बिहार

एनसीसी कैडेट्स को दी गई फाइलेरिया की जानकारी

पूर्णिया(न्यूज क्राइम 24): फाइलेरिया एक संक्रामक बीमारी है जो क्यूलेक्स मादा मच्छरों के काटने से होता है। इससे सुरक्षा के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिले के भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय में आर्मी परीक्षा के लिए उपस्थित एनसीसी कैडेट्स के बीच जागरूकता अभियान चलाया गया। आयोजित कैम्प में सभी एनसीसी कैडेट्स को फाइलेरिया पहचान के लक्षण एवं सुरक्षित रहने के लिए आवश्यक जानकारी के प्रति जागरूक किया गया। कार्यक्रम में कमांडर रणधीर सिंह, शेर सिंह, कटिहार आर्मी भर्ती अधिकारी के साथ सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) जिला समन्वयक ज्योति प्रिया, निरंजन पंडित एवं अमन कुमार उपस्थित रहे।

10 कॉलेज के 214 एनसीसी कैडेट्स रहे उपस्थित :


आयोजित आर्मी की परीक्षा के लिए 10 कॉलेज की 85 महिला एवं 129 पुरुष एनसीसी कैडेट्स उपस्थित हुए थे। इसमें फारबिसगंज कॉलेज अररिया, केबी झा कॉलेज कटिहार, एमजेएम कॉलेज कटिहार, डीएस कॉलेज कटिहार, जीएलएम कॉलेज बनमनखी, जीबी कॉलेज नवगछिया, गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक कॉलेज बहादुरगंज, भोला पासवान शास्त्री कृषि कॉलेज पूर्णिया, पूर्णिया कॉलेज पूर्णिया एवं महिला कॉलेज पूर्णिया के कैडेट्स उपस्थित थे।

क्यूलेक्स मादा मच्छर के काटने से होता है फाइलेरिया :

Advertisements
Ad 2


आयोजित कैम्प में सभी एनसीसी कैडेट्स को बताया गया कि फाइलेरिया बीमारी संक्रमित क्यूलेक्स मादा मच्छर द्वारा सामान्य व्यक्ति को काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है जिसे आम भाषा में हाथीपांव भी कहा जाता है। फाइलेरिया से ग्रसित व्यक्ति के पैरों व हाथों में सूजन हो जाता है। कुछ फाइलेरिया ग्रसित लोगों के अंडकोश में भी सूजन हो जाती जो फाइलेरिया ग्रसित होने के लक्षण में शामिल हैं। व्यक्ति किसी भी उम्र में फाइलेरिया से संक्रमित हो सकते हैं। किसी भी व्यक्ति को संक्रमण होने के पश्चात 05 से 15 वर्ष का समय लग सकता है। इसके शुरुआत में ही अगर संक्रमित व्यक्ति द्वारा एमडीए की दवा का सेवन किया गया तो वह इस बीमारी से सुरक्षित हो सकते हैं।

फाइलेरिया से सुरक्षा के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा हर साल चलाया जाता है सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम :


सभी कैडेट्स को बताया गया कि फाइलेरिया जैसी संक्रामक बीमारियों से सुरक्षा के लिए सभी लोगों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा घर-घर जाकर दवाइयां खिलाई जाती हैं। जिसे सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम (एमडीए) कार्यक्रम कहा जाता है। इस कार्यक्रम के द्वारा क्षेत्र की आशा कर्मियों व आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा लोगों को घर-घर जाकर दवा खिलाई जाती है।

एमडीए कार्यक्रम के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा लोगों को डीईसी, अल्बेंडाजोल व आइवरर्मेक्टिन की दवाइयां खिलाई जाती हैं। सभी दवाइयां 02 साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर बीमारियों से ग्रसित बच्चों के अलावा अन्य सभी लोगों को उम्र के अनुसार निश्चित मात्रा में खिलाया जाता है। सभी लोगों को डी.ई.सी. एवं अल्बेंडाजोल की गोलियां उम्र के अनुसार तथा आइवरर्मेक्टिन की गोलियाँ ऊँचाई के आधार पर खिलाई जाती है।

Related posts

अपराधियों ने युवक की गोली मारकर कर दि हत्या

पुलिस पर लगा अधिवक्ता के पिटाई का‌ आरोप, विरोध में दानापुर न्यायालय के अधिवक्ताओं ने‌ काम काज रखा ठप

मोदी जी को छोड़ दें तो आज बिहार में किसी बीजेपी नेता के नाम पर 5 वोट भी नहीं : प्रशांत किशोर