फुलवारी शरीफ़, अजीत। रविवार को प्रेमालोक मिशन स्कूल की तीसरी शाखा का नेपाल बोर्डर से सटे बीरपुर अनुमंडल के बीरपुर में अति उत्तसाहित वातावरण में शुभारंभ हुआ. इस अवसर पर क्षेत्र के गणमान्य लोगों एवं प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति रही. पर्यावरण संरक्षण के साथ शिक्षा की रौशनी फैलाने और राष्ट्र प्रेम से ओतप्रोत करने वाले शैक्षणिक संस्थान प्रेमालोक मिशन स्कूल के शाखा में पहले ही दिन नामांकन के लिए बड़ी संख्या में अभिभावकों की भीड़ उमड़ पड़ी. इस अवसर पर साधु भंडारा की भी व्यवस्था की गई.
गुरुदेव प्रेम जी ने बताया की शिक्षक वह है जो बच्चे में इस संपूर्ण सृष्टि को समझने का बीजारोपण करते हैं.इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि शिक्षण एक महान पेशा है.उन्होंने उपस्थित स्टूडेंट्स को बताया की अपनी शिक्षा को केवल कक्षा तक ही सीमित न रखें, बल्कि इस ब्रह्मांड को अपनी कक्षा बनाएं और मौजूदा अनंत संभावनाओं को देखें. उन्होंने स्कूल की परिभाषा बताते हुए समझाया की विद्यालय एक मन्दिर है और पुस्तक मन्दिर की प्रतिमा है।
पन्ने पूजा की थाली है और शब्द चन्दन, अक्षत, धूप तथा नैवेदय है.अक्षर मन्दिर की सीढ़ी, शिक्षा मन्दिर का दीपक और छात्र-छात्राएं दीपक की लौ है.दीपक की लौ रुपी छात्र-छात्रा ही देश के भविष्य है जो देश से अंधकार को दूर करके प्रकाश लायेंगे और दीपक को जलाने वाले “शिक्षक” माचिस की तीली सामान है।