झारखण्ड

50,000 रूपये रिश्वत लेने आए और एसीबी के हत्थे चढ़ गए थाना के ये दरोगा!

धनबाद(न्यूज़ क्राइम24): गोविंदपुर एसीबी की टीम ने जाल बिछाकर पीएसआई मुनेश तिवारी को पकड़ा वह छठ की छुट्टी के बाद 24 नवंबर को गोविंदपुर थाना आए थे गुरुवार सुबह पूर्व पुलिस इंस्पेक्टर शिवपूजन बहेलिया से माल खाना का प्रभार ले रहे थे इस दौरान उनके मोबाइल पर फोन आया और उन्होंने बहेलिया से कहा कि थाना के बाहर एक व्यक्ति से मिलकर तुरंत आ रहे हैं वह थाना के सामने की दीनू चाय दुकान गए वहां एसीबी की टीम के समक्ष पांडे ने उन्हें रुपए दिए केमिकल युक्त रुपए लेने के बाद जब उनका हाथ धुलाए गया तो रंग लाल हो गया इसके बाद एसीबी ने उन्हें अपने हत्थे ले लिया इस घटना की खबर सुनकर गोविंदपुर थाने में पदस्थापित सभी पीएसआई दौड़े-दौड़े दीनू चाय दुकान पहुंचे और एसीबी के हाथ से मुनेश तिवारी को छुड़ाने की कोशिश करने लगे इस दौरान कई पीएसआई और एसीबी की टीम में हाथापाई भी हुई एसीबी की टीम में कम संख्या में लोग थे और गोविंदपुर थाना केपीएसआई उन पर भारी पड़ रहे थे जब एसीबी की टीम के अधिकारी ने सभी पीएसआई को हड़काया कि गिरफ्त में लिए गए मुनेश तिवारी को छुड़ाने की कोशिश करने पर सरकारी काम में बाधा डालने का मुकदमा होगा तब सभी पीएसआई पीछे हट गए इस बीच इंस्पेक्टर सुरेंद्र कुमार सिंह पहुंचे तब तक एसीबी की टीम तिवारी को लेकर निकल चुकी थी. गोविंदपुर थाना में प्रोबेशनर पुलिस इंस्पेक्टर मुनेश तिवारी वर्ष 2018 में गोविंदपुर थाना में पदस्थापित हुए थे वह पहले सिपाही थे झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा वर्ष 2017 में ली गई सीमित परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के बाद वह अवर निरीक्षक बने थे ट्रेनिंग के बाद प्रोबेशनर अधिकारी के रूप में उनकी गोविंदपुर थाना में पोस्टिंग की गई थी वह रांची के निवासी हैं. गोविंदपुर प्रोबेशन अवधि में रिश्वतखोरी में पीएसआई मुनेश तिवारी के एसीबी के हत्थे चढ़ने के बाद पूरे पुलिस महकमा में चर्चा का विषय बना हुआ है 2 वर्ष की प्रोबेशन अवधि किसी भी अधिकारी के लिए काम सीखने और जानने की अवधि होती है और इसी दौरान रिश्वतखोरी में पकड़ा जाना आश्चर्यजनक है जानकारों का कहना है कि अधिकांश पीएसआई में सीखने की प्रवृत्ति है ही नहीं भया दोहन कर येन केन प्रकारेण रुपए कमाना प्रोबेशनर अधिकारियों की भी प्रवृत्ति बनती जा रही है वर्ष 1994 बैच के एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि उन लोगों के समय ऐसी स्थिति नहीं थी 1994 में जब वे प्रोबेशन अवधि में थे तब अपने से वरीय अधिकारियों से काम सीखते थे उस दौर में पैसा कमाने के लिए इस तरह की हाय तौबा नहीं थी जो आज के प्रोबेशनर अधिकारियों में है कहा जाता है कि गोविंदपुर थाना के अधिकांश पीएसआई में रुपया कमाने की होड़ मची हुई है और जनता का दोहन करने से भी बाज नहीं आते पीएसआई तिवारी का एसीबी के हत्थे चढ़ना इस बात को प्रमाणित करता है कि अधिकांश पीएसआई लूट खसोट में लगे हुए हैं. पुलिस इंस्पेक्टर सुरेंद्र कुमार सिंह भले ही यह तर्क देते हैं कि इतने अधिकारियों में कौन किससे क्या डील कर रहा है कौन जानेगा, परंतु इस घटना से गोविंदपुर थाना की छवि कलंकित हुई है गोविंदपुर थाना से पहली बार एसीबी ने किसी प्रोफेसर दरोगा को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा है तिवारी उक्त रिश्वत केवल अपने लिए वसूल रहा था या वसूली कर अन्य किसी को देता यह जांच का विषय है. गोविंदपुर थाना के अधिकांश पीएसआई कोयला लोहा बालू मछली एवं बिचाली लदी गाड़ियों से वसूली में व्यस्त रहते हैं. पुलिस लाइन से कमान पर गोविंदपुर थाना आकर एक सिपाही ने 2 माह तक बालू गाड़ियों से रात रात भर वसूली की. वरीय अधिकारियों तक यह मामला जाने के बाद उक्त सिपाही कमान लेकर फिर पुलिस लाइन चला गया. वह पहले बैंक मोड में पदस्थापित था.

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