बिहार

इलाज के दौरान प्रसूता की हुई मौत, स्वजन ने किया हंगामा!

जमुई(मो० अंजुम आलम): जमुई के एक निजी क्लिनिक में एक बार फिर लापरवाही का मामला सामने आया है। रविवार की रात शहर के महिसौड़ी स्थित फूलवती मेमोरियल क्लिनिक में इलाज के दौरान प्रसूता की मौत हो गई। उसके बाद स्वजन ने डाक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। हंगामा होता देख  क्लिनिक छोड़कर डाक्टर आफताब आलम फरार गए। मृतका की पहचान झाझा थाना क्षेत्र के लहरनिया गांव निवासी परमानंद यादव की पत्नी फूलकुमारी देवी के रूप में हुई है। शव के साथ स्वजन रातभर

क्लिनिक पर ही अड़े रहे। सोमवार की सुबह होते ही धीरे- धीरे लोगों की भीड़ क्लिनिक पर जुटने लगी। आक्रोशित भीड़ द्वारा डाक्टर को बुलाने की मांग करने लगे। कई घंटों तक डाक्टर के नहीं आने के बाद लोग आक्रोशित होकर जमकर हंगामा करने लगे। जानकारी के मुताबिक महिला 7 माह के गर्भ से थी, लेकिन गर्भ में ही बच्चे के नुकसान होने की बात झाझा के ही एक निजी डाक्टर द्वारा कही गई थी। स्वजन ने बताया कि किसी डाक्टर द्वारा आपरेशन कराने की बात कही गई थी लेकिन जब महिला को फूलवती मेमोरियल क्लिनिक में भर्ती कराया गया तो डाक्टर आफताब द्वारा साधारण प्रसव के तहत बच्चे को निकाल दिया गया। आधा घंटा के बाद महिला को रक्तस्राव होने लगा लेकिन डाक्टर द्वारा ब्लड चढ़ाने की भी बात नहीं कही गई थी। जिससे महिला की मौत हो गई.

रेफर महिला को अस्पताल के बजाए सिंगारपुर लेकर चला गया था एम्बुलेंस चालक-

रक्तस्राव होने के काफी देर के बाद जब महिला की स्थिति गंभीर होने लगी तो उसे पुष्पांजलि इमरजेंसी अस्पताल रेफर किया गया था लेकिन एम्बुलेंस चालक पुष्पांजलि अस्पताल ले जाने के बजाए सिंगारपुर लेकर पहुंच गए थे। काफी देर के बाद जब चालक की नींद टूटी तो इधर- उधर भटकते हुए महिला को पुनः अस्पताल लाया गया लेकिन जबतक महिला की मौत हो चुकी थी.

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थानाध्यक्ष ने हंगामा को कराया शांत-

हंगामा की सूचना के बाद पुलिस बल भी मौके पर पहुंचकर हंगामा को शांत कराने की कोशिश की लेकिन आक्रोशित लोग मानने के लिए तैयार नहीं थे। उसके बाद टाउन थानाध्यक्ष चंदन कुमार मौके पर पहुंचे और आक्रोशित लोगों को समझा-बुझाकर कड़ी मशक्कत के बाद शांत कराया साथ ही मामले को रफादफा कर सभी लोगों को घर भेज दिया गया.

डाक्टर ने बात करने से किया परहेज-

प्रसूता की मौत के बाद जब डाक्टर आफताब आलम से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उन्होंने बात करना भी मुनासिब नहीं समझा। और कई बार घंटी बजी लेकिन डाक्टर साहब की नींद ही नहीं खुली। फिर बाद में मोबाइल आफ बताने लगा।

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