बिहार

भीषण ठंड की चपेट में आकर बीमार पड़ रहे हैं लोग

अररिया, रंजीत ठाकुर। जिले में भीषण ठंड का प्रकोप जारी है। तापमान में लगातार गिरावट जारी है। इस कारण मौसमी बीमारियों का प्रकोप भी तेजी से बढ़ रहा है। हाल के दिनों में सर्दी, जुकाम, फ्लू, निमोनिया व दिल के दौरे जैसी बीमारियों का खतरा काफी बढ़ गया है। हर दिन इन बीमारियों के शिकार सैकड़ों लोग इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल पहुंच रहे हैं। सदर अस्पताल सहित जिले के अन्य प्रमुख अस्पतालों में इन बीमारियों के मरीजों का आना तेज हो गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो भीषण ठंड के इस मौसम में हर उम्र के लोगों को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। इसमें किसी तरह की लापरवाही स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।

दिल की सेहत का रखें विशेष ध्यान

सिविल सर्जन विधानचंद्र सिंह ने कहा कि जाड़े के दिनों में हमें अपने दिल की सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसका सबसे अच्छा तरीका शरीर को गर्म रखना, अधिक समय तक ठंड के संपर्क में रहने से बचना व खुली जगह में किसी तरह के शारीरिक श्रम करने से परहेज करना है। इसके अलावा शराब, मादक पदार्थ, अधिक वसा वाले भोज्य पदार्थ व मिठाइयों के अधिक सेवन से परहेज करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ठंड के कारण उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों को दिल का दौरा पड़ने का खतरा काफी बढ़ जाता है। दिसंबर के आखरी सप्ताह से लेकर जनवरी माह के अंत तक का समय हृदय रोगियों के लिए अधिक खतरनाक माना जाता है। लिहाजा इस दौरान संतुलित खान-पान व संयमित जीवन शैली जरूरी होता है।

संतुलित जीवन शैली तनाव प्रबंधन जरूरी

सदर अस्पताल के प्रभारी पदाधिकारी डॉ राजेंद्र कुमार ने बताया कि अनियमित दिनचर्या, असंतुलित खानपान और अधिक तनाव हृदय संबंधी रोगों आमंत्रित करता है। हृदय रोगों का ठंडे मौसम से गहरा संबंध है। ठंडा मौसम हृदय और रक्त संचार को कई तरह से प्रभावित करता है। इस मौसम में रक्त गाढ़ा हो जाता है। रक्त नलिकाएं संकरी हो जाती है। रक्त का दबाव व हृदय की धड़कन बढ़ जाती है।  इससे स्टॉक का खतरा बढ़ जाता है। इनके कारण हृदय रोगी व उच्च रक्तचाप के मरीजों को ठंड से बचाव के प्रति को अधिक सतर्क रहने की जरूरत होती है।

बुखार, सर्दी, जुकाम के मरीजों में हुआ है इजाफा

अस्पताल प्रबंधक विकास आनंद ने बताया कि बीते दिसंबर माह तक हर दिन ओपीडी में आने वाले 10 से 15 प्रतिशत रोगी बुखार, सर्दी, जुकाम, दर्द व इंफ्लुएंजा जैसे लक्षणों की शिकायत लेकर आते थे। फिलहाल अस्पताल आने वाले 30-35 फीसदी मरीज इससे जुड़ी शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। उन्होंने बताया की ओपीडी में हर दिन 500 अधिक मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। संबंधित रोगियों के इलाज से जुड़ी समुचित इंतजाम अस्पताल में उपलब्ध है। मरीजों को समुचित जांच के साथ जरूरी चिकित्सकीय परामर्श व दवाएं निशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है।

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डा. लाल बताते हैं कि सर्दियों में श्वसन संबंधी बीमारियों का प्रकोप भी बढ़ जाता है। जिसका हृदय पर भी प्रभाव पड़ता है। इस मौसम में हृदय रोग होने के अन्य कारण भी हैं। छुट्टियों मे लोग अधिक और विशेष आहार लेते हैं, शराब का अधिक सेवन करते हैं ,उच्च रक्तचाप और रक्त को पतला करने वाली इवाइयों एवं अन्य जरुरी दवाइयों का सेवन करने से बचते हैं और परिवार और दोस्तों के साथ मौज-मस्ती करने के दौरान दिल के दौरे के लक्षण को गंभीरता से नहीं लेते हैं। छाती के दर्द को लोग आम तौर पर अपच या गैस का दर्द समझ लेते हैं और चिकित्सक के पास जाने से कतराते हैं।

सर्दियों मे अस्पतालों में डॉक्टरों और नर्सों की आमतौर पर कमी रहती है। जिसके कारण दिल के दौरे की पहचान में अधिक समय लगता है और रोगी के बंद हो चुकी धमनियों को साफ करने में देरी हो जाती है। दिल्ली डायबेटिक रिसर्च सेंटर के अनुसार जाड़ों मे मधुमेह के मरीजों को दिल के दौरे पड़ने की आशंका अधिक रहती हैं। जाड़ों में काफी लोग अधिक मात्रा में शराब, निकोटिन और मादक द्रव्यों का सेवन करते हैं। इससे भी शरीर की रोग प्रतिरक्षण क्षमता घटती है और विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त होने के खतरे बढ़ते हैं। डॉ. लाल ने बताया कि जाड़े के दिनों में अधिक ठंड के कारण हृदय के अलावा मस्तिष्क और शरीर के अन्य अंगों की धमनियां सिकुड़ती हैं

जिससे रक्त प्रवाह में रुकावट आती है और रक्त के थक्के बनने की आशंका अधिक हो जाती है। ऐसे में न केवल हृदय के बल्कि मस्तिष्क और शरीर के अन्य अगों में पक्षाघात, स्ट्रोक पड़ने के खतरे अधिक होते हैं। जाड़े के दिनों हाइपोथर्मिया, उच्च रक्त चाप, मघुमेह, दमा तथा दिल के दौरे के कारण हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है। सर्दियों में न केवल तेज ठंड से उत्पन्न हाइपोथर्मिया, उच्च रक्तचाप, दिल के दौरे, दमा और मधुमेह के कारण असामयिक मौत की घटनाएं कई गुना बढ़ जाती हैं। देश में हर साल ऐसी मौतों की संख्या लाखों मे होती हैं।

अधिक ठंड के कारण फ्लू जैसी बीमारियां निमोनिया और ब्रोंकाइटिस आदि में तब्दील हो सकती हैं। इंद्रप्रस्थ अपोलो हास्पिटल के इंटरनल मेडिसीन में सीनियर कंसल्टेंट डा. राकेश गुप्ता कहते हैं कि जाड़े में फ्लू के प्रकोप से बचने के लिए बेहतर है कि पहले ही टीके लगावा लिए जाएं। इससे आपके शरीर को फ्लू वायरस के प्रति एंटीबाडी विकसित करने के लिए समय मिल जाएगा। भारत में फ्लू के कारणों के प्रति जागरुकता पैदा करने में जुटी स्वयं सेवी संस्था इंफ्लुएंजा फाउंडेशन आफ इंडिया (आईएफआई) के अनुसार फ्लू से बचने का सबसे अच्छा तरीका हर साल फ्लू के टीके लगवान हैं।

एडवाइजरी कमेटी आन इम्युनाइजेशन प्रैक्िटसेज (एसीआईपी) ने 50 से अधिक उम्र के लोगों और 5-12 साल के बच्चों के अलावा हृदय रोगों अस्थमा और किडनी के रोग जैसी पुरानी बीमारियों से पीड़ित रोगियों को भी फ्लू के टीके लगाए जाने की सिफारिश की है। डा. लाल के बताते हैं कि जाड़ों मे ंदिल के दौरे पड़ने की आशंका बढ़ने का एक कारण यह भी है कि जाड़ों में श्वसन संबंधी संक्रमण अधिक होते हैं। इन संक्रमणों के कारण रक्त नलिकाओं में सूजन पैदा होती हैं और उनमें होने वाले रक्त प्रवाह में रुकावट आती हैं। ह्दय रोग विशेषज्ञों के अनुसार जाड़ों में दिल के दौरे की आशंका बढ़ने का एक कारण जाड़े के दिनों में शरीर से कम मात्रा में नमक का निकलना है।

तापमान कम होने के कारण शरीर से कम पसीना और कम लवण निकलते हैं, लेकिन हम जाड़े के दिनों में भी गर्मियों की तरह ही पर्याप्त मात्रा में नमक लेते हैं। शरीर से कम नमक निकलने के कारण भी रक्त क्लाट बनने की प्रक्रिया तेज हो जाती है। शरीर से कम लवण के बाहर आने से सामान्य ह्दय को तो कोई नुकसान नहीं पहुंचता, लेकिन कमजोर ह्दय वाले लोगों और खास कर उन्हें जिन्हें पहले दिल के दौरे पड चुके होते हैं, दोबारा दिल के दौरे पड़ने के खतरे बढ़ जाते हैं।

डॉ. लाल के अनुसार जाड़ों मे मांसपेशियों में खिंचाव आता है जिससे रक्त नलिकाएं संकरी हो जाती हैं और हृदय के अलावा शरीर के अन्य अंगों मे रक्त आपूर्ति बाधित होती है। इससे रक्त चाप भी बढ़ता है और बढ़ा हुआ रक्त चाप दिल के दौरे की आशंका को बढ़ाता है। इस तरह यह सिलसिला चलता रहता है। यह देखा गया है कि जिन लोगों को रक्त दाब अधिक होते हैं, उन्हें जाड़ों में दिल का दौरा पड़ने का खतरा यादा रहता है।

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