बिहार

विश्व मलेरिया दिवस : संक्रमित मादा एनोफिलिज मच्छर के काटने से होता है मलेरिया : डॉ जे पी सिंह

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कटिहार, (न्यूज क्राइम 24)  जिले में 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया गया। इस दौरान जिला के सभी अस्पतालों में उपस्थित लोगों को मलेरिया से बचाव को लेकर जागरूक किया गया जिसमें लोगों को मच्छरों, मच्छर जनित बीमारियों, उसने बचाव और प्रबंधन की जानकारी दी गई। इस वर्ष विश्व मलेरिया दिवस की थीम “अधिक न्यायसंगत विश्व के लिए मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में तेजी लाना” रखा गया है जिसके तहत लोगों को मलेरिया के प्रति जागरूक करते हुए सभी को इससे सुरक्षित रखना है। जिले के सदर अस्पताल स्थित एएनएम स्कूल में आयोजित कार्यक्रम में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जे पी सिंह के साथ भीडीसीओ एन के मिश्रा, सलाहगार जे पी महतो, भीडीसीओ सुप्रिया कुमारी, एएनएम स्कूल प्रिंसिपल, एएनएम स्कूल शिक्षक, फाइलेरिया नियंत्रण कर्मी साधना कुमारी, सीफार डीसी पल्लवी कुमारी सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित रहे।

स्वास्थ्य विभाग द्वारा वर्ष 2030 तक मलेरिया को खत्म करने का रखा गया है लक्ष्य :

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ जे पी सिंह ने बताया कि पूरे विश्व में मलेरिया को समाप्त करने के लिए विभिन्न प्रयास किये जा रहे हैं। मलेरिया के प्रति जागरूकता लाने के लिए समुदाय के आखिरी पायदान के लोगों को इसके लक्षणों के बारे में जानकारी पहुंचनी होगी। लोगों को अपने आसपास नाली, पशु रखने वाली जगहों को नियमित साफ-सुथरा रखने के लिए प्रेरित करना होगा। उन्होंने कहा कि मलेरिया जैसे रोग के प्रति लापरवाही न बरतें, ये खतरनाक साबित हो सकता है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा वर्ष 2030 तक मलेरिया को खत्म करने का लक्ष्य है। जिसके लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करना होगा। विश्व मलेरिया दिवस पर जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया है जिससे कि सभी लोग मलेरिया के प्रति जागरूक रह सके।

संक्रमित मादा एनोफिलिज मच्छर के काटने से होता है मलेरिया :

डॉ जे पी सिंह ने बताया मलेरिया प्लाजमोडियम नामक परजीवी से संक्रमित मादा एनोफिलिज मच्छर के काटने से होता है। मलेरिया एक प्रकार का बुखार है जो किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है। इसमें कंपकंपी के साथ 103 से लेकर 105 डिग्री तक बुखार होता है। कुछ घंटों के बाद पसीने के साथ बुखार उतर जाता है, लेकिन बुखार आते-जाते रहता है। फाल्सीपेरम मलेरिया की अवस्था में तेज बुखार होता है। खून की कमी हो जाती है। बुखार दिमाग पर चढ़ जाता है। फेफड़े में सूजन हो जाती है। पीलिया एवं गुर्दे की खराबी फेलसीपेरम मलेरिया की मुख्य पहचान है।

सरकारी अस्पतालों में जांच और इलाज की नि:शुल्क व्यवस्था :

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डॉ सिंह ने बताया कि मलेरिया बुखार होने पर पीड़ित व्यक्ति को नजदीकी सरकारी अस्पताल जाना चाहिए। खून की जांच में मलेरिया निकलने पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवा लेनी चाहिए। सरकारी अस्पतालों में इसकी निःशुल्क जांच और इलाज की व्यवस्था है। मलेरिया फैलाने वाला मच्छर किसी स्थान पर ठहरे हुए साफ पानी और धीमी गति से बहने वाली नालियों में अंडे देती है और वहां पर पनपती है। उन्होंने बताया कि मलेरिया के लक्षणों में सिर में तेज दर्द होना, उल्टी होना, जी मिचलाना, उल्टी होना या जी मचलना, हाथ पैरों के जोड़ में दर्द, कमजोरी व थकान, खून की कमी, आंखों की पुतलियों का रंग पीला होना, पसीना निकलने के बाद बुखार कम होना, तेज कंपन के साथ बुखार आना आदि हैं। मलेरिया के बुखार के कारण मरीज बेहोश भी हो सकता है।

सावधानी अपनाकर करें स्वयं के साथ अपनों की सुरक्षा:

भीडीसीओ एन के मिश्रा ने बताया कि मलेरिया से सुरक्षा के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरुरी है। पूरे बदन को ढकने वाले कपड़े पहनें और सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। घर के आसपास जलजमाव वाली जगहों को मिट्टी से भर दें। जलजमाव वाले स्थान पर केरोसिन तेल या डीजल डालें। घर के आसापस बहने वाली नाले की साफ-सफाई करते रहें। मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों में विभाग की तरफ से एसपी छिड़काव कराया जाता है। छिड़काव कर्मियों के आने पर उनका सहयोग करें और छिड़काव की तिथि की जानकारी ग्रामीणों को दें।

मच्छर से होने वाले अन्य बीमारियों के लिए भी लोगों को किया गया जागरूक :

विश्व मलेरिया के अवसर पर फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट ग्रुप में नेटवर्क मेंबर्स द्वारा भी समुदायिक स्तर पर कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को मच्छर जनित रोगों के लिए जागरूक करने में सहयोग किया गया। कोढ़ा प्रखंड के बसगढ़ा पंचायत में नेटवर्क सदस्य बासुदेव साह द्वारा भीएचएसएनडी साइट पर आए हुए लाभार्थियों को फाइलेरिया के साथ मलेरिया के प्रति भी जागरूक किया गया। लोगों को एएनएम के द्वारा मलेरिया के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी मिल सकता है। फाइलेरिया के तरह ही मलेरिया बीमारी भी मादा मच्छर के काटने से ही होता है। मच्छरदानी में ही सभी को सोना है। और किसी बर्तन बगेरह में पानी भरकर नहीं रखना है। एक सप्ताह से ज्यादा दिन बुखार रहे तो नजदीकी अस्पताल में जाकर जांच करा लेना है। ऐसा करने से लोग मलेरिया के ठीक हो सकते हैं और अपनी सामान्य जीवन यापन कर सकते हैं।

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