अररिया, रंजीत ठाकुर : विश्व मलेरिया दिवस के मौके पर जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में जागरूकता संबंधी गतविधियों का आयोजन किया गया. स्वास्थ्य कर्मियों को संभावित मरीजों को चिह्नित करने व उनके इलाज संबंधी इंतजामों के प्रति जरूरी जानकारी दी गयी। वहीं स्कूलों में चौक-चौराहों पर स्वास्थ्य कर्मियों ने जागरुकता रैली निकाल कर लोगों को मलेरिया के खतरों के प्रति जागरूक किया। बताया गया कि जब संक्रमित मादा एनोलिज मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है। तो वह अपने लार के साथ उसके रक्त में मलेरिया परजीवियों को पहुंचा देता है। संक्रमित मच्छर के काटने के 10-12 दिनों के बाद उस व्यक्ति में मलेरिया रोग के लक्षण दिखने लगते हैं। हर साल जागरूकता के अभाव में हजारों लोग मलेरिया रोग से पीड़ित होकर अपनी सेहत, समय व धन का गंभीर नुकसान झेलते हैं। रोग पीड़ित मरीज स्थानीय स्तर पर इलाज से थोड़ी राहत महसूस करने के बाद इसके प्रति लापरवाह हो जाते हैं। जिसका उनकी सेहत पर दूरगामी प्रभाव संभव है।
सभी स्वास्थ्य संस्थानों में निः शुल्क जांच व उपचार का है इंतजाम
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ अजय कुमार सिंह ने बताया कि ठंड लगना, कंपकपी, सिर दर्द, उल्टी व चक्कर आना, तेज बुखार, अत्यधिक पसीने के साथ बुखार का कम होना, थोड़े अंतराल पर बुखार का फिर वापस आना रोग ले सामान्य लक्षणों में शुमार है। उन्होंने कहा कि इस तरह की शिकायत होने पर मरीज को तत्काल नजदीकी अस्पताल जाकर अपना स्वास्थ्य जांच कराना चाहिये. मलेरिया की जांच व समुचित इलाज का इंतजाम जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है..
जागरूकता से रोग पर प्रभावी नियंत्रण संभव
सिविल सर्जन डॉ केके कश्यप ने कहा कि मलेरिया की रोकथाम व इससे बचाव के प्रति लोगों को जागरूक होना होगा. जागरूकता के दम पर ही मलेरिया के खीलाफ निर्णायक जीत हासिल की जा सकती है। मलेरिया से बचाव के लिये अपने आसपास पानी को जमा ना होने दें, जमे हुए पानी में नियमित अंतराल पर कीटनाशक, जला हुआ मोबिल, किरासन तेल डालते रहें। ताकि मच्छर प्रजनन नहीं कर सके। पानी की टंकी को ढक कर रखें। फ्रिज, कूलर व अन्य बर्तनों का पानी सप्ताह में एक दिन अवश्य सुखा लें। घरों के अंदर कीटनाशक का छिड़काव करें व सोते समय मच्छरदानी के प्रयोग की सलाह उन्होंने लोगों को दी।