बिहार

बप्पी लहरी के गीतों के बिना पार्टी अधूरी होती थी : नवाब आलम

खगौल(अजित यादव): प्रसिद्ध नाट्य संस्था सूत्रधार आज अपने कार्यालय में रंगकर्मियों के साथ बप्पी लहरी के निधन पर शोक सभा का आयोजन किया। वक्ताओं ने इनके जीवन पर प्रकाश डाला। प्रसिद्ध यादव ने इनके हिट गीतों यार बिना चैन कहाँ रे , आई एम ए डिस्को डांसर,जिम्मी जिम्मी ,तम्मा तम्मा का जिक्र किया। सूत्रधार के महासचिव नवाब आलम ने इनके गीत याद आ रहा है तेरा प्यार , तूने मेरी एंट्री और विनोद शंकर मिश्र ने इनके गीत मुम्बई से आया मेरा दोस्त , दिल था अकेला, वही नीरज ने चलना ही तेरा कम्म गीत गाकर श्रधंजलि दी। नवाब आलम ने कहा कि बप्पी लहरी को हिंदी संगीत प्रेमियों को पॉप से रू-ब-रू कराने के लिए जाना जाता है. खासतौर पर 1980-90 के दशक में उनके गानों ने धूम मचा दी थी. आज बप्पी लहरी अपने प्रशंसकों के बीच नहीं हैं, लेकिन उनका संगीत हमेशा प्रशंसकों को झूमने पर मजबूर करता रहेगा. उन्होंने बहुत से गानों को स्वयं अपनी आवाज दी. दो साल पहली आई फिल्म बागी-3 का गाना ‘भंकस’ उनका आखिरी गीत रहा

शायद बहुत से लोगों को पता नहीं होगा कि अपने जमाने के मशहूर गायक किशोर कुमार बप्पी लहरी के मामा थे. बप्पी लहरी को संगीत के क्षेत्र में लाने का श्रेय भी किशोर कुमार को ही जाता है. बता दें कि बप्पी लहरी ने छोटी उम्र से ही गीत संगीत की तैयारी शुरू कर दी थी. जब उनकी उम्र सिर्फ तीन वर्ष थी, तभी से उन्होंने तबला बजाना सीखना शुरू कर दिया था. 19 वर्ष की उम्र में बप्पी लहरी कोलकाता छोड़कर मायानगरी मुंबई आ गए थे.

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शोएब कुरैशी ने कहा कि-

बप्पी लहरी ने संगीत का पहला ककहरा अपने घर में ही सीखा था. उनके पिता अपरेश लहरी बंगाली गायक थे और मां बांसुरी लहरी संगीतकार थीं. बप्पी लहरी ने भी मुंबई में संगीत के क्षेत्र में नाम कमाने से पहले बंगाली फिल्मों में गाना गाया था. बप्पी लहरी जब सिर्फ 21 वर्ष के थे, तब उन्हें साल 1973 में ‘नन्हा शिकारी’ नाम की फिल्म में संगीत देने का मौका मिला था. साल 1975 में आई फिल्म जख्मी से बप्पी लहरी को पहचान मिली. इस फिल्म में उन्होंने अपने मामा किशोर कुमार और मशहूर गायक मोहम्मद रफी के साथ गाना गाया था. शोक सभा में रंगकर्मी शशि भूषण,रत्नेश, नवीन,रोहित,सैफ अली,आराधना श्री,निशा कुमारी,आर्यन कुमार ,तन्नू कुमारी ने भी शोक व्यक्त किया।

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