अररिया, रंजीत ठाकुर स्वास्थ्य विभाग जिले में मातृ-शिशु मृत्यु संबंधी मामलों के प्रति गंभीर है। इसमें कमी लाने के उद्देश्य से जरूरी पहल की जा रही है। इसके लिये जिलाधिकारी अनिल कुमार के निर्देश पर एक तरफ जहां प्रथम तिमाही में गर्भवती महिलाओं को चिन्हित कर एंटीनेटल केयर यानी एएनसी जांच करते हुए पूरे प्रसव काल के दौरान नियमित अंतराल पर गर्भवती महिलाओं का कम से कम चार जांच सुनिश्चित कराने प्रयास किया जा रहा है। वहीं जांच की गुणवत्ता में सुधार को लेकर विभागीय स्तर से जरूरी पहल की जा रही है। गर्भवती महिलाओं का गुणवत्तापूर्ण जांच व संपूर्ण देखभाल सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से जोकीहाट सीएचसी में स्वास्थ्य अधिकारियों की विशेष बैठक आयोजित की गयी। इसमें प्रखंड क्षेत्र की एएनएम को जांच की गुणवत्ता में सुधार को लेकर महत्वपूर्ण सुझाव व प्रशिक्षण दिया गया। इसमें सीएचसी प्रभारी, अस्पताल, बीएचएम मिथलेश कुमार, बीसीएम सरवर आलम, डीपीएम एड्स अखिलेश कुमार सिंह, डीसीएम सौरव कुमार, एडीसी यूनिसेफ राकेश कुमार सहित अन्य स्वास्थ्य अधिकारी मौजूद थे।
सभी स्वास्थ्य संस्थानों में नियमित जांच की सुविधा उपलब्ध
जोकीहाट सीएचसी के प्रभारी डॉ राजाराम चौधरी ने बताया कि सीएचसी सहित प्रखंड अंतर्गत सभी एचडब्ल्यूसी, एपीएचसी सहित अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में नियमित अंतराल पर गर्भवती महिलाओं को एएनसी जांच के साथ-साथ आवश्यक पोषण एवं चिकित्सा परामर्श संबंधी सुविधा उपलब्ध कराया जा रहा है। जरूरी जांच व परामर्श संबंधी सुविधाओं अधिक प्रभावी व उपयोगी बनाने में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान विशेष रूप से उपयोगी साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि जच्चा-बच्चा की सुरक्षा व प्रसव संबंधी जटिलताओं को ससमय पहचान के लिये जांच की गुणवत्ता को अधिक कारगर व उपयोगी बनाने की पहल की जा रहा है। ताकि सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा देकर मातृ-शिशु मृत्यु संबंधी मामलों में कमी लाया जा सके।
गर्भवती महिलाओं का एचआईवी जांच जरूरी
इस दौरान एचआईवी सिफलिस एंटीबॉडी टेस्ट किट को लेकर सभी एएनएम को जरूरी प्रशिक्षण दिया गया। एडीसी यूनिसेफ राकेश कुमार ने शत प्रतिशत गर्भवती महिलाओं का एचआईवी सिफलिस जांच को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की मासिक समीक्षात्मक बैठक में इसे लेकर जिलाधिकारी ने स्वास्थ्य अधिकारियों को खास तौर पर निर्देशित किया गया है। डीपीएम एड्स अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि गर्भावस्था के प्रारंभिक चरण में एचआईवी सिफलिस जांच से संक्रमित माताओं से उनके बच्चे में होने वाले एचआईवी संक्रमण के प्रसार को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने जांच की संख्या बढ़ाने पर विशेष जोर दिया। डीसीएम सौरव कुमार ने ससमय गर्भावस्था संबंधी मामलों को चिन्हित करने एएनसी जांच की गुणवत्ता में सुधार को लेकर जरूरी सुझाव दिये।
मातृ-शिशु स्वास्थ्य सेवाओं में सकारात्मक बदलाव का हो रहा प्रयास
सिविल सर्जन डॉ केके कश्यप ने बताया कि जिला स्वास्थ्य विभाग गर्भवती महिलाओं की देखभाल के स्तर में सुधार को लेकर विशेष पहल कर रहा है। ताकि जिले में मातृ व शिशु स्वास्थ्य सेवाओं में सकारात्मक बदलाव लाया जा सके। इसके लिये गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जांच व उनकी संपूर्ण देखभाल सेवाओं में गुणात्मक सुधार का प्रयास किया जा रहा है। ताकि जांच की प्रक्रिया को अधिक सटीक व उपयोगी बनाया जा सके। जो जिले में मातृ- शिशु मृत्यु संबंधी मामलों में कमी लाने के जरूरी है।