फुलवारीशरीफ(अजीत यादव): सर्वमंगला सांस्कृतिक मंच की ओर से साप्ताहिक रविवारीय नुक्कड़ नाटक श्रृंखला में महेश चौधरी द्वारा लिखित एवं निर्देशित नाटक “बहुत अनमोल है ये रिश्ते” की प्रस्तुति वाल्मी, फुलवारी शरीफ में की गई. नाटक की शुरुआत सौरभ राज के स्वरबद्ध गीत- रिश्ते निभाते थे… रूठते थे मनाते थे, पैसा चाहे कम था माथे पर ना गम था…. से हुई.
नाटक के माध्यम से यह दिखाया गया की पहले कितना अच्छा लगता था जब किसी रिश्ते के पौधे को लोग प्यार से देखते थे और बहुत सुंदर फूल खिलते थे. लेकिन आज ना जाने सब को क्या हो गया है. सभी अपना जीवन अलग ही जीना चाहते हैं, छोटी-छोटी बातें परिवार का विभाजन करवा देती है. माता-पिता के बाद सिर्फ भाई-बहन का रिश्ता सबसे करीब होता है और उस परिवार में टूटते हुए रिश्ते से सबसे ज्यादा दुख माता-पिता को होता है.
परिवार को बिखरता देख पिता व मां के दिल टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं. इस तरह की जिंदगी के रिश्ते से तंग होकर पिता अपने बेटे को अपनों से दूर होने के पहले रामायण में घटित श्री राम और रावण की वार्तालाप सुनाता है कि शायद यह सुनकर तुम लोगों को समझ आए कि एकता में कितनी ताकत है. परिवार का साथ रहना कितना जरूरी है. जब रावण मृत्यु शैय्या पर थे तो उन्होंने श्रीराम से एक महत्वपूर्ण बात कही थी कि मैं तुमसे हर चीज में बड़ा हूं उम्र में, ज्ञान में, बुद्धि में, बल में मेरा कुटुम्ब तुमसे ज्यादा बड़ा है.
मेरे पास सोने की लंका है मेरा राज तुमसे बड़ा है लेकिन फिर भी मैं हार गया. जानते हो मेरे हार का कारण क्या है? तुम्हारा भाई तुम्हारे साथ खड़ा था और मेरा भाई मेरे विरुद्ध , सिर्फ यही कारण है कि तुम जीत गए और मैं हार गया. परिवार, कुटुंब अगर साथ खड़ा होता है तो बड़ा से बड़ा दुख भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता क्योंकि अपने उनके साथ हैं.
ईश्वर ने हम सब को बहुत खूबसूरत रिश्ता दिया है चाहे वह भाई-बहन का हो, चाचा-चाची, मामा-मामी, मौसा-मौसी, बुआ-फूफा, साला-बहनोई या फिर मित्र के रिश्ते को छोटी-छोटी बातों से खराब मत कीजिए. अपना अहंकार त्याग कर स्वाभिमान के साथ ही अनमोल रिश्ते को मजबूती से निभाईये क्योंकि प्यार में बहुत शक्ति होती है यदि अलग भी हैं तो एक दूसरे के साथ हमेशा जुड़े रहिए.. बस ये 4 दिनों की जिंदगी के लिए.. फिर न जाने कब किस की मुलाकात आखिरी होगी. नाटक के कलाकार महेश चौधरी, सौरभ राज, अमन, नमन, करण, रोहित, सुशांत, रंजन और गोलू थे.