बिहार की लोक गायिका के रूप में सबसे चर्चित असाधारण व्यक्तित्व ,सुरों की सरिता,छठ गीतों की गुंजो से मन को पवित्र.और छठ जैसे लोक आस्था के महापर्व पर सभी के दिलों पर राज करनेवाली हमारी शारदा सिन्हा आज हम लोगों के बीच से चली गई। उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुये मानवाधिकार संरक्षण संवाहक, मानवाधिकार टुडे के संपादक शशि भूषण कुमार ने कहा कि लोक गीतो की प्रामाणिक हस्ताक्षर थी शारदा सिन्हा। आज उनके जाने पर मानो लय,सुर और राग सभी रो रहे है।फुहरता और अश्लीलता के इस दौर में भी लोक संस्कृति को युवाओ तक पहुंचाया,ये जादू जैसा आकर्षण था इनकी गायिकी में।
हाल ही में शारदा दीदी के पति प्रो. बी के सिन्हा सर का भी देहांत हो गया था। उनके साथ हमारा पारिवारिक आत्मीय लगाव था। सबसे पहली वार जब मुलाकात हुई थी तो उस समय बी के सिन्हा सर जमशेदपुर महिला कॉलेज में और शारदा दीदी समस्तीपुर कॉलेज में कार्यरत थे।शारदा दीदी को उस समय पद्मश्री मिल चुका था। मैंने शारदा दीदी के साथ कई साक्षात्कार पत्र-पत्रिकाओं में दिया जैसे पॉलीवुड सिनेमा,मानवाधिकार टुडे…।
बी के सर ने अपने बेटा अंशुमान की शादी में भी कार्ड भेजा था। मैं और मेरे साथ दो और मित्र भी इनके लड़का के बहुभोज में शामिल हो उन्हें आशीर्वाद दिया था। दीदी को फिर भारत सरकार ने पद्मभूषण से भी सम्मानित किया था।कुछ दिन पहले बी के जी का देहांत हो गया। सभी सदमे थे। लेकिन कुछ दिन बाद ही क्या पता कि बी ,के जी के देहांत की पीड़ा में शारदा जी भी इस दुनिया को छोर कर चली जायेंगी..भागवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे!