बिहार

नियमित जांच व समुचित निगरानी से गर्भावस्था संबंधी जोखिम को कम करना संभव

अररिया(रंजीत ठाकुर): प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना के तहत हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के मामलों को चिह्नित कर सुविधाजनक व सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा देने की पहल की जा रही है। इसी कड़ी में गर्भावस्था के उच्च जोखिम वाले मामलों को चिह्नित करते हुए इसके कुशल प्रबंधन विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन जिला स्वास्थ्य समिति सभागार में किया गया। सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह की अध्यक्षता में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में यूनिसेफ के जिला प्रतिनिधि एम हाशमी ने इस संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ साझा किया। कार्यक्रम में एसीएमओ डॉ राजेश कुमार, डीईओ डॉ मोईज, डीपीएम संतोष कुमार, डीपीसी राकेश कुमार, डीसीएम सौरव कुमार सहित जिले के मेडिकल ऑफिसर, हेल्थ मैनेजर, बीएचएम, बीसीएम सहित अन्य उपस्थित थे।

जोखिमों से बचने के लिये नियमित जांच जरूरी –

सिविल सर्जन ने बताया कि शारीरिक, मानसिक व जीवनशैली से जुड़े कुछ कारणों की वजह से कुछ महिलाओं का प्रसव सामान्य महिलाओं की तुलना में अधिक जटिल हो जाता है। इसे हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के तौर पर जाना जाता है। गर्भावस्था के दौरान खून या अन्य पोषक तत्वों की कमी, हाईपरटेंशन, डायबिटीज, एचआईवी, गर्भ में जुड़वा बच्चे होना, पिछला प्रसव सिजेरियन होना या गर्भपात होना, कम या ज्यादा उम्र में गर्भधारण इसका मुख्य कारण हो सकता है। इन समस्याओं की वजह से गर्भवती माताएं व होने वाले बच्चों को जान का खतरा हो सकता है। एसीएमओ डॉ राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि प्रसव संबंधी ऐसे मामलों के निष्पादन में अत्यधिक निगरानी व प्रशिक्षित चिकित्सकों की मदद जरूरी होता है। हाई रिस्क प्रेग्नेंसी के मामले में विशेषज्ञ चिकित्सकों की देखरेख में नियमित जांच व उपचार महत्वपूर्ण है। इससे प्रसव संबंधी जटिलताओं को काफी हद तक टाला जा सकता है।

उच्च जोखिम वाले मामलों का कुशल प्रबंधन जरूरी-

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प्रशिक्षण कार्यक्रम में डीआईओ डॉ मोईज ने बताया कि कुशल प्रबंधन से उच्च जोखिम वाले गर्भावस्था संबंधी मामलों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके लिये जरूरी है कि गर्भधारण करने से पहले संबंधित सभी मामलों की गंभीरता पूर्वक विचार जरूरी है। यूनिसेफ के जिला प्रतिनिधि एम हाशमी ने बताया कि हाई रिस्क प्रेग्नेंसी से बचने के लिये महिलाएं अपनी जीवनशैली में बदलाव ला सकती है। नशापान से दूरी, सही व उत्तम आहार का सेवन, पर्याप्त आराम, भरपूर नींद, दैनिक व्यायाम सहित अन्य पहलुओं का विशेष ध्यान रखकर इसका कुशलतापूर्वक प्रबंधित किया जा सकता है।

समुचित निगरानी व देखभाल जरूरी –

डीपीएम स्वास्थ्य संतोष कुमार ने बताया कि समुचित निगरानी व देखभाल की मदद से हाई रिस्क प्रेग्नेंसी को सुरक्षित करने के लिये प्रसव पूर्व नियमित जांच जरूरी है। ताकि समय रहते विसंगतियों का पता लगाकर इसे उपचारित किया जा सके। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य प्रसव संबंधी ऐसे ही मामलों को चिह्नित कर सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा देना है। हर माह आयोजित होने वाले इस अभियान में प्रसव पूर्व जांच व जरूरी दवाएं गर्भवती महिलाओं को नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है। उन्होंने प्रसव पूर्व चार जांच को जरूरी बताया।

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