अररिया, रंजीत ठाकुर : जिले में टीबी संबंधी मामलों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग द्वारा जरूरी पहल किये जा रहे हैं। ताकि टीबी संबंधी मामलों की समय पर पहचान सुनिश्चि करते हुए इसका समुचित इलाज संभव हो सके। इसी कड़ी में मंगलवार को फारबिसगंज टीबी यूनिट में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। टीबी उन्मूलन संबंधी प्रयासों की मजबूती के उद्देश्य से आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम की अध्यक्षता फारबिसगंज पीएचसी प्रभारी डॉ वसाक ने की।
इसमें जिला कार्यक्रम समन्यक दामोदर शर्मा ने कर्मियों को एक्टिव केस फाइंडिंग अभियान की बारीकियों से स्वास्थ्य कर्मियों को अवगत कराया। कार्यक्रम में फारबिसगंज पीएचसी के बीएचएम, बीसीएम, सहयोगी संस्था डेवलपिंग फेमिली यूथ के जिला प्रतिनिधि अपूर्व मिश्रा, मनोहर कुमार मौजूद थे। प्रशिक्षण कार्यक्रम में सभी सीएचओ, एएनएम व आशा को अभियान के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गयी। इस क्रम में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने स्वास्थ्य कर्मियों को संभावित मरीजों की खोज करते हुए उन्हें जरूरी इलाज के लिये प्रेरित व प्रोत्साहित किया।
संभावित मरीजों को इलाज के दायरे में लाना जरूरी
स्वास्थ्य कर्मियों को जरूरी प्रशिक्षण देते हुए जिला कार्यक्रम समन्वयक दामोदर शर्मा ने बताया टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर कार्यरत सीएचओ सहित एएनएम व आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने बताया कि एसीएफ अभियान का उद्देश्य संभावित मरीजों की खोज कर उन्हें इलाज के दायरे में लाना है। टीबी संबंधी मामलों को लेकर जोखिमग्रस्त क्षेत्रों में मरीजों की खोज व मैपिंग कर ससमय जांच सुनिश्चित कराने को लेकर उन्होंने कर्मियों को जरूरी जाानकारी दी। बताया गया कि वैसे परिवार जहां पहले टीबी के मरीज रह चुके हैं। उस परिवार के सभी सदस्यों का बलगम जांच अनिवार्य है। इससे बीमारी के दोबारा प्रसार को रोका जा सकता है। इसके अलावा प्रशिक्षण के दौरान सी-टीबी जांच के बारे में कर्मियों को विस्तार पूर्वक जानकारी दी गयी।
टीबी अब लाइलाज बीमारी नहीं
जिला यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मोईज ने बताया कि टीबी एक जानलेवा संक्रामक बीमारी है। लेकिन अब यह लाइलाज नहीं। समय पर पहचान व समुचित इलाज से टीबी की बीमारी पूरी तरह ठीक हो सकती है। अगर प्रारंभिक अवस्था में ही रोग की पहचान कर ली जाये व निर्धारित समय तक नियमित रूप से जरूरी दवाओं का सेवन किया जाये तो न सिर्फ मरीज पूर्णत: स्वस्थ हो सकता है। बल्कि समुदाय में टीबी संक्रमण के प्रसार को भी प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सकता है।