बिहार

सार्वजनिक दुर्गा मंदिर फुलकाहा में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ कलश स्थापित कर किया पूजा प्रारंभ

अररिया, रंजीत ठाकुर सार्वजनिक दुर्गा मंदिर फुलकाहा बाजार में गुरुवार को आचार्य कृष्णा कुमार झा के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ कलश स्थापित कर पूजा प्रारंभ किया गया। पूजा के दौरान मंदिर कमेटी के पदाधिकारी सहित दर्जनों सदस्य गण के अलावे क्षेत्र के सैकड़ो श्रद्धालु मौजूद रहे। आज प्रथम पूजा माता शैलपुत्री के रूप में बड़ी ही धूमधाम से प्रारंभ किया गया। पूजा को लेकर पंडाल, द्वार आदि साजसज्जा की तैयारी जोरों पर हो रही है। वहीं मंदिर के पुजारी मनोज झा एवं इस पूजा के सहायक केवल चंद बदलिया पूजा को सफल बनाने हेतु तन मन से लगे हुए हैं।

मां दुर्गा की विशेषताएं-

देवी दुर्गा तीनों लोकों में सर्व शक्तिमान है। ब्रह्मांड में मौजूद हर तरह की शक्ति इन्हीं की कृपा से प्राप्त होती है और अंत में इन्हीं में समाहित हो जाती है, इसीलिए मां दुर्गा को आदि शक्ति भी कहा जाता है। देवताओं ने भी जब राक्षसों के साथ युद्घ में स्वयं को कमजोर महसूस किया तब मां दुर्गा ने उनके शरणागत होने पर प्रचंड रूप धारण करके राक्षसों का संहार किया और देवताओं एवं धर्म की रक्षा की। इस जगत की पालनहार माता हीं है जिनकी कृपा से सबकुछ होता है, इसलिए इन को जगत जननी भी कहा जाता है, मां दुर्गा अपने भक्तों और धरती पर धर्म की रक्षा और अधर्म का नाश करने के लिए अनेक रूप में प्रकट हुई है। भक्तगण इनको अलग-अलग रूपों और अलग-अलग नामों से पूजते हैं। कोई शीतला माता, कोई काली माता,कोई मंगला माता तो कोई मां वैष्णवी के रूप में पूजता है। मां दुर्गा के अनेक रूप और नाम हैं,मां के इन्हीं अनेक रूपों और नामों में से एक मां वैष्णवी माता भी है। उक्त बातें सार्वजनिक दुर्गा मंदिर फुलकाहा के पुजारी मनोज झा ने कही। उन्होंने कहा कि अररिया जिले के नरपतगंज प्रखंड इलाके के नवाबगंज पंचायत में सार्वजनिक दुर्गा मंदिर फुलकाहा प्रसिद्द मंदिर है।

मंदिर का इतिहास-

इस सार्वजनिक दुर्गा मंदिर में लगभग 1938 ईस्वी से टीन के बने मंदिर में वर्ष 2017 तक मिट्टी के बने प्रतिमा स्थापित कर धूमधाम से पूजा की जाती थी।

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माता की कृपा से भव्य और विशाल कब और कैसे बना मंदिर-

वर्ष 2018 में माता वैष्णवी के कृपा से ग्रामीणों के सहयोग से विशाल मंदिर बन कर तैयार हो गया और 25 जून 2018 को मां वैष्णवी के संगमरमर का प्रतिमा धूमधाम से स्थापित कर प्रत्येक दिन सुबह-शाम माता का भोग लगाकर आरती किया जाता है। यह मंदिर धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व को दर्शाता है। यहां पारंपरिक तरीके से दुर्गा पूजा धूमधाम से मनाया जाता है। पूजा के दौरान महिषासूर की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाती है। मंदिर कमेटी और प्रशासन के सहयोग से भव्य मेले का भी आयोजन किया जाता है। मेले में हर साल कलश स्थापना पूजा से लेकर दशमी पूजा तक सांस्कृतिक कार्यक्रम का धूमधाम से आयोजन किया जाता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि माता का वैष्णवी स्वरूप भक्तजनों के हर एक मनोकामनाएं को पूर्ण करती है।

ग्रामीणों ने बताया कि नवरात्र के मौके पर आस-पास सहित दूर-दराज के भक्तों की भारी भीड़ जमा हो जाती है। यहां के हर एक गली और सड़क खचाखच भर जाती है। बताया जाता है कि यहां माता के मंदिर में आने वाले भक्तों खाली हाथ नहीं लौटते हैं। पुत्र,पौत्रादि, नौकरी, सुख, वैभव, दौलत,शौहरत सब मनोकामना पूर्ण होती है। असाध्य रोगी भी माता के दरबार में आने के बाद स्वस्थ हो जाता है। मनोकामनाएं पूर्ण होने पर श्रद्धालु मां दुर्गा के चरणों में सोने-चांदी आदि के जेवर चढ़ाते हैं। सभी चढ़ावे को एकत्रित कर दुर्गा पूजा में माता दुर्गा को पहनाया जाता है। दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालु भक्तों के समस्याओं को दूर करने हेतु स्थानीय ग्रामीण एवं सभी वर्गों के युवा संघ सतत व्यवस्था व देख-रेख में लगे रहते हैं।

सालों भर होते रहते हैं धार्मिक अनुष्ठान-

इस मंदिर में सालों भर कोई न कोई विशेष धार्मिक अनुष्ठान होते रहते हैं। पूजा के समय का नजारा यहां देखते हीं बनता है। इस मंदिर के पुजारी मनोज झा ने बताया कि माँ वैष्णवी मैया के दरबार की ऐसी मान्यता है कि मां के दरबार में यदि कोई भी भक्त सच्चे मन से उनकी पूजा-अर्चना करता है तो मां उसकी मनोकामनाएं को अवश्य पूरा करती है। वैसे तो प्रत्येक दिन मां के दर्शनों के लिए मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्र के दौरान यहां श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। वहीं इस वर्ष माता की पूजा अर्चना को लेकर मंदिर कमेटी के सदस्यों में श्यामदेव् यादव,शिवप्रसाद साहा, उमाप्रसाद साहा, महेश प्रसाद गुप्ता, गणेश प्रसाद गुप्ता, ब्रजकिशोर राम, मनोज यादव, राजा रक्षित, दिनेश साह, तारकेश्वर गुप्ता, मुन्ना ठाकुर, रंजीत ठाकुर, ललित झा, कौशल कुमार, मनीष रजक, रंजीत ठाकुर, खगेंद्र यादव, के अलावे अन्य सदस्य तन मन से लगे हुए हैं।

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