बिहार

संभावित बाढ़ एवं जल-जमाव से निपटने हेतु तैयारियों की डीएम ने की समीक्षा

पटना(न्यूज क्राइम 24): जिलाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशंखर सिंह ने कहा है कि संभावित बाढ़ एवं जल-जमाव से निपटने हेतु जिला प्रशासन पूरी तरह तैयार है। आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार जिला स्तर पर सभी व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि बाढ़ आने की स्थिति में प्रभावितों के जान-माल की सुरक्षा एवं ससमय राहत पहुँचाना प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। एसओपी के अनुसार क्षेत्रीय पदाधिकारी यथा अंचलाधिकारी एवं थाना प्रभारी तथा अनुमंडल पदाधिकारी एवं अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी तुरंत रिस्पॉन्ड करेंगे।

डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि आपदा की स्थिति में सामान्य जन-जीवन प्रभावित न हो यह सुनिश्चित करने के लिए जिला प्रशासन सजग, तत्पर एवं प्रतिबद्ध है। उन्होंने सभी पदाधिकारियों को मिशन मोड में काम करने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि क्षेत्र भ्रमण के दौरान वे बाढ़ पूर्व तैयारियों एवं व्यवस्थाओं का जायजा लेंगे।

संभावित बाढ़ की स्थिति में प्रभावित परिवारों के बीच वितरण हेतु राहत सामग्रियों एवं अन्य सामग्रियों तथा नाव के दर का निर्धारण कर लिया गया है। पॉलीथिन शीट्स का दर निर्धारण भी पूर्व में ही कर लिया गया है। जिला में बाढ़ से निपटने हेतु 56 प्रकार की सभी आवश्यक दवा पर्याप्त संख्या में उपलब्ध है। पशु चिकित्सालयों में 42 प्रकार की दवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।

गौरतलब है कि पटना जिले में पालीगंज अनुमण्डल को छोड़कर शेष 05 अनुमण्डलों में कई क्षेत्र बाढ़ प्रवण है। बाढ़ प्रवण पंचायतों की संख्या 108 एवं बाढ़ प्रवण प्रखंडों की संख्या 20 है। आकलन के अनुसार लगभग 4,39,574 की आबादी सम्भाव्य बाढ़ की स्थिति में प्रभावित हो सकती है। डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि गंगा के दियारा क्षेत्रों में मनेर से मोकामा तक तथा मसौढ़ी एवं पटना सिटी में पुनपुन नदी तथा दरधा नदी के क्षेत्रों में बाढ़ आने की संभावना रहती है। अत्यधिक मॉनसूनी वर्षा की स्थिति में तथा गंगा, सोन एवं पुनपुन नदियों के जल-स्तर में एक साथ असामान्य वृद्धि से बाढ़ की स्थिति बन जाती है।

जब गंगा एवं पुनपुन दोनों नदी का जल स्तर अत्यधिक रहता है तो अतिवृष्टि की स्थिति में शहरी क्षेत्रों से नदियों के माध्यम से जल प्रवाह नहीं हो पाने पर जल-जमाव हो जाता है। ऐसी स्थिति वर्ष 2019 में आयी थी जब पटना शहर में जल-जमाव हो गया था। डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि इसकी पुनरावृति रोकने के लिए हम सबको सजग रहना होगा। उन्होंने कहा कि वरीय पदाधिकारियों की टीम द्वारा नौ प्रमुख नालों की जाँच करायी गई थी। अनुमंडल पदाधिकारी मॉनसून पूर्व सभी नालों की सम्पूर्ण सफाई की मॉनिटरिंग करें। नालों को अतिक्रमणमुक्त रखें सभी ड्रेनेज पंपिंग स्टेशन को तैयार रखना होगा। सम्प हाउस के इन्लेट-आउटलेट का लगातार अनुश्रवण करें। सभी डीपीएस पर पम्प कार्यरत रहना चाहिए। कोई भी यांत्रिक या विद्युत त्रुटि नहीं रहनी चाहिए। विद्युत आपूर्ति निर्वाध होनी चाहिए। डीजल पम्पसेट एवं मोबाईल पम्पसेट की समुचित व्यवस्था रखें।

डीएम डॉ. सिंह ने अपर जिला दंडाधिकारी विधि-व्यवस्था को नालों को अतिक्रमणमुक्त रखने के लिए नगर कार्यपालक पदाधिकारियों की देख-रेख में टीम की प्रतिनियुक्ति करने के लिए विस्तृत आदेश निकालने का निदेश दिया। उन्होंने सभी अनुमंडल पदाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने को कहा कि विभिन्न मार्गों पर कार्य कर रही क्रियान्वयन एजेंसियाँ समय से कार्य पूर्ण करें। सुरक्षात्मक मापदंडों का अनुपालन करें तथा सड़कों को मोटरेबुल रखें।

संभावित बाढ़, 2023 की पूर्व तैयारी से संबंधित विवरण निम्नवत हैः-

  1. वर्षामापक यंत्र/दैनिक वर्षापात प्रतिवेदन- वर्तमान में जिले में 26 वर्षामापी यंत्र कार्यरत है। इनसे प्रतिदिन 08ः30 बजे पूर्वाह्न वर्षापात के आँकड़ों को संग्रहित किया जाता है। जिला सांख्यिकी कार्यालय द्वारा समेकित दैनिक प्रतिवेदन 09.00 बजे पूर्वाह्न योजना एवं विकास विभाग, अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशालय के पोर्टल पर अपलोड किया जाता है। पोर्टल पर अपलोड प्रतिवेदन जिला आपदा प्रबंधन शाखा को उपलब्ध कराया जाता है। जिले के पंचायतों में कुल 322 स्वचालित वर्षामापी यंत्र (एआरजी) का अधिष्ठापन किया जा चुका है। एआरजी से पंचायतवार वर्षापात के आंकड़े इस मॉनसून से प्राप्त होना प्रारंभ हो जाएगा। साथ ही सभी प्रखंडों में स्वचालित मौसम केन्द्र की स्थापना की गई है जिससे वर्षापात के साथ-साथ तापमान, आर्द्रता, हवा की गति एवं दिशा संबंधी आंकड़े प्राप्त होते हैं। इन आंकड़ों को जिले के वेबसाईट पर WEATHER Dashbord से आम जनता भी देख सकती है। वर्षापात की स्थिति-वर्ष 2023 के माह जनवरी, फरवरी, मार्च तथा अप्रैल का सामान्य वर्षापात-45.20 एमएम, औसत वर्षापात-19.02 एमएम, विचलनः माइनस 57.92 प्रतिशत। डीएम डॉ. सिंह ने सभी प्रखंड विकास पदाधिकारियों को प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारियों के साथ वर्षा मापी यंत्रों का निरीक्षण करने का निदेश दिया।
  2. संभावित बाढ़ प्रभावित क्षेत्र एवं संकटग्रस्त व्यक्ति-समूहों की पहचान- वर्ष 2021 में पटना जिलान्तर्गत 13 प्रखण्डों के 96 पंचायतों में 3.54 लाख लोग (84,243 परिवार) बाढ़ से प्रभावित हुए थे एवं कुल वितरित राशि 50.5 करोड़ रूपया (84,243/6,000 प्रति परिवार) है। संभावित बाढ़, 2023 की पूर्व तैयारी के तहत आपदा पीड़ित परिवारों को पीएफएमएस के माध्यम से आनुग्रहिक राहत (जीआर) का भुगतान करने हेतु सभी अंचलों द्वारा आधार सत्यापन के पश्चात प्रावधानों के अनुसार कुल 1,78,491 परिवारों की सूची आपदा सम्पूर्ति पोर्टल पर अपलोड कर ली गई है।
  3. संसाधनों की उपलब्धता- परिचालन योग्य सरकारी नाव-10 (दस), 499 निजी नावों के साथ एकरारनामा की गयी है। संभावित बाढ़, 2023 की पूर्व तैयारी के तहत बाढ़ प्रभावित परिवारों के बीच वितरण हेतु राहत सामग्रियों एवं अन्य सामग्रियों तथा नाव का दर निर्धारण कर लिया गया है। पॉलीथिन शीट्स का दर निर्धारण विगत वर्ष ही दो वर्षों के लिए कर लिया गया है। जिला-स्तर पर उपलब्ध पॉलीथिन शीट्स की संख्या-34,266 (जिला मुख्यालय में 8,300, अनुमण्डल स्तर पर 7,500 तथा अंचल स्तर पर 18,466), टेन्ट-1,141, महाजाल-03, लाईफ जैकेट-480, इन्फ्लेटेबल लाईटनिंग सिस्टम-06, प्रशिक्षित गोताखोरों की संख्या-231, चिन्हित शरण स्थलों की संख्या-108, खोज बचाव एवं राहत दलों की संख्या-160
  4. नाव का निर्धारित दर – संभावित बाढ़, 2023 की पूर्व तैयारी के तहत नाव का दर निर्धारण कर लिया गया है। नाविक का दरः 474 रुपये प्रतिदिन। नाव परिचालन का दरः छोटी नाव-334 रुपया प्रतिदिन, मंझौली नाव-483 रुपया प्रतिदिन एवं बड़ी नाव-529 रुपया प्रतिदिन
  5. शरण स्थल- 108 शरण स्थलों को चिन्हित किया गया है। सामुदायिक रसोई के संचालन हेतु 108 स्थलों को चिन्हित किया गया है। वर्ष 2021 में 30 सामुदायिक रसोई केन्द्रों तथा 17 राहत केन्द्रों का संचालन किया गया था। वर्ष 2021 में सामुदायिक रसोई केन्द्रों एवं आपदा राहत केन्द्रों में भोजन करने वाले कुल व्यक्तियों की संख्या 4,17,063 थी। वर्ष 2023 में बाढ़ प्रभावितों के बीच वितरण हेतु ड्राय राशन पैकेट/फूड पैकेट की पैकेटिंग हेतु जगह चिन्हित कर लिया गया है तथा दर निर्धारण भी कर लिया गया है। दियारा क्षेत्रों में पशुओं के लिए प्लेटफॉर्म के निर्माण हेतु 23 स्थलों को चिन्हित किया गया है।
  6. एसडीआरएफ/एनडीआरएफ मोटरबोट की स्थिति- एसडीआरएफ की 01 कम्पनी 12 बोट, गायघाट, पटना सिटी में एवं एनडीआरएफ की 09 टीम बिहटा, 03 टीम दीदारगंज, 01 कम्पनी 06 बोट दीदारगंज बाजार समिति में पटना जिला हेतु सुरक्षित है। एसडीआरएफ गायघाट पटना सिटी को 02 (दो) फाईवर बोट एवं एनडीआरएफ बिहटा को 08 (आठ) इन्फलेटेबल बोट आपदा प्रबंधन शाखा, पटना द्वारा उपलब्ध कराया गया है। एसडीआरएफ के आवासन एवं रिस्पॉन्स टीम के प्रशिक्षण हेतु गंगा नदी से सटे पिलर संख्या 171 से 173 के सामने (गायघाट के नजदीक) सरकारी भूमि चिन्हित की गयी है। इस स्थल पर डिस्ट्रिक इमरजेंसी रिस्पॉन्स कम ट्रेनिंग सेंटर के निर्माण हेतु कार्रवाई की जा रही है।
  7. कोषांगों का गठन एवं जिला स्तरीय 24’7 नियंत्रण कक्ष की स्थापना- आपदा प्रबंधन हेतु 11 बाढ़ राहत कोषांग क्रियाशील है। ज़िला आपातकालीन संचालन केंद्र में जिला-स्तरीय नियंत्रण कक्ष स्थापित है जिसकी दूरभाष संख्या 0612 – 2210118 है।
  8. गोताखोरों का प्रशिक्षण – बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के निदेशानुसार 231 गोताखोरों को प्रशिक्षित किया गया है।
  9. राहत एवं बचाव दल का गठन – 160 दल गठित है।
  10. जल संसाधन विभाग अन्तर्गत तटबंधों की सुरक्षा -तटबंधों की कुल लम्बाई 156.562 कि.मी, स्लुईस गेटों की कुल संख्या 377 है। सोन बाढ़ सुरक्षा प्रमण्डल खगौल- सोन नदी अन्तर्गत 02 तटबंध (क) दीघा-मनेर-15.79 किलोमीटर, स्लूईस गेटों की संख्या-56 (ख) मनेर से सैदावाद- 26.89 किलोमीटर, स्लूईस गेट की संख्या-6, (ग) मनेर वितरणी का वांया तटबंध 5.18 किलोमीटर (घ) पटना मुख्य नहर का वांया तटबंध 18.8 किलोमीटर।

सभी तटबंध पूरी तरह सुरक्षित है।

गंगा सोन बाढ़ सुरक्षा प्रमण्डल दीघा- (क) पटना शहर सुरक्षा दीवाल 10.52 किलोमीटर, कुल स्लूईस गेटों की संख्या 12 है। (ख) गंगा सोन सोती दीवाल 9.11 किलोमीटर, स्लूईस गेटों की संख्या 86 (ग) देवना नाला एवं उत्तरी नाला का दीवाल 10.08 किलोमीटर (घ) दानापुर वितरणी तटबंध 6.16 किलोमीटर, स्लूईस गेटों की संख्या 13 (च) पटना मुख्य नहर के खगौल लॉक से दीघा लॉक तक वांया तटबंध स्लूईस गेटों की संख्या 9 है।

पुनपुन बाढ़ सुरक्षा प्रमण्डल, पटना सिटी- पुनपुन नदी अंतर्गत 02 तटबंध (क) पुनपुन वांया तटबंध-23.29 कि.मी., स्लुईस गेट की संख्या-46, (ख) पुनपुन दायां तटबंध -10.52 कि.मी., स्लुईस गेट की संख्या 10

पुनपुन बाढ़ सुरक्षा प्रमंडल अनिशाबाद – पुनपुन नदी अंतर्गत 02 तटबंध (क) पुनपुन वांया तटबंध 14.66 किलोमीटर, स्लुईस गेट की सं0-19 (ख) खजूरी तटबंध-5.762 कि.मी.

कटाव निरोधक कार्यों की विवरणीः- विभिन्न प्रखंडों के 14 स्थानों पर कटाव निरोधक कार्य किया गया जा रहा है। यथाः
बाढ़ नियंत्रण प्रमण्डल, बख्तियारपुर- बेलछी प्रखंड में मुहाने तथा बेलवाँ नदी एवं पण्डारक प्रखंड में मुहाने तथा बगदाही नदी पर कटाव निरोधक कार्य किया गया है।

पुनपुन बाढ़ सुरक्षा प्रमण्डल पटना सिटी – धनरूआ प्रखंड में धोवा तथा दरधा नदी; दनियावां प्रखंड में महत्माईन नदी एवं फतुहा प्रखंड में महत्माईन नदी पर कटाव निरोधक कार्य किया गया है।

पुनपुन बाढ़ सुरक्षा प्रमण्डल अनिसाबाद – पालीगंज प्रखंड में गंगहार नदी एवं दुल्हिन बाजार प्रखंड में पुनपुन नदी पर कटाव निरोधक कार्य किया गया है।

गंगा सोन बाढ़ सुरक्षा प्रमण्डल दीघा – दानापुर प्रखंड में गंगा नदी पर कटाव निरोधक कार्य किया गया है।

सोन बाढ़ सुरक्षा प्रमण्डल खगौल – मनेर प्रखंड में गंगा नदी पर कटाव निरोधक कार्य किया गया है।

  1. मानव दवा की व्यवस्था एवं मोबाईल मेडिकल टीम – (क) सिविल सर्जन की अध्यक्षता में कमिटी का गठन किया गया है तथा नियंत्रण कक्ष की स्थापना की गई है।

(ख) संभावित बाढ़ प्रभावित कमजोर नवजात शिशु को चिन्हित किया जा रहा है।

(ग) सरकारी तथा गैर सरकारी क्षेत्र के महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संस्थानों, ब्लड बैंकों की पहचान कर ली गई है।

(घ) असामान्य स्थिति से निपटने हेतु चलन्त मेडिकल टीम का गठन सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों द्वारा किया गया है।

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(च) आपदा के कारण हुई मौतों तथा डायरिया इत्यादि बीमारियों के फैलाव के अनुश्रवण हेतु आईडीएसपी कोषांग क्रियाशील है। एएनएम, आशा एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा बीमारियों के लक्षण एवं बचाव हेतु आम जनता को जागरूक किया जा रहा है।

(छ) प्रखण्डवार ब्लीचिंग पाउडर, हैलोजन टेबलेट एवं लाईम पाउडर उपलब्ध है।

(ज) मानव दवा की व्यवस्था एवं मोबाईल मेडिकल टीमः-जिला में बाढ़ से निपटने हेतु 56 प्रकार की सभी आवश्यक दवा पर्याप्त संख्या में उपलब्ध है। मोबाईल मेडिकल टीम क्रियाशील है। असैनिक शल्य चिकित्सक-सह- सिविल सर्जन, पटना से प्राप्त प्रतिवेदन के अनुसार जिला ड्रग स्टोर तथा स्वास्थ्य संस्थानों (प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, रेफरल अस्पताल एवं अनुमंडल अस्पतालों) में निम्नलिखित प्रकार की दवा उपलब्ध हैः-

ओआरएस-3,14,331

एंटि-रेविज वैक्सिन (एआरवी) वायल-35,096

सांप काटने की दवा (एएसवीएस) वायल-1,825

डेक्स्ट्रोज 10 प्रतिशत 500 एम.एल.-2,323

डीएनएस 500 एम.एल.-12,394

मैट्रोनाईडाजोल 400 एमजी टैबलेट-2,30,410

एनएस 500 एम.एल.-22,188

ऑण्डेन्सट्रॉन इन्जेक्शन-14,438

ऑण्डेन्सट्रॉन/डॉम्पेरिडोन-1,54,634

आरएल 500 एम.एल.-30,545

आईवी सेट (एडल्ट)-40,100

ब्लीचिंग पाउडर-650 बैग

लाईम पाउडर-352 बैग

हैलोजेन टैबलेट-1,32,523

  1. पशुचारा/चुन्नी-चोकर एवं पशुदवा की व्यवस्था -(क) जिला स्तरीय बाढ/सुखाड़ सहाय्य कोषांग का गठन कर लिया गया है जो 24 घंटे कार्यरत है। (ख) 22 बाढ़/सुखाड़ सहाय्य मुख्य केन्द्रों/ उपकेन्द्रों की स्थापना की गई है तथा इन पर चिकित्सकों/ कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति कर ली गई है। (ग) लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा 12 जगहों पर पशुपेय जल सुविधा निर्मित है। (घ) पशु चिकित्सालयों में 42 प्रकार की दवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। (च) जिला पशुपालन पदाधिकारी, पटना से प्राप्त प्रतिवेदन के अनुसार संभावित बाढ़/सुखाड़, 2023 हेतु पशुचारा एवं चोकर का दर निर्धारित कर लिया गया है।
  2. पॉलीथिन शीट्स/सतु/गुड़/चूड़ा की व्यवस्था- (क) पॉलीथिन शीट्स की आपूर्ति हेतु विगत वर्ष ही दो वर्षों के लिए दर निर्धारित कर लिया गया है। पटना जिला में पॉलीथिन शीट्स 34,266 उपलब्ध है। (ख) खाद्य एवं अन्य सामग्रियों का दर निर्धारित कर लिया गया है।
  3. नोडल पदाधिकारी/जिला स्तरीय टास्क फोर्स- पंचायत स्तरीय/प्रखण्ड स्तरीय नोडल पदाधिकारी/जोनल पदाधिकारी तथा सुपर जोनल पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ति की गई है। जिला स्तरीय टास्क फोर्स का भी गठन कर लिया गया है।
  4. आकस्मिक फसल योजना -जिला कृषि पदाधिकारी, पटना द्वारा आकस्मिक फसल योजना 2023-24 का सूत्रण किया गया है।
  5. शुद्ध पेयजल की व्यवस्था- कार्यपालक अभियंता लोक स्वास्थ्य प्रमण्डल, पटना पूर्वी के अन्तर्गत 11 प्रखण्ड एवं पश्चिमी अन्तर्गत 12 प्रखण्ड है। (क) चालू चापाकलों की संख्या-पूर्वी-16,051, पश्चिमी-15,120 कुल-31,171 (ख) कुल 26 चापाकल मरम्मती दल सभी प्रखंड़ों में कार्यरत है। चापाकलों की मरम्मती दिनांक 01.03.2023 से 12.05.2023 तक- पूर्वी-694, पश्चिमी-794 कुल-1488. चापाकल मरम्मती दल हेतु टॉल फ्री नं.- 18001231121, पूर्वी- 0612 – 2225796, पश्चिमी- 0612 – 2280879 (ग) जलस्तर अधिकतम 31’6’’ (दुल्हिनबाजार, पंचायत सेलहॉरी-बेलहॉरी) जलस्तर न्यूनतम 15’01’’ (पालीगंज, पंचायत-खनपुरा-तारणपुरा) जिला अन्तर्गत 35 फीट से अधिक जल-स्तर वाले पंचायत की संख्या- शून्य (वर्तमान में जिले में पेयजल संकट की स्थिति-नगण्य) कार्यरत टैंकर की संख्या-45, कार्यरत वाटर एटीएम की संख्या-04, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण प्रमण्डल, पटना पूर्वी एवं पटना पश्चिमी अन्तर्गत क्रमशः 643 वार्डों में से 639 वार्डों में तथा 498 वार्डों में से 498 वार्डों में हर-घर नल का जल योजना से जलापूर्ति की जा रही है।

पीएचईडी पटना पूर्वी अन्तर्गत एक अदद तथा पटना पश्चिमी अन्तर्गत 11 अदद पशु पेयजल सुविधा क्रियाशील है।

  1. पटना शहरी क्षेत्र के नालों की सफाई एवं सम्प हाउस की स्थिति- पटना जिलान्तर्गत 09 बड़े नालों यथा-सर्पेन्टाईन नाला, मंदिरी नाला, कुर्जी/राजीव नगर नाला, आनन्दपुरी नाला, बाकरगंज नाला, बाईपास नाला (एनसीसी क्षेत्र), बाईपास नाला (केबीसी क्षेत्र), योगीपुर नाला तथा सैदपुर नाला सहित समस्त मध्यम एवं छोटे खुले/बॉक्स नालों, मैन होल इत्यादि की उड़ाही का कार्य किया गया है। नालों की उड़ाही एवं सम्प हाउस की क्रियाशीलता का नियमित अनुश्रवण किया जाता है। डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि संभावित आसन्न आपदाओं का पूर्वानुमान, ससमय एवं शीघ्र चेतावनी और आम जनता के बीच उनका प्रभावी प्रचार-प्रसार सफल आपदा प्रबंधन के मुख्य घटक हैं। प्रबंधन के विभिन्न चरणों यथा आपदा का निवारण, कमी एवं आपदा के प्रति प्रत्युत्तर के लिए सम्पूर्ण तंत्र सक्रिय है। विदित हो कि डीएम डॉ. सिंह द्वारा संभावित बाढ़ एवं सुखाड़ से निपटने हेतु तैयारी की नियमित समीक्षा की जा रही है। उन्होंने तटबंधों की लगातार पेट्रोलिंग सुनिश्चित करने का निदेश दिया है। उन्होंने कहा है कि संवेदनशील स्थलों पर तटबधों का सुदृढीकरण एवं मरम्मति करें। संचार तंत्र एवं सूचना प्रणाली को सुदृढ़ रखें। शरण स्थलों पर मोबाइल मेडिकल टीम, शौचालय एवं पेयजल की समुचित व्यवस्था रहनी चाहिए। यहां मेडिकल कैंप, शिशु टीकाकरण, प्रसव, भोजन का उपस्कर, बच्चों हेतु विशेष भोजन, मच्छरदानी, सैनिटरी किट के लिए विशेष रूप से निर्मित योजनाओं का सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित करें। उन्होंने पुल-पुलियों एवं मुख्य सड़कों विशेषकर जिला मुख्यालय से प्रखंड को जोड़ने वाले लिंक रोड की नियमानुसार मरम्मती एवं संधारण कार्य पर विशेष ध्यान देने को कहा। डीएम डॉ. सिंह ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में संकटग्रस्त एवं भेद्य समुदायों का प्रशिक्षण कर क्षमता वर्धन कार्य पर विशेष ध्यान देने का निदेश दिया है। डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि सार्थक संचार तंत्र सफल आपदा प्रबंधन की रीढ़ है। उन्होंने सभी पदाधिकारियों को इसे सुदृढ़ एवं सक्रिय रखने का निर्देश दिया। आज की बैठक में उप विकास आयुक्त, पटना श्री तनय सुल्तानिया, अपर समाहर्ता आपदा प्रबंधन श्री संतोष कुमार झा, अधीक्षण अभियंता बाढ़ नियंत्रण, महाप्रबंधक पेसू, समादेष्टा एनडीआरएफ, टीम कमांडर एसडीआरएफ, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी अनुमंडलों के अनुमंडल पदाधिकारी, भूमि सुधार उप समाहर्ता, सभी प्रखंडों के अंचल अधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी एवं अन्य भी उपस्थित थे।

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