मुखोपाध्याय ने बताया कि उम्र बढ़ने के साथ घुटने में दर्द, सुजन एंव टेढ़ापन का आ जाना आम समस्या बनती जा रही है।

कई लोगों में अधिक मोटपा या दूरर्घटना भी ऐसे समस्या को जन्म देती है। ऐसे स्थिति में मरीज रेगुलर पेन कीलर खाते रहते है। और नजरअंदाज करते है। और वही एक भारी समस्या बन जाती है। ऐसे स्थिति में इसे हमें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और जितना जल्द हो अच्छे डाक्टर से सलाह लेना चाहिए। ऐसे समस्या का सफल ईलाज हाई टिबियल आस्टीयोटोमी द्वारा किया जा रहा है। जो 80-90 प्रतिशत सफल है। इसमें मरीज सर्जरी के दूसरे दिन से ही चलना फिरना शुरू कर देते है। दर्द की भी समस्या समाप्त हो जाती है।

पारस एचएमआरआई के चीफ कंसल्टेंट, अर्थोस्कोपिक सर्जन एवं औरगेजाइजिंग सेक्रेट्री डॉ० अरविंद प्रसाद गुप्ता ने बताया कि मूल रूप में लिगामेंट खिलाड़ियों का खेल के दौरान गिर जाने, चोटील हो जाने से टूटता है। इसके अलावे छोटे-मोटे एक्सडेंट, सीढ़ी से गिर जाने या घुटने के द्विस्ट होने से भी टुटता है। इसके मुख्य लक्षण घुटने में दर्द, सूजन और लचक आ जाना है। घुटने में कई लिगामेंट होते है। जिसमें प्रायः ए सी एल की इंजुरी ज्यादा देखी जाती है। इसका सफल एवं सरल ईलाज दूरबीन पद्धती से अपरेशन के द्वारा किया जाता है। सर्जरी के बाद खिलाडी वापस से खेल पाते है।

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डॉ० अरविंद प्रसादगुप्ता बताते है कि उन्होंने वर्ष 2013 से लिगामेंट की सर्जरी पारस एमएमआरआई में शुरू की। अब तक उन्होंने लगभग हजारों सर्जरी की है और अनेक खिलाड़ियों को नई जीवनदान दिया। कार्यशाल में दूसरे राज्यों से आये हड्डी रोग विशेषज्ञों ने जोड़ों के ट्रीटमेंट से जुड़े मामलों पर गहन चर्चा की तथा अपने अनुभवों को भी साझा किया।

इस कार्यशाला में डॉ. भूषण सबनीष ने एसीएल रिकंस्ट्रक्शन, डॉ. राणाजीत पाणीगराही एवं डा. सिद्धार्थ अगवाल ने पीसीएल रिकंस्ट्रक्शन, एवं अमित जोशी ने मेनिसकस से जुड़े मामले पर प्रकाश डालें।

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