बिहार

राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह जागरूकता अभियान का हुआ आयोजन

पूर्णिया, (न्यूज़ क्राइम 24) स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले में 15 से 21 नवंबर तक राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह के रूप में मनाया जा रहा है। इस दौरान स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा लोगों को गर्भवती महिलाओं की नियमित जांच और स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराते हुए नवजात शिशु मृत्यु को रोकने के लिए जागरूक किया जा रहा है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (जीएमसीएच), पूर्णिया में जागरूकता रैली का आयोजन किया गया। इस दौरान प्रभारी सिविल सर्जन डॉ आर पी मंडल द्वारा हरी झंडी दिखाकर प्रशिक्षु एएनएम द्वारा अस्पताल में उपलब्ध लोगों को रैली के द्वारा जागरूक किया गया। इस दौरान एपिडेमियोलॉजिस्ट नीरज कुमार निराला, जिला लेखा प्रबंधक पी. मिश्रा, पिरामल स्वास्थ्य जिला लीड चंदन कुमार, प्रोग्राम लीड सनत गुहा, संध्या कुमारी, पिरामल डीपीसी सहित अन्य स्वास्थ्य अधिकारी और कर्मी उपस्थित रहे। इस वर्ष राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह का थीम “नवजात शिशु में रोगाणुरोधी प्रतिरोध को रोकने के लिए रोगाणुरोधी उपयोग को अनुकूलित करना” रखा गया है।

नवजात शिशु मृत्यु दर कम करने का रखा गया है लक्ष्य :

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प्रभारी सिविल सर्जन डॉ आर पी मंडल ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर साल 15 से 21 नवंबर तक राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह मनाया जाता है। इस दौरान लोगों को नवजात शिशु के बेहतर स्वास्थ्य के लिए ध्यान रखने योग्य सुविधाओं की जानकारी देते हुए इसका लाभ उठाने के लिए जागरूक किया जाता है। राज्य प्रजनन दर 2020 के अनुसार बिहार में 1000 बच्चों के जन्म में नवजात शिशु मृत्यु दर 21 दर्ज किया गया है। नेशनल हेल्थ पॉलिसी द्वारा इसे नियंत्रित करते हुए वर्ष 2025 तक नवजात शिशु मृत्यु दर को 1000 बच्चों के जन्म में 16 करना रखा गया है। इस लक्ष्य प्राप्ति के लिए बिहार स्वास्थ्य विभाग सतत प्रयासरत हैं। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जागरूकता अभियान आयोजित कर लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जा रहा है। गर्भवती महिलाओं की नियमित जांच और टीकाकरण सुनिश्चित करते हुए चिकित्सकों की निगरानी में संस्थागत प्रसव सुनिश्चित करने से नवजात शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित किया जा सकता है। इस के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जागरूकता अभियान आयोजित कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है जिससे कि लोगों द्वारा इसका लाभ उठाते हुए नवजात शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित किया जा सके।

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