बिहार

कालाजार रोधी दवा के छिड़काव को लेकर कर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण

अररिया, रंजीत ठाकुर।  जिले में कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के तहत प्रथम चरण के छिड़काव अभियान की सफलता को लेकर जरूरी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसी कड़ी मे छिड़काव कर्मियों का दो दिवसीय प्रशिक्षण शनिवार से शुरू हुआ। जिले के सिकटी प्रखंड को छोड़ कर शेष सभी प्रखंडों में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में कर्मियों को छिड़काव से संबंधित जरूरी प्रशिक्षण दिया गया। 60 दिवसीय छिड़काव अभियान के क्रम में जिले के 08 प्रखंड के कुल 43 पंचायत अंतर्गत 54 गांवों में छिड़काव कर्मी लोगों के घर-घर जाकर सिंथेटिक पैराथइराइड दवा का छिड़काव करेंगें। विभागीय रिपोर्ट के मुताबिक तकरीबन 01 लाख 04 हजार 499 घरों में कालाजार रोधी दवा का छिड़काव किया जायेगा। इससे तकरीबन 05 लाख से अधिक की आबादी लाभान्वित होगा।

निर्धारित मापदंड के अनुरूप चिन्हित गांवों मे होगा छिड़काव
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ अजय कुमार सिंह ने बताया कि सिकटी प्रखंड को छोड़ कर शेष आठ प्रखंड के चिह्नित गांवों में इस बार छिड़काव किया जाना है। सिकटी में बीते चार साल से कालाजार का एक भी मामला सामने नहीं आने की जानकारी उन्होंने दी। प्रभावित गांवों में निर्धारित मापदंड के अनुरूप छिड़काव संपन्न कराया जाना है। इसे लेकर कर्मियों को खासतौर पर प्रशिक्षित किया जा रहा है।

अभियान के क्रम में प्रभावित गावों मे सिंथेटिक

पैराथायराइड दवा का छिड़काव किया जाना है. उन्होंने अभियान को सफल बनाने में आम लोगों से समुचित सहयोग की अपील की। संबंधित गांवों के लोगों को छिड़काव से पूर्व इसकी सूचना दी जायेगी. संबंधित क्षेत्र की आशा व एएनएम छिड़काव से पूर्व इसकी सूचना लोगों को देंगें। इसके अलावा विभिन्न प्रचार माध्यम से भी लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जायेगा। अभियान के अनुश्रवण को लेकर जिला व प्रखंड स्तरीय स्वास्थ्य अधिकारियों की टीम गठित की जायेगी। ताकि अभियान कि सफलता सुनिश्चित कराया जा सके।

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सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर है जांच व उपचार का इंतजाम

सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने बताया कि कालाजार बीमारी बालू मक्खी के काटने से होने वाला रोग है। सिंथेटिक पैराथइराइड दवा के छिड़काव का मुख्य उद्देश्य बालू मक्खी को नष्ट करना है। जो नमी, अंधरे, मिट्टी के दीवार कि दरारों, चूहे के बिलों में अधिक रहती है. उन्होंने कहा कि दो सप्ताह से अधिक बुखार, पेट के आकार का बढ़ना, भूख नहीं लगना, खून कि कमी, प्लीहा का बढ़ना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। ऐसी शिकायत होने पर तत्काल जांच करना चाहिये. वहीं पीकेडील यानी पोस्ट कालाजार डरमल लिश्मैनियासिस एक त्वचा रोग है जो कालाजार के बाद होता है. इसके उपचार में विलंब से हाथ, पैर और पेट की त्वचा काली होने की शिकायतें मिलती हैं। जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में कालाजार के जांच व इलाज कि सुविधा उपलब्ध है।

छिड़काव के दौरान इन बातों का रखें ख्याल :

  • छिड़काव के पूर्व घर की अन्दरूनी दीवार की छेद/दरार बंद कर दें
  • घर के सभी कमरों, रसोई घर, पूजा घर, बथान एवं गोहाल आदि के अंदरूनी दीवारों पर छह फीट तक छिड़काव अवश्य कराएं।
  • छिड़काव के पूर्व भोजन सामग्री, बर्तन, कपड़े आदि को घर से बाहर कर दें
  • ढाई से तीन माह तक दीवारों पर लिपाई-पोताई ना करें, इससे कीटनाशक (एसपी) का असर बना रहे
  • अपने क्षेत्र में कीटनाशक छिड़काव की तिथि की जानकारी आशा दीदी से प्राप्त करें

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