बिहार

शहीद अभिषेक कुमार सिंह की शहादत को भूल गई केन्द्र और राज्य सरकार

अररिया, रंजीत ठाकुर भरगामा प्रखंड क्षेत्र के शंकरपुर गांव के रहने वाले सीआरपीएफ के जवान अभिषेक कुमार सिंह की शहादत को केन्द्र और राज्य सरकार ने महज 16 सालों में हीं भूला दिया है। 20 अक्टूबर 2008 को छत्तीसगढ़ के थिंकीगुट्टा जंगल में नक्सलियों से बहादुरी से लड़ते हुए सीआरपीएफ जवान अभिषेक कुमार सिंह ने अपने लहू का एक-एक कतरा देश के लिए न्यौछावर कर दिया था। आतंकियों के कायराना हमले में सीआरपीएफ जवान अभिषेक कुमार सिंह शहीद हो गए और अपने पीछे एक भरा पूरा परिवार छोड़कर गए। अभिषेक को शहीद हुए करीब 16 साल बीत जाने के बाद स्थानीय संवाददाता ने पीड़ित परिवार का दर्द जाना तो समझ आया कि वाकई में एक शहीद परिवार के साथ घटना के वक्त समाज से लेकर सरकार तक खड़ी होती है,लेकिन बाद में वो परिवार बेसहारा हीं नजर आता है।

शहीद अभिषेक की मां विभा देवी से जब स्थानीय संवाददाता ने बातचीत किया तो उनके आंखों का आंसू थमने का नाम नहीं ले रहा था। अभिषेक की मां आज भी बार-बार अपने बेटे की फोटो को सीने से लगाकर आंसू बहाती है। वहीं छोटे भाई रौशन कुमार सिंह प्रशासन और सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार के द्वारा कई सारी घोषणाएं उनके अंतिम संस्कार के वक्त की गई थी,लेकिन अभी तक एक भी घोषणाएं पूरी नहीं हुई है। रौशन ने कहा कि शहीद अभिषेक के नाम पर अबतक एक प्रवेश द्वार तक नहीं बनाया गया है,लेकिन फिर भी हमारे परिवारों ने अभी तक हार नहीं मानी है। मेरे परिवार और सरस्वती समाजसेवा समिति के सहयोग से उनके याद में प्रत्येक वर्ष श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाता है। यूं कहें तो मेरे परिवारों को आज भी देशप्रेम है,लेकिन नेताओं से मोहभंग जरूर हो गया है।

Advertisements
Ad 2
Advertisements
Ad 1

वहीं शहीद अभिषेक के पिता चंद्रशेखर सिंह कहते हैं कि वे अपने बेटे की शहादत पर गर्व करते हैं। लेकिन उन्हें इस बात का मलाल है कि केन्द्र और राज्य सरकार ने शहीद अभिषेक कुमार सिंह को उचित सम्मान नहीं दिया जिसका वे हकदार थे। चंद्रशेखर सिंह ने स्थानीय संवाददाता से बातचीत के दौरान कहा कि उन्हें हर पल अभिषेक का याद आता है। लेकिन वे ये भी कहते हैं कि दशम पिता गुरु गोबिंद सिंह जी ने तो अपना पूरा वंश कौम पर न्यौछावर कर दिया था। मैंने तो सिर्फ एक सपूत कुर्बान किया है। श्री सिंह कहते हैं कि शहीद अभिषेक अपने घर के सदस्यों के लिए एक घर की छत के तरह था,लेकिन उनके जाने के बाद छत के धराशाई होने के साथ हीं घर भी टूट गया है। ये बात कहते-कहते उनकी आंखों से आंसुओं का सैलाब बहने लगा। सरकार की उपेक्षा से उनका दर्द बहुत ज्यादा गहरा दिखा। उन्होंने कहा कि मेरे बेटे की शहादत को केन्द्र और राज्य सरकार ने महज 16 सालों में हीं भूला दिया है।

उन्होंने कहा कि मेरे बेटे अभिषेक को गैलेन्ट्री एवार्ड मिलनी चाहिए थी,लेकिन अबतक नहीं मिली। शहीद अभिषेक को गैलेन्ट्री एवार्ड नहीं मिलने के कारण परिजन काफी निराश हैं। परिजनों के अनुसार गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय में सहमति नहीं होने के कारण अवॉर्ड तय नहीं हो पाया है। वहीं शंकरपुर गांव के लोग बताते हैं कि अभिषेक अपने ड्यूटी पर छत्तीसगढ़ में रहता था,लेकिन जब भी वह अपने गांव आता था तो गांव के युवाओं को एकजुट करके उन्हें नशे के सेवन से दूर रहने के लिए प्रेरित करता रहता था। अभिषेक हर युवाओं को कहता था कि हमेशा नशे से दूर रहो और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो। इसके साथ-साथ वह गांव के हर व्यक्ति के घर में जाकर उनसे मिलता था,उनका हालचाल जानकर हीं वापस अपने ड्यूटी पर लौटता था।

Related posts

सनातन संस्कृति सद्भाव का देता है संदेश : नंद किशोर यादव

सर्दी का सितम रहेगा जारी, 27 को बारिश की संभावना!

पटना एम्स में पहली बार हुआ किडनी ट्रांसप्लांट सफल