बिहार

किडनी के गंभीर रोगियों के लिये वरदान साबित हो रहा है डायलिसिस सेंटर

अररिया(रंजीत ठाकुर): सदर अस्पताल में संचालित डायलिसिस सेंटर किडनी के गंभीर रोगियों के लिये वरदान साबित हो रहा है। जिले के सैकड़ों किडनी रोगियों को अब डायलिसिस के लिये किसी बड़े शहर का रूख नहीं करना पड़ता है। इससे उनका समय व खर्च दोनों की बचत होती है। सदर अस्पताल में डायलिसिस सेंटर का संचालन वर्ष 2020 से शुरू हुआ। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत अपोला डायलिसिस व बिहार सरकार के संयुक्त तत्वावधान में संचालित इस सेंटर के माध्यम से रविवार को छोड़ कर अन्य सभी दिन जरूरतमंदों के लिये डायलिसिस की सेवा उपलब्ध है। कोरोना महामारी के मुश्किल दौर में भी निरंतर सेंटर का संचालन होता रहा। जो किडनी रोगी मरीजों के लिये बेहद सुविधाजनक साबित हुआ।

पीएचएच कार्ड धारियों का होता है नि:शुल्क इलाज :

डायलिसिस सेंटर में तीन टेक्निशियन व एक नर्सिंग स्टॉफ कार्यरत हैं। टेक्निशियन शुभंकर माईती व सर्वजीत प्रजापति ने बताया कि सेंटर तीन सिफ्ट में रात 08 बजे तक संचालित किया जाता है। विशेषज्ञ किडनी चिकित्सकों द्वारा महीने में दो बार सेंटर का वीजिट किया जाता है। इतना ही नहीं डायलिसिस के लिये आने वाले मरीजों को कोई समस्या होने पर ऑन कॉल विशेषज्ञ चिकित्सकीय सेवा सेंटर के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है। एक दिन में अधिक से अधिक 15 मरीजों के डायलिसिस सेंटर के माध्यम से किया जाता है। जानकारी देते हुए सेंटर के टेक्निशियन शुभंकर माईती व सर्वजीत प्रजापति ने बताया कि सेंटर के माध्यम से पीएचएच राशन कार्डधारी मरीजों को नि:शुल्क डायलिसिस की सेवा उपलब्ध कराया जाता है। इसके अलावा अन्य मरीजों से 1745 रुपये का निर्धारित शुल्क लिये जाने की बात उन्होंने कही।

अब तक 3709 किडनी मरीजों का हुआ सफल डायलिसिस :

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सदर अस्पताल में डायलिसिस सेंटर का संचालन जुलाई 2020 से शुरू हुआ। बताया गया कि दिसंबर 2020 से अप्रैल 2022 तक सेंटर के माध्यम से कुल 2407 पीएचएच कार्ड धारियों का नि:शुल्क डायलिसिस किया गया है। इस दौरान 1302 अन्य रोगियों का भी सफल डायलिसिस सेंटर के माध्यम से संभव हो सका।

डायलिसिस सेंटर किडनी रोगियों के लिये सुविधाजनक :

सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने कहा कि अस्पताल में संचालित डायलिसिस सेंटर जिले में किडनी के गंभीर रोगियों के लिये बेहद सुविधाजनक है। प्राइवेट संस्थानों इसी सुविधा के लिये मरीजों को ज्यादा खर्च करने पड़ते हैं। उन्होंने बताया कि जब किसी व्यक्ति का दोनों किडनी ठीक से काम करना बंद कर देता है। तो कृत्रिम तरीके से किडनी का कार्य संपादित करने की प्रक्रिया को डायलिसिस कहा जाता है। उन्होंने बताया कि डायलिसिस एक प्रक्रिया है जो किडनी की खराबी के कारण शरीर में एकत्रित अपशिष्ट पदार्थों को कृत्रिम रूप से बाहर निकालता है।

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