बिहार

साहब! तस्वीर कभी झूठ नहीं बोलती : तीन महीने में पेवर ब्लॉक सड़क ध्वस्त

अररिया, रंजीत ठाकुर  भरगामा प्रखंड में विभिन्न योजनाओं में जमकर लूट हो रही है। ना तो योजनाओं की मॉनिटरिंग बेहतर तरीके से की जाती है और ना हीं कभी स्थलीय सत्यापन किया जाता है। ऐसे दावे के साथ इसलिए यह बात कही जा रही है कि भरगामा प्रखंड इलाके से एक ऐसा मामला सामने आया है,जो प्रखंड प्रशासन और मॉनिटरिंग करने वाले कनीय अभियंता पर सवाल उठा रहा है। अभियंता की मॉनिटरिंग पर सवाल इसलिए भी है कि प्रखंड के सिरसिया कला पंचायत के वार्ड संख्या पांच स्थित मेन रोड से इंदु झा के घर तक बनी पेवर ब्लॉक सड़क पहली बरसात में हीं जमींदोज हो गई है। लोगों का कहना है कि आधिकारिक स्तर पर विधिसम्मत कार्रवाई की गई होती तो सरकारी राशि का सदुपयोग जमीनी स्तर पर जरूर दिखाई देता। बताया जाता है कि इंदु झा के घर से मेन रोड तक पेवर ब्लॉक सड़क का निर्माण बीते तीन महीने पूर्व किया गया,जो जगह-जगह टूटकर रोड धंस चुका है।

अभी तक इस सड़क को देखने वाला कोई नहीं है। स्थानीय निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता इंदु झा,मोहित झा,गजेंद्र सरदार आदि का कहना है कि सड़क निर्माण कार्य में प्राक्कलन की अनदेखी करते हुए अनियमितता की गई है। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि सड़क निर्माण में गुणवत्ता को ताक पर रखकर गुणवत्ता से परे सड़क बनाया गया जो बनने के तीन महीने बाद हीं टूटने लगा है। बताया गया कि किस योजनाएं से इस सड़क का निर्माण किया गया,कितने रूपये की लागत से इस सड़क का निर्माण किया गया इत्यादि की जानकारी मिलने वाले बोर्ड को कार्यस्थल पर अब तक नहीं लगाया गया। बताया गया कि सड़क निर्माण के समय में स्थानीय ग्रामीणों के रुपए से सड़क में मिट्टी डलवाया गया। जिसको लेकर ग्रामीणों में काफी आक्रोश है।

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इस संबंध में पूछे जाने पर स्थानीय मुखिया प्रतिनिधि राम कुमार साह ने बताया कि उक्त सड़क का निर्माण दो वर्ष पूर्व कराया गया है। अगर,पेवर ब्लॉक सड़क कहीं ध्वस्त हो गया है तो उसे मरम्मत करा दिया जाएगा। बताया कि कई बार बोर्ड लगाया गया लेकिन,असामाजिक लोग बोर्ड को उखाड़ कर फेंक देते हैं। मामले को लेकर बीडीओ शशि भूषण सुमन ने कहा कि सड़क टूटने की जानकारी मिली है। टूटे सड़क का निरीक्षण किया जायेगा। जांच में घटिया किस्म के सामग्री होने पर कार्रवाई की जायेगी।अब देखना यह है कि इस घटिया निर्माण में दोषी कौन? सरकारी कर्मी या फिर जन प्रतिनिधि? यह तो जांच का विषय है, पदाधिकारी करते हैं क्या? या कमीशनखोरी में मामले तब जाते है, ये तो जांच के बाद ही बताया जा सकता है।

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