बिहार

हिन्दी दिवस और महामना मालवीय मिशन के 15वें राष्ट्रीय अधिवेशन का भव्य आयोजन

पटना, (न्यूज़ क्राइम 24) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी पटना) और महामना मालवीय मिशन के संयुक्त तत्वावधान में हिन्दी दिवस के अवसर पर एक विशेष राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का विषय था “भारत के नवनिर्माण में राष्ट्र भाषा-हिन्दी की भूमिका और महामना पंडित मदनमोहन मालवीय का योगदान”। साथ ही, महामना मालवीय मिशन का 15वां राष्ट्रीय अधिवेशन भी इस अवसर पर प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम की भव्य शुरुआत आईआईटी पटना के केंद्रीय व्याख्यान सभागार में दीप प्रज्ज्वलन और मंगलाचरण के साथ हुई, जिसमें महामना मालवीय जी की छाया-चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई।
मुख्य अतिथि, बिहार विधान सभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने अपने उद्घाटन भाषण में हिन्दी से हिंद और हिंदुस्तान की परिकल्पना की और बताया कि यह दर्शन महामना मालवीय के हिन्दी मूल्यों से प्रभावित था।

संगोष्ठी के स्वागत भाषण में विपिन कुमार सिंह, अध्यक्ष, महामना मालवीय मिशन, पटना इकाई ने अतिथियों का स्वागत करते हुए संगोष्ठी के उद्देश्यों और महत्व पर प्रकाश डाला। महान समाजसेवी और चिंतक श्री गोविंदाचार्य ने अपने भाषण में पाणिनि के अष्टाध्यायी पर चर्चा की। उन्होंने तमिल और हिंदी के संगम पर ध्यान आकर्षित किया। आईआईटी पटना के निदेशक प्रो. टी. एन. सिंह ने इस गौरवमयी अवसर को याद करते हुए कहा कि महामना और हिंदी एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। इस संगोष्ठी ने न केवल हिन्दी भाषा के महत्व को रेखांकित किया, बल्कि पंडित मदनमोहन मालवीय के अनमोल योगदान की भी सराहना की, जो भारतीय शिक्षा और संस्कृति के महान हस्ताक्षर हैं।

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डॉ. शंकर विनायक तत्ववादी ने बाणभट्ट की ‘कादंबरी’ पर चर्चा की और हिंदी की विशिष्टता पर जोर दिया। उन्होंने ‘कादंबरी’ में विष्णु के सहस्त्रनाम के उल्लेख के माध्यम से महामना के योगदान की व्याख्या की और कहा कि मातृभाषा के विकास के बिना राष्ट्र का विकास संभव नहीं है।
महामना मालवीय मिशन के राष्ट्रीय सचिव वेद प्रकाश ने महामना और हिंदी के योगदान पर विशेष प्रकाश डाला। राष्ट्रीय कार्यकारिणी अध्यक्ष श्री हरिशंकर सिंह ने अपने संबोधन में बताया कि हिंदी की स्वीकार्यता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रही है।

कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन संजय कुमार, कुलसचिव , आईआईटी पटना ने किया। इस अवसर पर उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों को सम्मानित भी किया गया। इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न शहरों से प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में मृत्युंजय कुमार पांडे, आलोक कुमार सिंह, मुंजार सिंह, आर.के. चतुर्वेदी, शिवजी चतुर्वेदी समेत कई गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे।

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