बिहार

एनीमिया से बचाव व उपचार के प्रति समुदाय को जागरूक होना जरूरी

अररिया, रंजीत ठाकुर एनीमिया मुक्त भारत अभियान के तहत संबंधित विभागीय अधिकारियों को टूलकिट प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिला स्वास्थ्य समिति सभागार में आयोजित इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में स्वास्थ्य, आईसीडीएस, शिक्षा विभाग के अधिकारी भाग लेंगे। शिविर का उद्द्घाटन सिविल सर्जन डॉ केके कश्यप, कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डीआईओ डॉ मोईज, डीसीएम सौरव कुमार, यूनिसेफ के जिला पोषण समन्वयक आशुतोष कुमार, फिया फाउंडेशन के रूपेश कुमार, डीआरआर सोमेश कुमार सहित अन्य ने सामूहिक रूप से किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में संबंधित प्रखंड के बीआरपी, एलएस, बीआरपी, बीपीएम, बीसीएम सहित अन्य ने भाग लिया।

विभिन्न स्तरों पर नि:शुल्क उपलब्ध करायी जाती है दवा
प्रशिक्षण कार्यक्रम में डीसीएम सौरव कुमार ने बताया कि एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत 06 माह से 59 महीने के बच्चों को सप्ताह में दो बार आईएफए की एक मिलीलीटर दवा आंगनबाड़ी सेविका के माध्यम से खिलाई जाती है। 05 से 09 साल तक के बच्चों को हर सप्ताह आंगनबाड़ी व प्राथमिक विद्यालय के माध्यम से आईएफए की एक गुलाबी गोली खिलाई जाती है। आंगनबाड़ी केंद्र व प्राथमिक विद्यालयों में अनांमांकित बच्चों को आशा कर्मियों द्वारा चिह्नित कर गृह भ्रमण के दौरान दवा खिलाई जाती है। 10 से 19 साल तक के किशोर-किशोरियों को हर सप्ताह आईएफए की एक निली गोली दी जाती है।

इसी तरह 20 से 24 वर्ष आयु वर्ग के प्रजजन आयु वर्ग की महिलाओं को आईएफए की एक लाल गोली हर हफ्ते आरोग्य स्थल पर आशा के माध्यम से नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है। गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के चौथे महीने से प्रतिदिन खाने के लिये आईएफए की 180 गोली स्वास्थ्य विभाग द्वारा नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है। धात्री माताओं को भी प्रसव के बाद आईएएफए की 180 गोली प्रतिदिन सेवन के लिये नि:शुल्क उपलब्ध कराने का प्रावधान है।

Advertisements
Ad 2
Advertisements
Ad 1

बच्चे व महिलाओं को अधिक होता है एनीमिया का खतरा
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी सह कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ मोईज ने कहा कि एनीमिया एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है। खासकर बच्चे व महिलाओं को इसका खतरा अधिक रहता है। एनीमिया को जड़ से खत्म करने के लिये सामूहिक प्रयास जरूरी है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण का उद्देश्य संबंधित विभागीय कर्मियों को जरूरी तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराना है। ताकि प्रभावी तरीके से एनीमिया की पहचान हो सके व इसके रोकधाम व इलाज के लिये ससमय जरूरी कदम उठायें जा सकें।

एनीमिया के खतरों के प्रति होना होगा जागरूक
सिविल सर्जन डॉ केके कश्यप ने एनीमिया जैसे रोग से निपटने के लिये प्रशिक्षण को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि संबंधित कर्मियों को सही जानकारी उपलब्ध करा रोग नियंत्रण की दिशा में प्रभावी कदम उठा सकते हैं। उनहोंने कहा कि एनीमिया से बचाव व उपचार के लिये समुदाय को जागरूक करना बेहद जरूरी है। हमारी प्राथमिकता यह सुनिश्चित कराना है कि सभी लक्षित समूह विशेष कर गर्भवती व धात्री महिलाएं, बच्चे का समय पर जांच सुनिश्चित कराते हुए उन्हें जरूरी चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराना है।

Related posts

सनातन संस्कृति सद्भाव का देता है संदेश : नंद किशोर यादव

सर्दी का सितम रहेगा जारी, 27 को बारिश की संभावना!

पटना एम्स में पहली बार हुआ किडनी ट्रांसप्लांट सफल