बिहार

समय पर जांच और नियमित इलाज कराने के लिए लोगों को जागरूक होना चाहिए : सीडीओ

पूर्णिया, न्यूज क्राइम 24। 08 दिसंबर। टीबी एक संक्रामक बीमारी है जिसकी समय पर पहचान करते हुए उसका इलाज करना आवश्यक है। ऐसे में लोगों को टीबी के लिए जागरूक करने और टीबी के संभावित मरीजों को अस्पताल तक लाने में टीबी से स्वस्थ हो चुके लोगों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। उनके द्वारा लोगों को जागरूक करने से लोग टीबी बीमारी के प्रति जागरूक होते हुए देश को टीबी मुक्त करने में सहयोग कर सकते हैं। उक्त बातें जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ मिहिरकान्त झा ने कही। शुक्रवार को राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल के एएनएम स्कूल में टीबी बीमारी से स्वस्थ हो गए टीबी चैंपियन की जिलास्तरीय बैठक आयोजित की गयी।

इस दौरान सभी टीबी चैंपियन को अपने आसपास के टीबी ग्रसित मरीजों की पहचान करते हुए उन्हें अस्पताल से लिंक कराते हुए उपलब्ध सुविधाओं का लाभ दिलवाने के लिए जागरूक किया गया। इस दौरान जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ मिहिरकान्त झा के साथ जिला टीबी एड्स समन्वयक (डीपीएस) राजेश कुमार शर्मा, एसटीएफ राकेश कुमार, एसटीएलएफ प्रिया कुमारी, रीच इंडिया जिला समन्वयक चंदन कुमार, केएचपीटी जिला समन्यवक अरुणेंदु झा, वर्ल्ड विजन डीसी अभय श्रीवास्तव, डीएस अजय अकेला सहित अन्य अधिकारी और सभी प्रखंड के टीबी इकाई से 22 टीबी चैंपियन उपस्थित रहे।

टीबी संक्रमित मरीजों को अस्पताल तक पहुचाने में टीबी चैंपियन की भूमिका अहम :

जिला टीबी एड्स समन्यवक राजेश कुमार शर्मा ने बताया कि टीबी एक गंभीर संक्रामक बीमारी है जो लोगों के लिए घातक साबित हो सकता है। इससे ग्रसित होने पर संक्रमित व्यक्ति के शरीर में माइक्रोबैक्टेरिया उत्पन्न हो जाते हैं जो ज्यादातर लोगों के फेफड़ों में आघात करते हैं। फेफड़ों के आलावा यह शरीर के अन्य भागों में भी अटैक कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए लोगों में ज्यादा से ज्यादा जागरूकता की जरूरत है। इसमें टीबी से सुरक्षित लोग अहम भूमिका निभाते हैं।

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उनके द्वारा टीबी के संभावित मरीजों को जागरूक करते हुए समय पर अस्पताल लाना चाहिए। जांच के बाद टीबी की पहचान होने पर संबंधित मरीजों को अस्पताल से उपलब्ध दवाओं का उपयोग नियमित रूप से करना चाहिए। बिना किसी अवरोध के अगर मरीज दवा का सेवन करते हैं तो वे टीबी मुक्त हो सकते हैं। टीबी मरीजों को दवा के साथ पौष्टिक आहार का भी सेवन करना चाहिए। अच्छे खानपान नहीं करने वाले मरीज को टीबी से ज्यादा ग्रसित होने की संभावना रहती है। इसलिए इसके लिए लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक होने की आवश्यकता है जिससे कि लोग टीबी से सुरक्षित रह सके और देश को टीबी मुक्त बनाया जा सके।

टीबी चैंपियन द्वारा ज्यादा से ज्यादा संभावित लोगों की जांच करवाना आवश्यक :

रीच इंडिया के जिला समन्वयक चंदन कुमार ने उपस्थित सभी टीबी चैंपियंस और नेटवर्क सदस्यों से कहा कि टीबी मुक्त बनाने के लिए जिले के टीबी चैंपियन और नेटवर्क सदस्य द्वारा प्रत्येक महीने अधिक से अधिक लोगों की टीबी जांच करवानी चाहिए। इसके साथ ही महीने में सामुदायिक स्तर पर जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना, टीबी संक्रमित मरीजों को बीमारी से संबंधित उचित परामर्श देना और मरीजों का उपचार होने तक यथासंभव सहयोग करना चाहिए। जिससे कि जल्द से जल्द टीबी रोगी ठीक होकर टीबी मुक्त अभियान में अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर सके। टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए संक्रमण का चक्र तोड़ना बहुत ज्यादा जरूरी है जिसको लेकर जिले में टीबी मरीज़ों के बीच जागरूकता अभियान चलाना बहुत जरूरी है। ऐसा करने से लोग टीबी के प्रति जागरूक होकर देश को टीबी मुक्त करने में सहयोग कर सकते हैं।

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