बिहार

बकरीद की नमाज को लेकर ईदगाह और मस्जिदों में तैयारियां पूरी

फुलवारीशरीफ(अजीत यादव): लॉक डाउन के समाप्ति के बाद इस बार फिर से त्याग व कुर्बानी का त्यौहार बकरीद को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोगों में विशेष उत्साह का माहौल देखा जा रहा है । बाजारों में खरीदारी को लेकर चहल-पहल के बीच मस्जिद चौराहा नया टोला नहरपुरा ईसापुर कर्बला हारून नगर मोड़ नोहसा मोड़ ख़लीलपुरा टमटम पड़ाव आदि जगहों पर बकरों का बाजार भी सजा है । वही पर्व पर सेवई लच्छा नानरोटी बाक़र खानी समेत जरूरी सामानों की दुकाने सजी हैं। फुलवारी शरीफ के प्रसिद्ध खानकाह मुजीबिया शाही संगी मस्जिद नया टोला हारून नगर इलाके में सबसे ज्यादा बकरीद की नमाज में नमाजियों की भीड़ जुटती है जहां नमाज के लिए सभी तैयारियों को पूरा कर लिया गया है। मस्जिदों को ईद गाहों को साफ सफाई और रंग रोगन कर सजाया गया है।

कुर्बानी की ईद बक़रीद पर अपने रब के लिए कुर्बानी दो

इस्लामिक कैलेण्डर का अंतिम महिना ईदुलअजहा (बकरीद) है। इदुलअजहा के माने कुर्बानी की ईद है यानि कुर्बानी की खुशी है। यह ईद दशवीं जिलहिज्जा को मनायी जाती है।ये वह दिन है जिसमें हजरत इब्राहिमईस्लाम ने अल्लाह ताला का हुक्म व इशारा पाकर अपने लख्तेजिगर नुर-ए-नजर दिल का टुकड़ा हजरत इस्माईल अलैहईस्लाम को अल्लाह की रजामंदी के लिए कुर्बानी के लिए पेश कर दिये। अल्लाह के हुजुर में पेश करके अपनी सच्चाई वफादारी और सौ फिसदी अल्लाह की हुक्म का सबुत दिया था और अल्लाह ताला ने कुर्बानी की इस इम्तेहान में उन्हें कामयाब करार दिया और हजरत इस्माइल अलैह इस्लाम की जगह एक जानवर की कुर्बानी कबुल फरमायी थी।

इमारत शरिया के कार्यवाहक नाजिम मौलाना मोहम्मद शिबली अल कासमी ने बताया कि कुर्बानी एक आलमगीर इबादत है। जो हर मजहब, हर कौम में कुर्बानी को ईबादत करार दिया है। दुसरे मजहब की तरह इस्लाम में कुर्बानी को इबादत का एक अहम अंग माना गया है। हजरत इब्राहिम अलैहस्लाम के जमाने से लेकर आज तक कुर्बानी का रस्म चली आ रही है। अल्लाह ताला का इरशाद है कि हमने हर उम्मत के लिए कुर्बानी मुकर्रर की।

किन लोगों पर है कुर्बानी फर्ज-

  1. वैसे लोग जिनके पास साढ़ेसात भर सोना और साढ़े बावन भर चांदी हो या इतनी ही किमत की संपति हो तो उसपर कुर्बानी फर्ज है।
  2. कुर्बानी के गोस्त को तीन हिस्सो में बांटना चाहिए। पहला हिस्सा कुर्बानी करने वालों का, दुसरा हिस्सा सगे संबंधी रिश्तेदारों का जबकि तीसरा हिस्सा फकीरों, मांगनेवालों, मोहताजों का होता है। चमड़े के पैसे को गरीबों में बांटना होता है।

दशवी जिल्हिजा के दिन क्या करना चाहिएसुबह सवेरे नहा धोकर तैयार होना चाहिए। साफ और पाक कपड़े पहने और तीसरा कलमा जोर जोर से पढ़ते हुए ईदगाह या मस्जिद में जाये और नमाज पढ़ने के बाद दुसरे रास्ते से लौटे । वापस आकर कुर्बानी करें। युं तो कुर्बानी का रस्म तीन दिन तक चलता है।

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फुलवारी शरीफ के विभिन्न इलाके में बकरीद की नमाज का समय

फुलवारी शरीफ के

खानकाह मुजीबिया – 8:50 बजे
छोटी ख़ानक़ाह मस्जिद -9:00 बजे
शाही संगी मस्जिद – 7: 00 बजे
नोहसा जामा मस्जिद – 7:15 बजे
नोहसा कॉलोनी अब्दुल गनी मस्जिद में दो जमाअत होगी , पहली जमाअत 6:30 और दूसरी जमाअत 7:30 बजे

मिल्लत कॉलोनी अपना घराना मस्जिद – 6:45
चौराहा जामा मस्जिद मस्जिद – 6:40
मख़्दूम रास्ती कॉलोनी की मस्जिद – 7:00 बजे

ईसापुर पुरानी मस्जिद दो जमात में नमाज अदा होगी। पहली नमाज 6:30 बजे और दुसरी जमात 7:15 बजे

कुर्बान मस्जिद ईसापुर -6:15 बजे
नूरी मस्जिद ईसापुर-6:30 बजे
अबु बकर मस्जिद फेडरल कॉलोनी -6:30 बजे
काजी नगर कॉलोनी मस्जिद – 7:00 बजे
हारून नगर सेक्टर वन ( बड़ी मस्जिद)- 7:30 बजे
हारुण नगर सेक्टर टू – 7:00 बजे
हारुण नगर सेक्टर टू ( छोटी मस्जिद) – 7:15 बजे
नया टोला जामा मस्जिद – 7:00 बजे
बैतूल करीब मस्जिद – 7:00 बजे
मरियम मस्जिद मौलाबाग – 6:45 बजे
कर्बला मस्जिद – 7:00 बजे
ताज नगर मस्जिद – 7:30 बजे
बीबी सदरू निशा मस्जिद मिनहाज नगर -7:15 बजे
खलील पुरा मस्जिद 7:30 बजे

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