ताजा खबरें

काल भैरव की कृपा प्राप्त होती है, जाने कैसे

मासिक कालाष्टमी आज राजेन्द्र गुप्ता, ज्योतिषी और हस्तरेखाविद के पूजा की विधि को जाने,हिंदू धर्म में कालाष्टमी तिथि को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन काल भैरव देव की पूजा की जाती है। काल भैरव को तंत्र और मंत्र के देवता के रूप में माना जाता है। उनकी पूजा से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और काल भैरव की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही विशेष कार्य में सफलता पाने के लिए कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है। कहते हैं कि इस दिन भोलेनाथ के काल भैरव स्वरूप की पूजा करने से जीवन की सारी परेशानियां दूर होंगी। और आपकी मनचाही इच्छा पूरी होंगी। इसके अलावा हर प्रकार के भय से भी मुक्ति मिलती है।

कालाष्टमी व्रत तिथि

हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ मंगलवार, 21 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट पर होगा और तिथि का समापन अगले दिन 22 जनवरी को दोपहर 3 बजकर 18 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, माघ माह की कालाष्टमी का व्रत 21 जनवरी को रखा जाएगा।

कालाष्टमी योग

Advertisements
Ad 1

माघ माह की कालाष्टमी के दिन द्विपुष्कर योग बन रहा है। शुभ इस योग में कोई भी कार्य करने से दुगने फलों की प्राप्ति होती है। कालाष्टमी के दिन द्विपुष्कर योग सुबह 07 बजकर 14 मिनट से दोपहर 12 बजकर 39 मिनट तक है। इस दौरान भगवान काल भैरव की पूजा करने से शुभ फलदायी होता है।

कालाष्टमी पूजा विधि

कालाष्टमी व्रत के दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने के लिए सुबह स्नान कर लें। पूजा स्थल का शुद्धिकरण करने के बाद व्रत का संकल्प लें. पूजा में काल भैरव की मूर्ति या चित्र पर काले वस्त्र अर्पित कर, फूल, बेलपत्र, काले तिल, धूप, दीप और कपूर से पूजा करें। इसके बाद भैरव चालीसा का पाठ और “ॐ कालभैरवाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। भगवान को मिष्ठान्न, पंचामृत और फल का भोग लगाकर आरती करें। राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद

Related posts

पटनासिटी : श्राद्ध कर्म में चली गोली, हलवाई की मौत

News Crime 24 Desk

पटना में ठंड से बच्चों के स्वास्थ्य पर असर, स्कूलों में समय सीमा तय

News Crime 24 Desk

जिला प्रशासन के आदेश कि धज्जियां, भारी वाहनों का बेरोकटोक़ आवाजाही है जारी!

News Crime 24 Desk
error: