बिहार

सीमा पर देश के लिए प्राण न्योछावर करने वाले शहीदों को कलाकारों का सलाम 

फुलवारीशरीफ(अजित यादव): सर्वमंगला सांस्कृतिक मंच (एस.एस.एम.)की साप्ताहिक नुक्कड़ नाटक श्रृंखला में रविवार को महेश चौधरी द्वारा लिखित एवं निर्देशित “शहीदों की कुर्बानी” नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति की गई। इसके पूर्व देश की आजादी में शहीद महापुरुषों एवं सीमा पर देश की सुरक्षा में शहीदों की श्रद्धांजलि वाल्मी स्थित आशीष मार्केट परिषर फुलवारी शरीफ में दी गई। नाटक की शुरुआत सौरभ राज के स्वरबध्द गीत- आजादी की कभी शाम नहीं होने देंगे, शहीदों की कुर्बानी बदनाम नहीं होने देंगे, बची हो जो एक बूंद भी गर्म लहू की, तब-तक भारत मां की आंचल नीलाम नहीं होने देंगे…..से की गई.

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देशभक्ति से ओतप्रोत इस नाटक में यह दिखाया गया कि सीमा पर किस तरह से हमारे पड़ोसी मुल्क के आतंकवादी और उसकी सेना हमारे देश की सीमा के अंदर छिपकर कायर की तरह प्रवेश करता है और सैन्य अड्डे पर हमला करता है अचानक हुए इस हमले में कई सैनिक शहीद हो जाते हैं। जब उनका पार्थिक शरीर तिरंगे में लिपटकर गांव में आता है और राइफल से सलामी के साथ उनका दाह संस्कार किया जाता है। मां अपने इकलौते बेटे के लिए कलेजे पर पत्थर रखकर बेटे की कुर्बानी पर नाज करती है और शहीद सैनिक के बच्चे भी यह शपथ लेते हैं कि एक दिन मैं भी अपने पिता के दुश्मन से बदला लूंगा। शहीद की बूढ़ी मां अपने देश के नौजवानों से यह कहती है कि देश की आजादी में अनेक महापुरुषों की बलिदान के बाद ये आजादी मिली है। इसके लिए हम सभी को आपसी एकता और अखंडता हर हाल में बनाए रखना है। हम सभी हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई एक हैं जब एक दुनिया एक सूरज और एक चांद है तो फिर इंसान को धर्म और जाति से क्यों बांटा जाता है जबकि हम सभी भारत मां की संतान है. नाटक के कलाकार महेश चौधरी, मोनिका, सौरभ राज, अमन, करण, नमन, यश, वीर, सांभवी, प्रीती गोविंद, शुभम, वैभव थे।

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