पूर्णिया(न्यूज क्राइम 24): 12 अप्रैल। वेक्टर जनित गंभीर रोगों में शामिल फाइलेरिया संक्रमित मरीजों को नियमित रूप से आवश्यक उपचार की जरूरत होती है। इसके लिए उन्हें आवश्यक दवाइयों के साथ संक्रमित अंग का पूरा ध्यान
रखना होता है। अच्छी तरह से ध्यान रखने पर फाइलेरिया संक्रमण को गंभीर होने से रोक जा सकता
है। इसी कार्यक्रम के तहत जिले के पूर्णिया पूर्व प्रखंड के हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर रानीपतरा में कार्यक्रम आयोजित कर 45 फाइलेरिया ग्रसित मरीजों में मोरबिडिटी मैनेजमेंट एंड डिसेबिलिटी प्रिवेंशन (एमएमडीपी) किट का वितरण किया गया। किट में लाभुकों को तौलिया , साबुन, मग, टब आदि सामग्री दी गई।सभी मरीजों को फाइलेरिया ग्रसित अंगों की देखभाल करने और आवश्यक दवाइयों का नियमित उपयोग करने की जानकारी दी गई। इस दौरान जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. आर. पी. मंडल, पूर्णिया पूर्व के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शरद कुमार , भीडीसीओ रवि नंदन, डीभीबी डीसी सोनिया मंडल , , केयर के बीसी शिव शंकर कुमार ,सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
फाइलेरिया मरीजों को सावधानी रखते हुए ग्रसित अंगों के देखभाल की दी गई जानकारी-
इस कार्यक्रम में सभी फाइलेरिया मरीजों को ग्रसित अंगों के नियमित रूप से देखभाल की जानकारी दी गई। उन्हें बताया गया है फाइलेरिया ग्रसित होने पर उसका सम्पूर्ण इलाज नहीं किया जा सकता। ऐसे में ग्रसित अंगों की सही तरीके से देखभाल जरूरी है। ज्यादातर लोगों के पांव फाइलेरिया से ग्रसित होते हैं जिसे आमतौर पर हाथीपांव भी कहा जाता है। ग्रसित होने पर लोगों को इसका विशेष ध्यान रखना जरूरी है। पांव को नियमित रूप से डेटॉल साबुन से साफ करने के साथ उसमें एंटीसेप्टिक क्रीम लगानी चाहिए। इससे ग्रसित अंगों का आवश्यक नियंत्रण किया जा सकता है।
फाइलेरिया से बचाव के लिए जागरूकता आवश्यक : डॉ. आर. पी. मंडल
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. आर. पी. मंडल ने बताया कि फाइलेरिया मच्छरों द्वारा फैलता है। विशेष रूप से परजीवी क्यूलैक्स मादा मच्छर के काटने से। जब यह मच्छर किसी फाइलेरिया से ग्रस्त व्यक्ति को काटता है तो वह संक्रमित हो जाता है। फिर जब यह मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो फाइलेरिया के विषाणु रक्त के जरिए उसके शरीर में प्रवेश कर उसे भी फाइलेरिया से ग्रसित कर देते हैं। फाइलेरिया को खत्म करने के लिए कोई विशेष इलाज नहीं हैं लेकिन जागरूक रहकर बचाव करने से इससे उबरा जा सकता है।
फाइलेरिया न सिर्फ व्यक्ति को विकलांग बनाता है बल्कि इससे मरीज की मानसिक स्थिति पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। यह ऐसी गंभीर बीमारी है जो किसी की जान तो नहीं लेती है, लेकिन जिंदा आदमी को मृत समान बना देती है। संक्रमित मच्छर के काटने से बहुत छोटे आकार के कृमि शरीर में प्रवेश करते हैं। ये कृमि लसिका तंत्र की नलियों में होते हैं और उन्हें बंद कर देते हैं। इस बीमारी को हाथीपांव के नाम से भी जाना जाता है। अगर समय रहते फाइलेरिया की पहचान कर ली जाए तो जल्द ही इसका इलाज शुरू कर इसे खत्म किया जा सकता है।
फाइलेरिया को बढ़ने में रोकने को दवा सेवन एवं विशेष रूप से सफाई एक मात्र उपाय: नेटवर्क सदस्य उक्त कार्यक्रम में चाँदी पेशेंट सपोर्ट ग्रुप की सदस्य टुन्नी देवी ने स्थानीय ग्रामीणों को बताया कि फाइलेरिया बीमारी से ग्रसित लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। क्योंकि जब भी मौसम में बदलाव होता है, उस दौरान उनकी परेशानी काफ़ी बढ़ जाती है। यदि, उन्हें शुरुआती दौर में ही फाइलेरिया की जानकारी होती तो शायद आज उन्हें इस परेशानियों से जूझना नहीं पड़ता।
एक बार जब फाइलेरिया बीमारी के कारण हाथी पांव या हाइड्रोसील में सूजन हो जाती, तब उसका कोई मुकम्मल इलाज नहीं है। लेकिन हां, नियमित दवाओं के सेवन और साफ सफाई मात्र से इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है। उन्होंने लाभुकों से अपील करते हुए कहा कि आप सभी को फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन अनिवार्य रूप से करना चाहिए। ताकि माइक्रो फाइलेरिया के परिजीवी होने से उनको नष्ट किया जा सकता है।
ऐसे बचे फाइलेरिया के मच्छरों से रात या दिन में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें घर के अंदर एवं बाहर गंदगी नहीं होने दें मच्छरों से बचने के लिए शरीर के खुले अंगों पर मच्छर रोधी क्रीम का इस्तेमाल करें मच्छरों से बचने के लिए शरीर पर फुल स्लीव के कपड़े का इस्तेमाल करें