पूर्णिया(रंजीत ठाकुर): कालाजार मुक्त करने के लिए ज़िलें के विभिन्न प्रखंड क्षेत्रों के अतिप्रभावित गांवों के लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष रूप से अभियान चलाया जा रहा है। कालाजार के मरीज़ों की संख्या मात्र 14 रह गई हैं। जिसमें वीएल के 11 तो पीकेडीएल के 03 है। हालांकि इसकी जागरूकता के लिए स्वास्थ्य विभाग के द्वारा लगातार बैनर, पोस्टर के साथ ही प्रचार वाहन के माध्यम से गांव के हर गली व चौक चौराहों पर जिलेवासियों को जागरूक किया जाता है। जिस कारण कालाजार के मामलों में लगातार कमी आ रही है। सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा ने बताया कि पूर्णिया को कालाजार से मुक्त करने की दिशा में स्वास्थ्य कर्मियों के अलावा विभागीय अधिकारी भी लगे हुए हैं। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के अलावा केयर इंडिया व पीसीआई का सहयोग लिया जाएगा। इसके लिए झुग्गी झोपड़ी व महादलित बस्तियों में रहने वाले लोगों के घरों में एसपी का छिड़काव किया जा रहा है। इसके अलावा कालाजार से बचाव के लिए जागरूक भी किया जा रहा है। पूर्णिया पूर्व प्रखण्ड के रानीपतरा गांव स्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा, डीएमओ डॉ आरपी मंडल, पूर्णिया पूर्व पीएचसी के एमओआईसी डॉ शरद कुमार, भीडीसीओ रविनंदन कुमार सिंह एवं बीएचएम विभव कुमार के द्वारा संयुक्त रूप से कालाजार मुक्त अभियान का शुभारंभ किया गया।
कालाजार के मरीज़ों को प्रोत्साहन राशि के साथ ही किया जाता है जागरूक : डीएमओ
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आरपी मंडल ने बताया कि ज़िले के 12 प्रखंडों में सर्वे के बाद 88 अतिप्रभावित गांवों का चयन किया गया है। जिसमें लगभग 07 लाख, 11 हज़ार, 08 सौ 39 जनसंख्या वाले आक्रांत गांवों में 81 भ्रमणशील टीम के द्वारा सिंथेटिक पाइरोथाइराइड ( एसपी ) का छिड़काव 10 जून से 10 जुलाई तक किया जाएगा। प्रति कालाजार पीड़ित मरीज़ को 7100 रुपये की श्रम-क्षतिपूर्ति राशि भी दी जाती है। यह राशि भारत सरकार के द्वारा 500 एवं राज्य सरकार की ओर से कालाजार राहत अभियान के अंतर्गत मुख्यमंत्री प्रोत्साहन राशि के रूप में 6600 सौ रुपये दी जाती है। कालाजार से बचाव के लिए हमलोगों को गर्मी के दिनों में बहुत ज़्यादा सतर्कता बरतनी होगी। क्योंकि यह भी एक तरह से फैलने वाली संक्रामक जैसी बीमारी होती है। जो गर्मी के दिनों में बालू मक्खी के काटने से होती है। इसके लिए हमलोगों को अपने-अपने घरों में साफ सफ़ाई को लेकर विशेष ध्यान देने की जरूरत हैं।
पूर्णिया पूर्व प्रखंड के 06 गांवों में 10 टीम के द्वारा किया जाएगा एसपी का छिड़काव : एमओआईसी
पूर्णिया पूर्व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शरद कुमार ने बताया कि पूर्णिया पूर्व प्रखण्ड के 82 हज़ार, एक सौ 06 जनसंख्या को 10 भ्रमणशील टीम के द्वारा 08 गांवों में एसपी का छिड़काव करना है। क्योंकि कालाजार से बचने के लिए इससे बेहतर कोई भी विकल्प नहीं है। इसके साथ ही बचाव के लिए हम सभी को भी सतर्क रहना भी जरूरी होता है। अपने घरों या आसपास के बथान, दलान, मवेशियों के रहने वाला स्थान, नाला की सफाई सहित अन्य तरह के रहन-सहन में भी बदलाव करना अति आवश्यक है। प्रखण्ड स्तर पर वेक्टर बॉर्न डिजिज सुपरवाइजर, बेसिक हेल्थ इंस्पेक्टर, बेसिक हेल्थवर्कर, केयर इंडिया के प्रखंड समन्वयक, एएनएम व आशा कार्यकर्ताओं के साथ ही पंचायत जनप्रतिनिधियों का भी सहयोग लिया जाएगा।
लिशमेनिया डोनी नामक रोगाणु के कारण फ़ैलता है कालाजार : डीटीएल
कालाजार के लक्षण के संबंध में केयर इंडिया के डीटीएल ने बताया कि कालाजार रोग लिशमेनिया डोनी नामक रोगाणु के कारण होता है। जो बालू मक्खी के काटने से फैलता है। साथ ही यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी प्रवेश कर जाता है। दो सप्ताह से अधिक बुखार व अन्य विपरीत लक्षण शरीर में महसूस होने पर अविलंब जांच कराना अति आवश्क होता है। नमी एवं अंधरे वाले स्थान पर कालाजार की मक्खियां ज्यादा फैलती हैं। यदि किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से ज्यादा से बुखार हो, उसकी तिल्ली और जिगर बढ़ गया हो और उपचार से ठीक न हो तो उसे कालाजार हो सकता है। मुख्य रूप से पोस्ट कालाजार डरमल लिश्मैनियासिस (पीकेडीएल) एक त्वचा रोग है जो कालाजार के बाद होता है। वहीं दो सप्ताह से ज्यादा समय से बुखार हो, खून की कमी (एनीमिया) हो, जिगर और तिल्ल्ली का बढ़ना, भूख न लगना, कमजोरी तथा वजन में कमी होना भी इसके मुख्य लक्षण हैं। सूखी, पतली, परतदार त्वचा तथा बालों का झड़ना भी इसका कुछ लक्षण दिखाई पड़ता है। इसके उपचार में विलंब से हाथ, पैर और पेट की त्वचा काली होने की शिकायतें मिलती हैं।