बिहार

संक्रमण रोग नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग तैयार, स्वास्थ्य अधिकारियों को दिया गया एकदिवसीय प्रशिक्षण

कटिहार, (न्यूज़ क्राइम 24) बरसात के मौसम में हर क्षेत्र में पानी का जमाव होने लगता है। इससे संबंधित क्षेत्र में मच्छरों के प्रकोप बढ़ जाता है और लोग मच्छर जनित बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। जिसमे मुख्य रूप से लोग डेंगू, चिकनगुनिया के साथ साथ जेई और एईएस से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। डेंगू, चिकनगुनिया, जेई और एईएस से ग्रसित मरीजों की समय पर पहचान करते हुए उन्हें चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी प्रखंड स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ सदर अस्पताल सभागार में एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।

इसमें जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जे पी सिंह द्वारा उपस्थित सभी अधिकारियों को अस्पताल में डेंगू मरीजों को जांच करते हुए उन्हें तत्काल चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराने और लोगों को डेंगू और चिकनगुनिया से सुरक्षित रहने के लिए बरसात के मौसम में आसपास के जगह को स्वच्छ रखने के लिए जागरूक करने का निर्देश दिया। आयोजित कार्यक्रम में एसीएमओ डॉ कनक रंजन, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जे पी सिंह के साथ भीडीसीओ एन के मिश्रा और सभी प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, भीबीडीएस और अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। आयोजित प्रशिक्षण में एसीएमओ डॉ कनक रंजन ने कहा कि बरसात में समय में अस्पताल में डेंगू, चिकनगुनिया जैसे बीमारी से ग्रसित मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। इसलिए अस्पताल कर्मियों को इसके लिए तैयार रहने की जरूरत है। ऐसे मरीज मिलने पर उन्हें तत्काल इलाज उपलब्ध कराते हुए सुरक्षित करना सुनिश्चित करना है।

सभी अस्पतालों में प्रमुखता से करें डेंगू संभावित मरीजों की जांच :

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जे पी सिंह ने कहा कि बारिश के मौसम में अस्पताल में डेंगू से ग्रसित मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। इसके लिए सभी अस्पतालों में डेंगू वार्ड बना जाए जहां डेंगू से ग्रसित मरीजों को एडमिट करते हुए उन्हें इलाज सुविधा उपलब्ध हो सके। इसके लिए जिला सदर अस्पताल में डेंगू वार्ड बनाया गया है जहां डेंगू मरीजों की जांच और इलाज सुनिश्चित किया जाएगा। इसके साथ साथ प्रखड़ अस्पतालों में भी डेंगू मरीजों के लिए अलग से वार्ड बनाया जाएगा। डॉ सिंह ने बताया कि डेंगू के लक्षण दिखाई देने पर प्रखंड अस्पताल में मरीजों की एनएस-1 की जांच होती है। इसमें ज्यादा ग्रसित पाए जाने पर संबंधित मरीज की जिला में एलिजा टेस्ट कराई जाती है।

वहां चिन्हित होने पर मरीज को डेंगू ग्रसित मानते हुए उन्हें इलाज किया जाता है। डेंगू एवं चिकनगुनिया बुखार की स्थिति में सभी मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती है। समय पर पहचान और इलाज करवाने पर मरीज घर में ही आइसोलेटेड स्थिति में रह सकते हैं और आवश्यक उपचार करवाते हुए पूर्णतः स्वास्थ्य हो सकते हैं। डॉ सिंह ने बताया कि वर्ष 2023 में बरसात के मौसम में कटिहार जिले में 81 डेंगू ग्रसित मरीज पाए गए थे जिन्हें अस्पताल में इलाज करते हुए सुरक्षित किया गया था। इस साल ज्यादा लोग डेंगू का शिकार नहीं हो सकें इसके लिए लोगों को जागरूक करें ताकि लोग बरसात के मौसम में अपने आसपास के क्षेत्र को मच्छर जनित होने से रोक सके और विभिन्न बीमारी से सुरक्षित रहें।

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डेंगू मरीज चिन्हित होने पर संबंधित क्षेत्र में चलेगा फॉगिंग :

भीडीसीओ एन के मिश्रा ने बताया कि डेंगू मरीज की पहचान होने पर संबंधित क्षेत्र के आसपास के घरों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक सप्ताह के अंदर ही फॉगिंग कराया जाता है। इससे संबंधित क्षेत्र के डेंगू होने वाले मच्छर नष्ट हो जाते हैं और अन्य लोग डेंगू ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकते हैं। इसके अलावा क्षेत्र के लोगों को भी डेंगू की पहचान के लिए लक्षण की जानकारी देते हुए इलाज के लिए अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए जागरूक किया जाता है जिससे कि सभी लोग डेंगू या चिकनगुनिया जैसे बीमारी से सुरक्षित रह सकें। सभी स्वास्थ्य अधिकारियों को डेंगू ग्रसित मरीज पाए जाने पर तत्काल संबंधित क्षेत्र में फोगिंग करवाते हुए अन्य लोगों को डेंगू से सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक निर्देश दिया गया।

डेंगू या चिकनगुनिया के लक्षण :

-तेज बुखार, बदन, सर एवं जोड़ों में दर्द, आंखों के पीछे दर्द
-त्वचा पर लाल धब्बे/चिकत्ते का निशान
-नाक, मसूड़ों से या उल्टी के साथ रक्त स्राव का होना
-काला मल का होना

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