क़ानूनी-सलाह

देश महिलाओं को पूर्णतः स्वतंत्रता नहीं है : संस्थापिका शैली

गणतंत्र दिवस विशेषः 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू किया गया था। जिसके पश्चात हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है, भारत देश के प्रत्येक नागरिक के द्वारा गणतंत्र दिवस को बड़े उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है,गणतंत्र का अर्थ है

जनता के द्वारा जनता के लिए शासन 26 जनवरी 1950 को हमारे देश भारत को गणतंत्र देश के रूप में घोषित किया गया था। लेकिन आज भी हमारे आजाद भारत देश में बाल अधिकारों का हनन हो रहा है।बेशक हम अपना 74वां गणतंत्र दिवस मना रहे हों लेकिन आज भी देश महिलाओं को पूर्णतः स्वतंत्रता नहीं है,आज जानते हैं इन 74 सालों में महिलाओं के लिए कानुनी रुप से क्या क्या ज़रूरी कानूनी अधिकार प्राप्त हुये हैं :

1)घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार- अगर आप किसी की पत्नी है और आपका पति आप पर घरेलू हिंसा करता है तो आपके पास उसके खिलाफ पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करने का हक है।भारतीय संविधान की धारा 498 के अनुसार पत्नी, महिला जो लिव-इन पार्टनर के साथ रहती है या किसी के भी घर में रहने वाली महिला जिसे घरेलू हिंसा झेलनी पड़ रही है उसे यह कानूनी रूप से अधिकार मिलता है कि वह इस हिंसा के खिलाफ अपनी आवाज उठाए और केस फाइल करे। ऐसा करने से आरोपी (जो हिंसा कर रहा है) को भारी जुर्माना भरना पड़ता है या उसे 3 साल की कारावास भी होती है।

2.महिला को शाम 6 बजे के बाद नहीं किया जा गिरफ्तार- भारतीय नागरिक प्रक्रिया संहिता के अनुसार यदि किसी महिला आरोपी को सूर्यास्त यानी शाम 6 बजे के बाद या सूर्योदय यानि सुबह 6 बजे से पहले गिरफ्तार किया जाता है तो वह भी कानून के खिलाफ है।धारा 160 के अनुसार अगर किसी महिला से पूछताछ भी करनी है तो उसके लिए एक महिला कांस्टेबल या उस महिला के परिवार के सदस्यों की मौजूदगी होना जरूरी है।

3.अगर कार्यस्थल पर हो रहा है उत्पीड़न- किसी महिला का उसके ऑफिस में या किसी भी कार्यस्थल पर शारीरिक उत्पीड़न या यौन उत्पीड़न किया जाता है तो उत्पीड़न करने वाले आरोपी के खिलाफ महिला शिकायत दर्ज कर सकती है।

यौन उत्पीड़न अधिनियम के तहत महिलाओं को कार्यस्थल पर होने वाली शारीरिक उत्पीड़न या यौन उत्पीड़न से सुरक्षा मिलती है।

4.दहेज लेने पर मिलेगा दंड-अगर विवाह के समय या उसके बाद लड़के के परिवार वाले या वह लड़का खुद ही दहेज की मांग करता है तो लड़की के परिवार वालों को मजबूरी में दहेज देने की जरूरत नहीं है।

दहेज प्रतिषेध अधिनियम के अनुसार शिकायत दर्ज कर सकती हैं। इससे परिवार वालों को जेल होने के साथ-साथ भारी जुर्माना भी चुकाना पड़ता है।
5.महिला की पहचान की रक्षा- ऐसी महिलाएं जिनके साथ यौन उत्पीड़न हुआ है उनकी पहचान की रक्षा करने के लिए अधिकार भारतीय दंड संहिता की धारा- 228 (ए) बनाई गई है।

इसके तहत महिला सिर्फ अकेले में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के सामने ही अपना बयान दर्ज करा सकती है। इसके अलावा अगर कोई महिला पुलिस अधिकारी है तो यौन उत्पीड़न की शिकार हुई महिला उनके सामने भी अपना बयान दे सकती है।

6.बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006-इस कानून के अनुसार दुल्हन की उम्र 18 वर्ष से कम हो या लड़के की उम्र 21 वर्ष से कम हो। कम उम्र की लड़कियों से शादी करने की कोशिश करने वाले माता-पिता इस कानून के तहत कार्रवाई के अधीन हैं।

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7.फ्री लीगल एड (मुफ़्त क़ानूनी सहायता) -भारत में महिलाओं को फ्री लीगल एड का अधिकार है और इसके लिए किसी महिला की आमदनी कितनी है या फिर मामला कितना बड़ा या छोटा है, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है। महिलाएं किसी भी तरह के मामले के लिए फ्री लीगल एड मुफ्त कानूनी सहायता की मांग कर सकती हैं। हमारे देश में महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, मानव तस्करी से पीड़ित व्यक्ति, स्वतंत्रता सेनानी, प्राकृतिक आपदा से पीड़ित व्यक्ति और 18 साल से कम उम्र के बच्चों को भी फ्री लीगल एड का अधिकार है। सामान्य श्रेणी के लोगों के लिए इन्कम का दायरा रखा गया है। हाईकोर्ट के मामलों में जहां उनकी सालाना इन्कम 30 हज़ार रुपए से कम होनी चाहिए, वहीं सुप्रीम कोर्ट के मामलों में वह 50 हज़ार से कम हो।

  1. स्त्री धन पर अधिकार (Right To Stree Dhan): हिन्दू विवाह अधीनियम (Hindu Marriage Act, 1955) के अनुसार शादी के वक्त महिलाओं को मिले जेवर और पैसों पर उसका हक होता है,भले ही पति या ससुराल वाले उसे अपनी कस्टडी में रखें, लेकिन उनका खर्च कहां और कैसे करना है इसका अधिकार केवल इस महिला को होता है।

9.भरण-पोषण का अधिकार (Right To Maintenance): हिन्दू दत्तक तथा भरण-पोषण अधीनियनम, 1956 के सेक्शन 18 के अनुसार हिन्दू पत्नी, अपने जीवनकाल में अपने पति से भरण-पोषण पाने की हकदार होगी. सेक्शन 25 के अंतर्गत तालक के बाद भी वह एलिमनी की हकदार होगी।

10.बच्चे की कस्टडी का अधिकार (Right To Child’s Custody): अगर पति और पत्नी अलग-अलग रह रहे हों तो नाबालिग बच्चे को अपने पास रखने का अधिकार मां को होता है. अगर महिला पैसे नहीं अर्जित करती तो बच्चे की परवरिश का खर्च पिता को उठाना होगा।

11.महिला का पीछा नहीं कर सकते -आईपीसी की धारा 354D के तहत वैसे किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी जो किसी महिला का पीछे करे, बार-बार मना करने के बावजूद संपर्क करने की कोशिश करे या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन जैसे इंटरनेट, ईमेल के जरिये मॉनिटर करने की कोशिश करे।

12.जीरो एफआईआर का अधिकार-किसी महिला के खिलाफ अगर अधिकार होता है तो वह किसी भी थाने में या कहीं से भी एफआईआर दर्ज करा सकती है. इसके लिए जरूरी नहीं कि कंप्लेंट उसी थाने में दर्ज हो जहां घटना हुई है. जीरो एफआईआर को बाद में उस थाने में भेज दिया जाएगा जहां अपराध हुआ हो।

  1. बेटी को संपत्ति में अधिकार-बेटी का अपने भाई-बहनों की तरह ही माता-पिता (पिता की और साथ ही माता की) की संपत्ति पर समान अधिकार है। विवाहित बेटी अगर विधवा, तलाकशुदा या पति द्वारा छोड़े जाने पर माता-पिता के घर में रहने का हक मांग कर सकती है। वयस्क होने पर बेटी का ऐसी किसी भी संपत्ति पर पूरा अधिकार होता है जो उसे उपहार में दी जाती है या वसीयत में दी जाती है।

14.बहू को संपत्ति में अधिकार-हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में महिलाओं से संबंधित विरासत कानूनों में बहू को बहुत कम अधिकार दिये गए हैं। सास-ससुर की संपत्ति पर बहू का अधिकार नहीं होता है – चाहे वह पैतृक हो या सास-ससुर की खुद की। वह केवल पति की विरासत के अनुसार ही ऐसी संपत्ति पर अधिकार का दावा कर सकती है।

  1. अगर कोई ब्लैकमेल करे तो घबराएं नहीं-भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 384 के अनुसार, ब्लैकमेलिंग को एक गंभीर अपराध माना गया है,ब्लैकमेलिंग को आपराधिक धमकी के बराबर माना जा सकता है |ब्लैकमेलिंग करने का तरीका ऑफलाइन या ऑनलाइन कुछ भी हो सकता है अगर ऐसा किया जा रहा है

तो क्या करना चाहिए:

1.मैसेज डिलीट नहीं करना चाहिए,न ही कॉल रिकॉर्ड डिलीट करें. रिपोर्ट करने के बाद ये अहम सबूत के तौर पर माने जा सकते हैं।

2.एफआईआर : ऐसे केस में एफआईआर या वुमेन हेल्पलाइन को कॉल कर सकते हैं ,मामले के अनुसार कानुनी सहायता भी की जाती हैं। ऐसे कई कानून हैं जो महिलाओं को भेदभाव, उत्पीड़न, हिंसा और दुर्व्यवहार जैसी प्रतिकूलताओं से लड़ने की शक्ति देते हैं।आज 76वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर भारत के प्रत्येक नागरिक को भारतीय संविधान और गणतंत्र के प्रति अपनी वचनबद्धता दोहरानी चाहिए और देश के समक्ष आने वाली चुनौतियों का मिलकर सामूहिक रूप से सामना करने का प्रण लेना चाहिए। साथ-साथ देश में शिक्षा, समानता, सद्भाव, पारदर्शिता को बढ़ावा देने का संकल्प लेना चाहिए। जिससे कि देश प्रगति के पथ पर और तेजी से आगे बढ़ सके।

शैली, संस्थापिका, महिला प्रशिक्षण संस्थान

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