पटना, (न्यूज़ क्राइम 24) जिलाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह ने कहा है कि भीषण गर्मी एवं लू की की स्थिति में बच्चों, महिलाओं एवं वृद्धजन के स्वास्थ्य का विशेष ख्याल रखें। उन्होंने आम जनता की सुरक्षा के लिए विभिन्न विभागों के जिला-स्तरीय पदाधिकारियों को दायित्व सौंपा है। ज़िलाधिकारी ने कहा कि ग्रीष्म काल प्रारंभ हो चुका है। राज्य में गर्मी के मौसम में भीषण गर्मी के साथ लू (Heatwave) चलती है जिसके कारण जनजीवन प्रभावित होता है। गर्मी के मौसम में लू से क्षति को रोकने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी मानक संचालन प्रक्रिया तथा अन्य विभागों द्वारा निर्गत मार्ग-दर्शिका के अनुसार कार्रवाई एवं सतर्कता की जरूरत है।
डीएम डॉ. सिंह ने अधिकारियों को त्रुटिरहित आपदा प्रबंधन के लिए अन्तर्विभागीय समन्वय सुनिश्चित करने का निदेश दिया है।उन्होंने स्वास्थ्य, पशु एवं मत्स्य संसाधन, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण, नगर विकास, शिक्षा, समाज कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायती राज, जन-सम्पर्क, परिवहन, ऊर्जा, श्रम संसाधन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, अग्निशमन सहित सभी विभागों के जिला-स्तरीय पदाधिकारियों को प्रदत्त निदेशों का अक्षरशः अनुपालन करने को कहा है।
ज़िलाधिकारी ने कहा कि अत्यधिक गर्मी एवं लू से बचाव हेतु विद्यालयों में प्रार्थना के समय विद्यार्थियों को जानकारी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि आम जनता विशेषकर छोटे बच्चों, स्कूली बच्चों, गर्भवती एवं धात्री महिलाओं तथा काम के लिए घर से बाहर निकलने वाले व्यक्तियों को कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।
डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के स्थानीय इकाई से लू की पूर्व चेतावनी एवं इसकी सूचना प्राप्त कर सभी प्रमुख स्टेकहोल्डर्स तक पहुँचाने की व्यवस्था ज़िला आपदा प्रबंधन शाखा द्वारा की जाएगी। साथ ही लू की पूर्व चेतावनी आम जनता को भी टीवी, रेडियो, प्रिंट मीडिया, प्रेस विज्ञप्ति एवं एसएमएस आदि के माध्यम से सूचना दी जाएगी।
डीएम डॉ. सिंह ने विभिन्न विभागों के जिला-स्तरीय पदाधिकारियों को निम्नलिखित दायित्वों का निर्वहन करने का निर्देश दिया है:
- स्वास्थ्य विभागः- डीएम डॉ. सिंह ने असैनिक शल्य चिकित्सक-सह-मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी, पटना को निदेश दिया है कि
- सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों/रेफरल अस्पतालों/सदर अस्पतालों/अनुमंडलीय अस्पतालों /मेडिकल कॉलेजों में लू से प्रभावितों के इलाज हेतु विशेष व्यवस्था की जाए। पर्याप्त संख्या में एम्बुलेंस सहित सभी स्वास्थ्य केन्द्रों एवं अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में ओ०आर०एस० पैकेट, आई० भी० फ्लूड एवं जीवन रक्षक दवा इत्यादि की व्यवस्था होनी चाहिए।
- अत्यधिक गर्मी से पीड़ित व्यक्तियों के इलाज हेतु आवश्यकतानुसार अस्पतालों में आईसोलेसन वार्ड की व्यवस्था होनी चाहिए एवं लू से पीड़ित बच्चों, बूढ़ों, गर्भवती महिलाओं तथा गम्भीर रूप से बीमार व्यक्तियों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। आवश्यकतानुसार प्रभावित जगहों हेतु स्टैटिक/चलन्त चिकित्सा दल की भी व्यवस्था कर ली जाए।
- गर्म हवाएं/लू से बचाव के उपाय से संबंधित सूचना, शिक्षा एवं संचार (आइईसी) सामग्री पम्पलेट/पोस्टर के माध्यम से प्रचार-प्रसार कराएँ।
- नगर विकास एवं आवास विभागः- डीएम डॉ0 सिंह ने सभी नगर निकायों के कार्यपालक पदाधिकारियों को निदेश दिया है कि
- शहरी क्षेत्रों में सार्वजनिक जगहों पर पियाऊ की व्यवस्था सुनिश्चित रहनी चाहिए। इन स्थानों पर गर्म हवाओं एवं लू से बचाव से संबंधित सूचनाओं को भी प्रदर्शित किया जाना चाहिए ताकि आम जन इनसे भली भाँति अवगत हो सकें।
- अपने क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत खराब चापाकलों का मरम्मत युद्ध स्तर पर करायी जाएँ।
- आश्रय स्थलों में पेय जल तथा स्लम के निवासियों हेतु आकस्मिक दवाओं की व्यवस्था की जाए।
- लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभागः- डीएम डॉ0 सिंह ने कार्यपालक अभियंता, पीएचईडी को निदेश दिया है कि
- खराब चापाकलों का मरम्मत युद्ध स्तर पर किया जाए।
ऽ जिन स्थानों पर नल का जल नहीं पहुंचता हो एवं चापाकलों में पानी की कमी हो गयी हो, वहाँ आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा पेयजल संकट से निबटने हेतु निर्धारित मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार टैंकरों के माध्यम से पेयजल पहुंचाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
- भूगर्भ जल स्तर की लगातार समीक्षा की जाए एवं इस पर सतत् निगरानी रखी जाए।
ज़िलाधिकारी ने कहा कि पटना ज़िला में चापाकल मरम्मति, हर घर नल का जल, पंचायती राज विभाग द्वारा हस्तांतरित जलापूर्ति योजनाओं तथा मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना से संबंधित शिकायत दर्ज करने के लिए जिला नियत्रंण कक्ष (लोक स्वास्थ्य प्रमंडल, पटना पूर्व -0612-2225796 तथा लोक स्वास्थ्य प्रमंडल, पटना पश्चिम -0612-2280879) पर सुबह 10 बजे से शाम 06 बजे तक सूचना एवं शिकायत दर्ज की जा सकती है।
- शिक्षा विभागः- डीएम डॉ0 सिंह ने जिला शिक्षा पदाधिकारी को निदेश दिया है कि
- सभी स्कूलों एवं परीक्षा केन्द्रों में पेयजल, ओआरएस की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। गर्म हवाएं/लू से बचाव के उपाय से संबंधित सूचना, शिक्षा एवं संचार सामग्री पम्पलेट/पोस्टर के माध्यम से प्रचार-प्रसार कराएँ।
- समाज कल्याण विभागः- डीएम डॉ0 सिंह ने जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, आईसीडीएस को निदेश दिया है कि
- सभी आंगनवाड़ी केन्द्रों पर पेयजल की समुचित व्यवस्था करायी जानी चाहिए एवं वहाँ पर गर्म हवाओं एवं लू से बचाव से संबंधित सूचना, शिक्षा एवं संचार सामग्री (बच्चों को समझने हेतु) प्रदर्शित कर जनता को जागरूक किया जाए।
- स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से आंगनवाड़ी केन्द्रों पर जीवन रक्षक घोल (ओआरएस) की व्यवस्था की जाए।
- नवजात शिशु बच्चों, धातृ एवं गर्भवती महिलाओं के लिए स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से विशेष चिकित्सा सुविधा की व्यवस्था की जाए।
- पशु एवं मत्स्य संसाधन विभागः- डीएम डॉ0 सिंह ने जिला पशुपालन पदाधिकारी को निदेश दिया है कि
- सरकारी ट्यूबवेल के समीप अथवा अन्य सुविधायुक्त स्थानों पर गड्ढा खुदवा कर पानी इकट्ठा की जाए, ताकि पशु-पक्षियों को पानी मिल सके।
- पशुओं के बीमार पड़ने पर चिकित्सा दल की व्यवस्था की जाए।
- ग्रामीण विकास विभागः- डीएम डॉ0 सिंह ने उप विकास आयुक्त, पटना को निदेश दिया है कि
- मनरेगा अन्तर्गत तालाबों/आहर इत्यादि की खुदाई की योजनाओं में तेजी लायी जाए, जिससे इनमें पानी इकट्ठा कर पशु-पक्षियों को पानी उपलब्ध कराया जा सके।
- कार्य स्थल पर पेय जल तथा लू लगने पर प्राथमिक उपचार की व्यवस्था की जाए।
*लू चलने पर प्रावधानों के अनुरूप मनरेगा की कार्य अवधि को निर्धारित किया जाए।
- पंचायती राज विभागः- डीएम डॉ0 सिंह ने जिला पंचायती राज पदाधिकारी को निदेश दिया है कि
- विभाग के द्वारा पंचायतों में लू चलने के दौरान ‘‘क्या करें क्या न करें’’ का प्रचार प्रसार कराया जाए।
- गांवों में पेय जल की व्यवस्था हेतु पंचायतों को कार्य योजना बनाने हेतु निर्देशित किया जाए तथा जल संरक्षण की योजनाओं पर कार्य किया जाए।
- श्रम संसाधन विभागः- डीएम डॉ0 सिंह ने श्रम अधीक्षकों को निदेश दिया है कि
- कार्य स्थल पर पेय जल की व्यवस्था तथा लू लगने पर प्राथमिक उपचार की व्यवस्था की जाए।
- खुले में काम करने वाले भवन बनाने वाले तथा कल-कारखानों में काम करने वाले मजदूरों के लिए पेय जल, आईस पैड की व्यवस्था के साथ शेड की भी व्यवस्था की जाए।
*लू चलने पर प्रावधानों के अनुरूप श्रमिकों की कार्य अवधि को निर्धारित किया जाए।
- साथ ही लू से बचाव हेतु औद्योगिक मजदूरों एवं अन्य मजदूरों के बीच जागरूकता कैम्प लगवाया जाय।
- परिवहन विभागः- डीएम डॉ0 सिंह ने जिला परिवहन पदाधिकारी को निदेश दिया है कि
- सार्वजनिक परिवहन के गाड़ियों में पेय जल तथा ओ०आर०एस० के साथ-साथ प्राथमिक उपचार की भी व्यवस्था किया जाय।
*लू चलने पर प्रावधानों के अनुरूप वाहनों के परिचालन को निर्धारित/नियंत्रित किया जाए।
- ऊर्जा विभागः- डीएम डॉ0 सिंह ने विद्युत विभाग के अधिकारियों को निदेश दिया है कि
- बिजली के ढीले तारों को ठीक करवाने की व्यवस्था की जाए।
- निर्बाध बिजली की आपूर्ति की व्यवस्था की जाए।
- सूचना एवं जन-सम्पर्क विभाग:- डीएम डॉ0 सिंह ने जिला जन-सम्पर्क पदाधिकारी को निदेश दिया है कि
- गर्म हवाएं/लू से बचाव के उपाय से संबंधित सूचना, शिक्षा एवं संचार सामग्री का प्रचार-प्रसार कराया जाय।
- पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभागः- डीएम डॉ0 सिंह ने वन विभाग के पदाधिकारी को निदेश दिया है कि
- गर्मियों के दिनों में लू चलने से वन्य जीव भी प्रभावित होते हैं। अतः वन्य जीव उद्यानों में पानी की व्यवस्था की जाए।
- वन्य जीव उद्यानों में जानवरों के पिंजड़ों को ठंडा रखने की व्यवस्था की जाए।
- उद्यानों में गड्ढे खोदकर वन्य जीवों के लिए जल की व्यवस्था की जानी चाहिए।
- पर्यटन विभाग: अंचल अधिकारियों सहित अन्य अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि पर्यटन स्थलों पर पेयजल की व्यवस्था की जाय। साथ ही लू से बचाव हेतु पर्यटकों के लिए एडवाइज़री निर्गत किया जाय।
- अग्निशमन:- डीएम डॉ0 सिंह ने जिला अग्निशमन पदाधिकारी को निदेश दिया है कि
- भीषण गर्मी के कारण अगलगी की घटनाओं में भी वृद्धि होने की संभावना रहती है। अगलगी की घटनाओं से निबटने एवं उनके रोकथाम के लिए विभागीय मानक संचालन प्रक्रियानुसार कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
ज़िलाधिकारी ने कहा कि अग्निकांड से सुरक्षा एवं बचाव हेतु बिहार सरकार द्वारा समय-समय पर महत्वपूर्ण एडवायजरी निर्गत की जाती है।अभी अग्नि-प्रवण काल चल रहा है जिसमें मार्च से जून तक विशेष सतर्कता की आवश्यकता है। जिला प्रशासन, पटना जनहित में आप सभी से अग्नि-सुरक्षा मानकों का अनुपालन करने की अपील करता है। किसी भी प्रकार की आवश्यकता पड़ने पर डायल-112/101, जिला आपातकालीन संचालन केन्द्र (0612-2210118) या 24*7 जिला नियंत्रण कक्ष (0612-2219810/ 2219234) पर सूचना दी जा सकती है।
डीएम डॉ0 सिंह ने सभी अंचलाधिकारियों को भी भीषण गर्मी एवं लू से आम जनता के सुरक्षा के लिए सतर्क रहने को कहा है। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन विभाग के पदाधिकारी लू की पूर्व चेतावनी तथा इसकी सूचना प्राप्त कर सभी भागीदारों (स्टेकहोल्डर) तक पहुँचाने की व्यवस्था करेंगे ताकि इसकी विभीषिका से बचा जा सके।
जिलाधिकारी, विभाग एवं बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा लू के लक्षणों एवं बचाव के उपायों के बारे में जन-जागरूकता बढ़ाने के लिए लाभकारी सूचना जारी की गई है। जिला प्रशासन, पटना आम जनता से इन लक्षणों को पहचानने एवं बचाव के तरीकों को अपनाने की अपील करता है। आपात स्थिति में आपदा प्रबंधन विभाग के टॉल-फ्री नंबर 1070, स्वास्थ्य विभाग के हेल्पलाइन 104 या जिला आपातकालीन संचालन केन्द्र, पटना (0612-2210118) पर संपर्क किया जा सकता है।
डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि जनसामान्य को हरेक सहायता पहुँचाने के लिए जिला प्रशासन प्रतिबद्ध है।
गरम हवाओं/लू लगने के सामान्य लक्षण
गरम हवाओं/लू लगने के सामान्य लक्षण के रूप में अधिक पसीना आना, तेज गति से सांस का चलना, मांसपेशियों में दर्द, मितली/उल्टी या दस्त या दोनों का होना पाया जाता है, अत्यधिक प्यास लगने लगती है, तेज बुखार आ सकता है या कभी-कभी मूर्छा भी आ सकती है। इसके लिए पूर्व तैयारी, लोगों में जागरूकता एवं बचाव के उपायों को जानकर ही जीवन को सुरक्षित किया जा सकता है। ज़िलाधिकारी ने कहा कि इस हेतु सभी स्तरों पर आवश्यक कार्रवाई अपेक्षित है।
- हीटवेव (लू) क्या है?
हीटवेव अत्यधिक गर्म मौसम की अवधि को कहते हैं। जब तापमान किसी क्षेत्र के औसत उच्च तापमान से अधिक हो जाता है तो उसे हीटवेव या लू कहते हैं।
भारत मौसम विभाग (आईएमडी)के मुताबिक, यदि एक स्थान का अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों में कम-से-कम 40 डिग्री सेल्सियस तक और पहाड़ी क्षेत्रों में कम-से-कम 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है तो हीटवेव विचारित होता है।
- सामान्य तापमान से विचलन पर आधारितः-
- जब सामान्य तापमान से विचलन 4.5 डिग्री सेल्सियस से 6.4 डिग्री सेल्सियस तक होता है तो इसे हीटवेव कहते हैं।
- जब सामान्य तापमान से विचलन 6.4 डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है तो इसे गंभीर हीटवेव कहते हैं।
- वास्तविक अधिकतम तापमान पर आधारितः- जब वास्तविक अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक होता है तो इसे हीटवेव कहते हैं। जब वास्तविक अधिकतम तापमान 47 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक होता है तो इसे गंभीर हीटवेव कहते हैं। इस प्रकार यदि वृद्धि 6.4 डिग्री से अधिक है और वास्तविक तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाए, तो इसे एक गम्भीर हीटवेव कहा जाता है।
तटीय क्षेत्रों में, जब अधिकतम तापमान से 4.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाए या तापमान 37 डिग्री सेल्सियस हो जाए तो हीटवेव चलता है।
वस्तुतः लम्बे समय तक अत्यधिक गर्म मौसम बरकरार रहने से हीटवेव बनता है। हीटवेव असल में एक स्थान के वास्तविक तापमान और उसके सामान्य तापमान के बीच के अन्तर से बनता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत में हीटवेव की लहरें आमतौर पर मार्च से जून तक होती हैं। कुछ दुर्लभ मामलों में जुलाई तक भी बढ़ जाती हैं। देश के उत्तरी भागों में हर साल हीटवेव की घटनाएं होती हैं। वहीं कभी कभार ये घटनाएं हफ्तों तक चलती हैं। इससे भारत की बड़ी आबादी प्रभावित होती है।
- हीट वेव से स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है?
हीट वेव या लू की घटनाएं मानव और पशु जीवन को नुकसान पहुंचाती हैं। हीट वेव आमतौर पर शरीर में पानी की कमी, थकावट होना, कमजोरी आना, चक्कर आना, सिरदर्द, मतली, उल्टी, मांसपेशियों में ऐंठन और पसीना होना और लू लगना या हीट स्ट्रोक आदि शामिल हैं। हीट वेव की वजह से मानसिक तनाव भी हो सकता है। लू लगने के लक्षणों में गर्मी से शरीर में अकड़न, सूजन बेहोशी और बुखार भी आ सकता है। यदि शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक होता है तो दौरे पड़ सकते हैं या इंसान कोमा में भी जा सकता है।
- लू लगने अथवा गर्मी से संबंधित बीमारी के सबसे अधिक खतरे में कौन है?
सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, गर्मी से संबंधित बीमारी के लिए सबसे अधिक खतरे में शिशुओं से लेकर चार साल तक के बच्चे, 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोग, अधिक वजन वाले लोग और ऐसे लोग जो बीमार हैं या दवाओं का सेवन कर रहे हैं।
- आपको क्या करना चाहिए, अगर आपको लगता है कि कोई व्यक्ति लू लगने से पीड़ित है?
व्यक्ति को छाया के नीचे किसी ठंडी जगह पर ले जाएं
यदि व्यक्ति अभी भी सचेत है तो पानी या एक निर्जल पेय दें
व्यक्ति पर हवा करें
यदि व्यक्ति बेहोश है या लंबे समय तक लक्षण खराब रहते हैं तो चिकित्सक से परामर्श करें
मद्य, कैफीन या गैस युक्त पेय न दें
व्यक्ति के चेहरे / शरीर पर एक गीला कपड़ा डालकर ठंडा करें
बेहतर हवादार और ढीले कपड़े पहनें
- हीट वेव की जानकारी कैसे जुटाएं, ऐसा और क्या करे कि आप पर इसका असर न पड़े?
रेडियो सुनें, टीवी देखें, स्थानीय मौसम के पूर्वानुमान के लिए समाचार पत्र पढ़ें ताकि पता चल सके कि लू चल रही है या चलने वाली है
पंखे का प्रयोग करें, कपड़ों को नम करें और ठंडे पानी में स्नान करें।
कार्य स्थल के पास ठंडा पेयजल उपलब्ध कराएं।
श्रमिकों को सीधे धूप से बचने के लिए सावधानी बरतें।
बाहरी गतिविधियों को विराम दें।
गर्भवती महिलाओं और चिकित्सा हालत वाले श्रमिकों का अतिरिक्त ध्यान दिया जाये।