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24 के लिए 26 दलों का गठबंधन 23 में ही बिखर जाएगा : मंगल पांडेय

पटना(न्यूज क्राइम 24): बेंगलुरू में आयोजित विपक्षी दलों की बैठक पर पूर्व स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडेय ने तंज कसा है। श्री पांडेय ने कहा कि 24 के लिए 26 दलों का गठबंधन 23 में ही बिखर जाएगा। देश की संपत्ति को लूटने वाले आज देश और लोकतंत्र बचाने की दुहाई दे रहे हैं। यह बैठक देशहित के लिए नहीं, बल्कि स्वहित और परिवारहित के लिए है। इसमें शामिल कई ऐसे दल हैं, जिसके नेता न सिर्फ भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं, बल्कि जमानत पर हैं। ऐसे नेताओं को फिर से जेल जाने का डर सता रहा है। इसलिए एक-दूसरे के धुर विरोधी होने के बावजूद एक मंच पर आकर पीएम श्री नरेन्द्र मोदी को हटाने का दिवास्वप्न देख रहे हैं, लेकिन गठबंधन के मुकाबले को एनडीए में शामिल 38 पार्टियां पूरी मुस्तैदी से तैयार हैं।

श्री पांडेय ने कहा कि विपक्षी एकता का हाल ‘एक अनार और सौ बीमार’ वाला है। यह अलग बात है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेसी प्रधानमंत्री के रेस में नहीं है और न ही सत्ता के लिए लालायित है, लेकिन बैठक में जितने चेहरे थे सभी की लालसा प्रधानमंत्री बनने की ही है। इसके लिए कई नेताओं ने तो पूर्व में भी गठबंधन बनाने कोशिश की थी, लेकिन नतीजा सिफर निकला था। अब एक बार फिर सभी एक मंच पर साथ आए हैं, लेकिन इस बैठक का नतीजा भी ‘ढाक के वही तीन पात’ वाला होगा। विभिन्न राज्यों में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों से पूर्व ही स्वार्थ के लिए बने इस गठबंधन में दरार पड़ना तय है। सिद्धांत और नेताविहीन विपक्षी एकता के पास न कोई विजन है और न कोई मुद्दा। विपक्षी दलों का बस एक ही मुद्दा है ‘मोदी हटाओ और खुद को बचाओ’ न की देश बनाओ।

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श्री पांडेय ने कहा कि जैसे पहली बैठक के बाद रांकपा टूटी थी, ठीक उसी तरह तीसरी बैठक से पूर्व ही गठबंधन में शामिल कई पार्टियां टूटेगी। कई राज्यों में इसकी पटकथा भी लिखी जा रही है। उत्तर-पूर्व के कई राज्यों के कांग्रेस नेतृत्व ने विपक्षी दलों की बैठक पर आपत्ति भी जतायी है। पश्चिम बंगाल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी बंगाल में तृणमूल से गठबंधन पर पूर्व में ही असहमति जता चुके हैं। इसके अलावे वाम के भी सुर कुछ अलग थे, लेकिन सत्तालोलुपता के आगे सभी एकजुटता दिखाने में लगे हुए हैं। यह स्थिति सिर्फ उत्तर-पूर्व की नहीं, बल्कि कमोवेश अन्य राज्यों में भी है। जहां दल मिल रहे हैं, लेकिन दिल नहीं मिल रहे। विपक्षी दलों का गठबंधन की बुनियाद स्वार्थ पर टिकी है। स्वार्थ पूरा नहीं होगा, तो इसमें शामिल दलों के नेता कभी भी ऐसे तथाकथित गठबंधन से तौबा कर लेंगे।

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