झारखण्ड

आवारा कुत्तों से परेशान हैं बंध्याकरण करने की उठने लगी मांग

धनबाद(न्यूज़ क्राइम 24): गोविंदपुर में 15 अगस्त को एक 7 वर्षीय बच्ची को कुत्तों के झुंड ने नोच कर मार डाला था. इस घटना की धनबाद में काफी प्रतिक्रिया हुई लेकिन कुत्तों का आतंक अभी भी जारी है. आप सचेत नहीं रहे तो सड़कों पर कुत्तों का झुंड कभी भी हमला बोल सकता है. डॉक्टरों की माने तो कुत्तों का भी प्रजनन काल है ,इस समय आवारा कुत्ते काफी आक्रामक हो जाते है. राह चलते लोगों को दौड़ते हैं काटते हैं ,धनबाद की सड़कों पर 24 घंटे आवारा कुत्तों का झुंड दिख जाएंगे. धनबाद नगर निगम कुत्तों अथवा आवारा पशुओं को सुरक्षित स्थान पर रखने या पहुंचाने की दिशा में बहुत कारगर नहीं हो रहा है.

खाना पर झपटते है , फिर राहगीरों को काटते हैं

धनबाद में सड़क के किनारे होटलों के सामने रात में तो विचित्र स्थिति उत्पन्न हो जाती है. होटलों से बचा खाना सड़क पर ही फेंक दिया जाता है, नतीजा होता है कि कुत्तों का झुंड वहां खाने को पहुंच जाता है और जिनको भोजन नहीं मिलता है, वह साथियों के साथ लड़ने भिड़ने के अलावा राहगीरों पर भी हमला बोल देते है. अक्सर ऐसी घटनाएं होती रहती है. उपलब्ध एक आंकड़े के मुताबिक धनबाद के SNMMCH में 3 महीने में 950 से भी अधिक लोग कुत्ता काटने की दवा लेने पहुंचे. इसके अलावे जो निजी तौर पर दवा लिए हैं, उनका आंकड़ा इसमें उपलब्ध नहीं है.

वाहन चालकों को भी करते है परेशान

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झुंड में चल रहे कुत्ते दोपहिया या चार पहिया वाहन के पीछे दौड़ने लगते हैं, कई मौकों पर तो वाहन चालक असंतुलित होकर दुर्घटनाग्रस्त भी हो जाते है. कुछ दिन पहले धनबाद नगर निगम ने आवारा कुत्तों के बंध्याकरण का अभियान शुरू किया था लेकिन श्रीमती मेनका गांधी का फ़ोन आने के बाद इसे बंद कर दिया गया था. लोगों ने मेनका गांधी को ट्वीट किया था कि कुत्तों के साथ धनबाद में अत्याचार हो रहा है. इसके बाद यह अभियान ठप पड़ गया. इधर फिर निगम में सुगबुगाहट हुई है. अब देखना है कि आगे क्या होता है.

क्या है बंध्याकरण का नियम

सड़क के कुत्तों का बंध्याकरण पशु निवारण एक्ट के तहत ही किया जाता है. उन्हें जहां से पकड़ना है ,बंध्याकरण के बाद वही छोड़ देना है. बंध्याकरण के बाद 72 घंटे तक उन्हें डॉक्टरों की देखरेख में रखना है. दवा के साथ खाना भी उपलब्ध कराना है तथा सभी कुत्तों को एंटी रेबीज इंजेक्शन लगाना है. बंध्याकरण किए गए कुत्तों की पहचान के लिए उनके कान पर कट का निशान लगाना अनिवार्य है और इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी करानी है.

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