बिहार

सिविल सर्जन की अध्यक्षता में सभी सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों की द्वितीय त्रैमासिक बैठक आयोजित

पूर्णिया, (न्यूज़ क्राइम 24) लोगों को आसानी से चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी प्रखंडों में समुदाय स्तर पर अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (एपीएचसी) और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर (एचडब्लूसी) बनाए गए है। सभी एपीएचसी और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों के माध्यम से स्थानीय लोगों को मिलने वाले चिकित्सकीय सहायता का मूल्यांकन करते हुए लोगों को ज्यादा सहायता प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया की अध्यक्षता में एकदिवसीय समीक्षात्मक बैठक जीएमसीएच पारा मेडिकल भवन पूर्णिया में आयोजित की गई।

बैठक में सिविल सर्जन द्वारा सभी स्वास्थ्य अधिकारियों को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से सामान्य बीमारियों से ग्रसित मरीजों को आसानी से चिकित्सकीय सहायता प्रदान करते हुए गंभीर मरीजों को चिन्हित करते हुए प्रखंड अस्पताल या जिला अस्पताल भेजना सुनिश्चित करने का आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया है। इस दौरान एसीएमओ डॉ आर पी मंडल, जिला गैर संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ सुभाष कुमार सिंह, डीपीएम सोरेंद्र कुमार दास, डीपीसी डॉ सुधांशु शेखर, डीएम&ईओ आलोक कुमार, डीसीक्यूए डॉ अनिल कुमार शर्मा, एफएलसी केशव कुमार, यूनिसेफ जिला सलाहकार शिवशेखर आनंद सहित सभी प्रखंड के प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक, प्रखंड दवा भण्डारपाल, और समुदाय स्वास्थ्य अधिकारी उपस्थित रहे।

अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र द्वारा हर माह 1800 मरीजों की चिकित्सकीय जांच आवश्यक : सिविल सर्जन

आयोजित बैठक को सम्बोधित करते हुए सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया ने कहा कि लोगों को आसानी से चिकित्सकीय सहायता प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी प्रखंड में अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर का संचालन किया जा रहा है। इसमें ज्यादा से ज्यादा मरीजों को आसानी से चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। ओपीडी के माध्यम से अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में हर माह कम से कम 1800 लोगों को जबकि हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में हर माह कम से कम 300 लोगों को चिकित्सकीय जांच उपलब्ध कराना आवश्यक है। इसके लिए सभी स्वास्थ्य केंद्रों में पर्याप्त मात्रा में दवा उपलब्धता जरूरी है।

इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 193 प्रकार की दवाइयां जबकि सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों में 151 प्रकार की दवाइयां नियमित उपलब्ध कराई जाती है। सभी सीएचओ द्वारा संबंधित प्रखंड से नियमित रूप से सभी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए उपस्थित लोगों को चिकित्सकीय सहायता प्रदान करना सुनिश्चित करना आवश्यक है। इस दौरान गंभीर रूप से ग्रसित मरीजों की पहचान करते हुए नजदीकी प्रखंड अस्पताल या जिला अस्पताल भेजना जरूरी है। इसमें किसी तरह की कमी नहीं होना चाहिए। समुदाय स्तर पर आसानी से चिकित्सकीय सहायता मिलने पर लोग विभिन्न गंभीर बीमारियों से स्वस्थ और सुरक्षित रह सकेंगे।

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सामुदायिक अस्पतालों में जनप्रतिनिधियों के साथ हर माह आयोजित किया जाता है जन आरोग्य समिति की बैठक :

जिला कार्यक्रम समन्यवक (डीपीसी) सह हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के नोडल अधिकारी डॉ सुधांशु शेखर ने कहा कि ग्रामीण अस्पताल में माध्यम से मरीजों को बेहतर चिकित्सकीय सहायता की जानकारी लोगों तक उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर जन आरोग्य समिति गठित करते हुए हर माह मासिक समीक्षा बैठक का आयोजन सुनिश्चित किया जाता है। इस दौरान क्षेत्र के लोगों को मिलने वाले चिकित्सकीय सहायता की जानकारी देते हुए गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों की पहचान सुनिश्चित करते हुए उन्हें बेहतर चिकित्सकीय सहायता के लिए जिला अस्पताल भेजना सुनिश्चित किया जाता है।

हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों में आयोजित जन आरोग्य समिति में सम्बंधित अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी, एएनएम के साथ साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों की जबकि अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में जनप्रतिनिधियों के साथ साथ प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक की उपस्थिति सुनिश्चित किया जाता है। इससे स्थानीय लोगों को आसानी से बेहतर चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध हो सकती है और लोग विभिन्न बीमारियों का उपचार कराते हुए स्वस्थ और सुरक्षित रहते हैं।

गैर संचारी रोग के संभावित मरीजों की स्क्रीनिंग आवश्यक : एनसीडीओ

जिला गैर संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ सुभाष कुमार सिंह ने कहा कि ओपीडी में स्क्रीनिंग में माध्यम से समुदाय स्तर पर गैर संचारी रोग से ग्रसित मरीजों की पहचान करते हुए उन्हें बेहतर चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है। इससे समुदाय स्तर पर लोगों के मधुमेह, मोतियाबिंद, अल्जाइमर, किडनी, हृदय जैसे अन्य गैर संचारी रोग से ग्रसित होने के जानकारी आसानी से मिल सकती है। इसके बाद संबंधित मरीजों को तत्काल चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराते हुए संबंधित बीमारियों से सुरक्षित किया जा सकता है। इसके अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा टेलीकंसल्टेंसी के माध्यम से प्रखंड व जिला अस्पताल के चिकित्सकों से चिकित्सकीय परामर्श उपलब्ध कराई जाती है जिससे कि लोगों को स्थानीय स्तर पर आसानी से बेहतर इलाज सुनिश्चित हो सकता है। सभी चिकित्सकों को ऐसे मरीजों को स्क्रीनिंग सुनिश्चित करते हुए बेहतर चिकित्सकीय सहायता प्रदान करना सुनिश्चित करना चाहिए ताकि लोग गंभीर बीमारी ग्रसित होने से सुरक्षित रह सकें।

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