बिहार

न्यायालय के आदेश को भी नहीं मानती बेउर जेल प्रशासन! 24 घंटा अंतिम संस्कार के लिए मिला था कोर्ट से पैरोल का समय, लेकिन…

फुलवारीशरीफ़, अजित। मनेर के पूर्व पत्रकार शिवनारायण यादव के माता चंपा देवी के देहांत होने से पत्रकार जगत में शोक की लहर दौड़ गई। पत्रकार शिवनारायण यादव इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मिडिया से जुड़े हुए थे एक हत्या के मामले में आरोपी बनाये जाने पर फिलहाल वह बीते वर्ष 2017 से आदर्श केंद्रीय कारा बेउर जेल में बंद है. व्यवहार न्यायालय दानापुर के आदेश पर पैरोल मिलने पर अपने माता के अंतिम संस्कार कर्म करने पहुंचे थे जहां पत्रकारों मित्रों राजनीतिक व विभिन्न क्षेत्र के लोगों ने उनसे मिलकर उन्हें इस दुख की घड़ी में सांत्वना दी. वही न्यायालय से पैरोल मिलने के बावजूद करीब 5 घंटे बेउर जेल से अंतिम संस्कार के लिए पत्रकार को बाहर निकलने में लग गया इसे लेकर सभी लोगों में नाराजगी का आलम था।

भाजपा के वरिष्ठ नेता निखिल आनंद ने अपने ट्विटर हैंडल पर ट्वीट किया है की कहा एक आरोपी पत्रकार को अपनी मां के दाह संस्कार में शामिल होने के लिए कोर्ट से मिले ऑर्डर पर घंटों इंतजार करवाया जा रहा है.बेऊर जेल के अधिकारियों की नजर में कोर्ट के आर्डर का कोई मतलब नहीं.

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बिहार के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, गृह सचिव कृपया संज्ञान लेकर दोषी पदाधिकारी पर कार्रवाई करें. बेऊर जेल सुपरिंटेंडेंट की विशेष अपेक्षा एवं उपेक्षा आधारित सक्रीयता के कारण विचाराधीन कैदी व पत्रकार रहे शिवनारायण भाई की माताजी का दाह संस्कार उनकी मृत्यु के 24 घंटे बाद हिंदू धर्मिक रीति- रिवाज के अनुसार, हिंदू धर्म की मान्यताओं के विपरित आधी रात को मनेर के हल्दी छपरा संगम घाट पर किसी तरह संपन्न कराया गया.शिवनारायण यादव अपने माता-पिता के इकलौते हैं. कोर्ट का आदेश 24 घंटे के पेरोल का था, फिर भी आधी रात को मुखाग्नि के बाद गंगा घाट से ही रात 2 बजे जेल वापस ले जाया गया. यह जेल मैनुअल की बाध्यता है या पुलिस को कैदी भागने का डर था. घर वालों का विशेष आग्रह था कि अगर देर शाम जेल से छोड़ा गया था तो दूसरे दिन कम से कम दोपहर तक भी रहने की अनुमति मिलती तो इकलौता बेटा दूधमुंही का धार्मिक क्रियाकर्म तो कर लेता.

बेऊर जेल में अंधेर नगरी चौपट राज है. सीएम नीतीश कुमार के सुशासन राज में बेऊर केंद्रीय कारा की व्यवस्था भ्रष्टाचार रहित एवं उत्तम बने, इसके लिए गृह सचिव एवं जेल आईजी को विशेष निगरानी एवं जांच करके सुनिश्चित करना चाहिए.साथ ही बेऊर जेल में बेहतर प्रशासन क्षमता वाले ईमानदार अधिकारियों की नियुक्ति सुनिश्चित की जानी चाहिए। बेउर कारा अधीक्षक विधु ने बताया कि बंदी पत्रकार को न्यायालय से पैरोल मिलने के कागजात तो जेल में पहुंच गया था लेकिन जिला प्रशासन के तरफ से मुहैया कराए जाने वाला गार्ड के आने में विलंब हो गया जिसके चलते देर से जेल से छोड़ा गया।

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