जमुई(मो.अंजुम आलम): अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर भारत बंद को सफल बनाने के लिए मंगलवार को शहर के कचहरी चौक पर किसान- मजदूरों के साथ-साथ विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता ने सड़क जाम कर दिया और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी किया। इस दौरान महागठबंधन के कार्यकर्ताओं ने शहर में मार्च कर बारी-बारी से सभी दूकानों को बंद कराया। साथ ही केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर बवाल काटा। बंद के दौरान कचहरी चौक पर भाकपा माले के जिला सचिव कामरेड शंभू शरण सिंह, सीपीआई के जिला सचिव नवल किशोर सिंह, आरजेडी के जिला अध्यक्ष सरयुग यादव, प्रदेश महासचिव डॉ. त्रिवेणी यादव, पूर्व प्रदेश महासचिव गोपाल गुप्ता सीपीआई के गजाधर रजक, कांग्रेस के जिला अध्यक्ष हरेंद्र सिंह, धर्मेंद्र मुखिया, सीपीएम के नागेश्वर यादव नरेश ,जयराम तुरी, सुभाष सिंह प्रवीन पांडे सहित बड़ी संख्या में लोग कचहरी चौक पर उपस्थित थे। बंद के बाद सभी कार्यकर्ताओं ने थाना पहुंचकर गिरफ़्तारी दी। इस मौके पर आइसा के प्रदेश उपाध्यक्ष बाबू साहब ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि संसद के भीतर बिना बहस कराए गैर लोकतांत्रिक तरीके से पूंजीपतियों को मुनाफा दिलाने के लिए 3 किसान विरोधी काला कानून लाया है। जो पूरी तरह किसान विरोधी है। सभा को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिव सागर शर्मा ने कहा कि सरकार यह किसान विरोधी तीनों काले कानून को वापस नहीं लेगा तो मोदी सरकार को सत्ता से जाना होगा। उन्होंने कृषि के तीनों बिल को विस्तारपूर्वक से बताया।
पहला आवश्यक वस्तु,संसोधन कानून-
बताते हुए कहा कि कोई भी एक पूंजीपति या पूंजीपतियों का समूह गेंहू, चावल, दाल, तिलहन, सब्जी समेत जितना भी कृषि उत्पाद है उसको खरीद कर रख सकता है और सरकार उसके ऊपर किसी भी तरह का नियंत्रण नहीं रख सकती। जो किसानों के हक़ में नाइंसाफी है। उन्होंने कहा कि कोई पूंजीपति फ़सल उत्पादों की जमाखोरी जितनी चाहे करे, सस्ते दर पर किसानों से फसलें खरीदें और जितने ऊंचे दाम में बेचना चाहे बेच सकता है। इससे बेइंतहा महंगाई बढ़ेगी, उपभोक्ता समेत आम नागरिक तबाह हो जायेगा। साफ है कि इस कानून में किसानों को लूटने के सिवा और कुछ नहीं मिलना है। दूसरा कानून कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून 2020 है।
उन्होंने कहा जो कांट्रैक्ट फार्मिंग का कानून है। इस कानून में पूंजीपति जिस रूप में चाहे किसानों से समझौता करने के बाद उनकी खेती लेकर खेती कराए और अगर वह पूंजीपति मनमानी करे तो उसके खिलाफ किसान कोर्ट में मुकदमा भी नहीं कर सकता। अंग्रेजों ने भी इतना काला कानून बनाने का साहस नहीं किया था जितना मोदी सरकार कर रही है।
तीसरे कानून कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून 2020-
इस कानून में निजी क्षेत्र के फसलों को खरीदने का पूरा अधिकार है। इसमें सरकार पूंजीपतियों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने के लिए बाध्य भी नहीं कर सकती है। दरअसल सरकार की मंशा है कि वह कृषि बाजार को पूरी तौर पर कारपोरेट के हवाले कर दे। जबकि देश की अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए किसानों और नागरिकों के लिए यह जरूरी था कि सरकार फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए कानून बनाती और फसलों की खरीद और भुगतान की गारंटी करती।
जाम से वाहनों की लगी लंबी कतार-
भारत बंद के दौरान कचहरी चौक पर विभिन्न दल द्वारा जाम करने के दौरान तकरीबन 5 घंटे तक छोटी बड़ी वाहनों की लंबी कतार लगी रही। जाम में फंस कर लोग परेशान होते रहे। कचहरी चौक के चारों ओर फांसी वाहनों के साथ-साथ यात्री भी परेशान रहे। जाम में कैदी वाहन, डाक विभाग का वाहन सहित अन्य वाहनों को 5 घंटे तक इंतेज़ार करना पड़ा