बिहार

एनीमिया के कारण प्रभावित होता है बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास

अररिया, रंजीत ठाकुर। जिला स्वास्थ्य समिति सभागार में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत एएमबी टूल किट प्रशिक्षण कार्यक्रम गुरुवार से शुरू हुआ। तीन दिवसीय इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्द्घाटन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी सह जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ मोईज, एनीमिया मुक्त कार्यक्रम के स्टेट कंसल्टेंट यूनिसेफ के परवेज आजम, डीसीएम सौरव कुमार ने संयुक्त रूप से किया। प्रशिक्षण के पहले दिन अररिया, भरगामा व फारबिसगंज प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, संबंधित प्रखंड के बीसीएम, सीडीपीओ, शिक्षा विभाग के बीपीएम व बीआरपी ने भाग लिया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में एनीमिया मुक्त भारत के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर संबंधित अधिकारियों को जरूरी प्रशिक्षण दिया गया।

बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास होता है प्रभावित
एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ मोईज ने बताया कि एनीमिया एक गंभीर बीमारी है। जो बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास को प्रभावित करता है। इससे किशोर-किशोरियों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है। वहीं किशोरियों में खून की कीम से सुरक्षित मातृत्व की संभावना प्रभावित होती है। लिहाजा स्वास्थ्य विभाग द्वारा लोगों को एनीमिया की समस्या से निजात दिलाने के लिये विभिन्न स्तरों पर जरूरी प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि एनीमिया मुक्त भारत अभियान की सफलता के लिये छह विभिन्न आयु वर्ग के लोगों को चिह्नित किया गया है। इसमें 06 से 59 माह के बच्चे, 05 वर्ष से 09 साल के बच्चे, 10 से 19 साल के किशोर व किशोरियों के साथ प्रजनन आयु वर्ग की महिलाएं, गर्भवती व धात्री महिलाओं को शामिल किया गया है।

समुदाय को एनीमिया के खतरों से निजात दिलाने के लिये सरकार द्वारा विभिन्न स्तरों पर जरूरी दवा लोगों को नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है। उचित खान-पान का अभाव एनीमिया की मुख्य वजह एनीमिया मुक्त कार्यक्रम के स्टेट कंसल्टेंट यूनिसेफ के परवेज आजम ने बताया एनीमिया मलेरिया, कालाजार, उचित पोषाहार का अभाव सहित अनय कारणों से हो सकता है। इसमें उचित खान-पान का अभाव एनीमिया के प्रमुख कारणों में से एक है। इसे आसानी से प्रबंधित व नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिये विभिन्न विभागों के बीच आपसी समन्वय को बेहतर बनाते हुए समुदाय को एनीमिया के खतरे व इससे निजात पाने संबंधी उपायों के प्रति जागरूक करने की जरूरत है। ताकि समुदाय स्तर पर एनीमिया के खतरों को प्रभावी तौर पर नियंत्रित किया जा सके।

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नि:शुल्क दी जाती है आईएफए की दवा डीसीएम सौरव कुमार ने बताया कि एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत 06 से 59 माह के बच्चों को सप्ताह में दो बार आईएपुए की 01 एमएल सीरप पिलाई जाती है। 05 से 09 साल के बच्चों को हर सप्ताह आंगनबाड़ी व प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के माध्यम से आईएफए की एक गुलाबी गोली खिलाई जाती है। 05 से 09 साल के वैसे बच्चे जो स्कूल या आंगनबाड़ी नहीं जाते हैं उन्हें संबंधित क्षेत्र की आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से गृह भ्रमण के दौरान दवा का सेवन कराया जाता है। वहीं 10 से 19 साल तक के किशोरों को हर सप्ताह आईएफए की एक नीली गोली का सेवन कराया जाता है।

20 से 24 साल के प्रजनन आयु वर्ग की महिलाओं को आईएफए की एक लाल गोली हर हफ्ते आरोग्य स्थल निशुल्क दिया जाता है। वहीं गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के चौथे महीने से प्रतिदिन खोन के लिये आईएफए की 180 गोली स्वास्थ्य विभाग द्वारा नि:शुल्क वितरित किया जाता है। धात्री माताओं को भी प्रसव के बाद आईएफए की 180 गोली प्रतिदिन सेवन करने के लिये दिया जाता है। आवश्यक मात्रा में दवा संबंधित सेविका, आशा कार्यकर्ता व एएनएम को संबंधित चिकित्सा संस्थान के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है।

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