बिहार

विविधतापूर्ण आहार अपनाएँ और अनीमिया से बचें

पूर्णिया, (न्यूज़ क्राइम 24) जिले के एक निजी होटल में जिलास्तरीय समीक्षा बैठक में अनीमिया मुक्त भारत और सामुदायिक आधारित कुपोषण प्रबंधन (सी-मैम) कार्यक्रम की प्रगति पर व्यापक चर्चा हुई। इस बैठक का उद्देश्य अनीमिया और कुपोषण की मौजूदा स्थिति का आकलन करना, समाधान की रणनीतियाँ तैयार करना और कार्यक्रमों के प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर देना था। यूनिसेफ, एम्स (AIIMS) पटना और जिला स्वास्थ्य विभाग, पूर्णिया के संयुक्त प्रयास से आयोजित इस बैठक में समेकित बाल विकास सेवा परियोजना (आईसीडीएस), पंचायती राज विभाग और अन्य विभागों के प्रतिनिधियों सहित जिले में कार्यरत अन्य सहयोगी संस्थाओं और क्षेत्रीय स्वास्थ्य कर्मियों ने भाग लिया। बैठक में कुपोषण और अनीमिया के स्तर में सुधारने के लिए जीवनचक्र दृष्टिकोण को अपनाने पर जोर दिया गया। बैठक का उद्घाटन सिविल सर्जन डॉ. प्रमोद कुमार कानोजिया ने किया। उन्होंने अनीमिया और कुपोषण जैसी समस्याओं को हल करने के लिए विभिन्न विभागों के साथ समन्वय स्थापित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया और इन कार्यक्रमों में यूनिसेफ द्वारा दिए जा रहे तकनीकी सहयोग की सराहना की। उन्होंने कहा, “हर लाभार्थी को अपना समझें और उनके कल्याण के लिए व्यक्तिगत रूप से प्रयास करें।” उन्होंने जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।

डॉ संजय पाण्डेय, एम्स (AIIMS) पटना, डॉ अंतर्यामी दास, पोषण विशेषज्ञ, यूनिसेफ, डॉ सिद्यार्थ रेड्डी, स्वास्थ्य विशेषज्ञ, यूनिसेफ द्वारा संयुक्त रूप से बताया गया कि अनीमिया और कुपोषण का प्रभाव केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है बल्कि यह पूरे समाज की प्रगति को बाधित करता है। बेहतर पोषण के बिना, न केवल मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर बढ़ती है, बल्कि बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास भी बाधित होता है।” उन्होंने बताया कि समुचित पोषण, जैसे कि आयरन-फोलिक एसिड की पूर्ति, आयरन सुक्रोज का उपयोग और बच्चों में विविधतापूर्ण आहार को बढ़ावा देकर ही इस समस्या का समाधान किया जा सकता है। यूनिसेफ की पोषण पदाधिकारी डॉ. शिवानी दर और डॉ. संदीप घोष ने जिला स्तर पर अनीमिया और कुपोषण के सामुदायिक प्रबंधन से संबंधित मौजूदा चुनौतियों और रणनीतियों को साझा किया। उन्होंने कहा, “प्रभावी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए समन्वित और ठोस प्रयास आवश्यक हैं।”

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बैठक में ठोस कार्य योजनाएँ बनाई गईं : जैसे, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं में गंभीर अनीमिया को प्रभावी रूप से प्रबंधित करने के लिए प्रखंडवार गंभीर अनीमिया से ग्रसित गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं की मैपिंग कर लक्ष्य निर्धारण कर उचित प्रबंधन किया जाए, जिले के चिन्हित अस्पतालों में आयरन सुक्रोज की उपलब्धता सुनिश्चित करते हुए खुराक में वृद्धि करना, गंभीर तीव्र कुपोषित (सैम) बच्चों की पहचान और उनके लिए सामुदायिक प्रबंधन सेवाओं को सुदृढ़ करना, प्रखंड और जिला स्तर पर अनीमिया से ग्रस्त महिलाओं को खून चढ़ाने एवं अन्य रिपोर्टिंग प्रक्रिया में सुधार करना, प्रखंड स्तर पर प्रति माह पोषण ट्रैकर के आंकड़ों की समीक्षा कर कुपोषित बच्चों की पहचान कर उनका उचित प्रबंधन करना, सीसैम कोबो टूल में चिन्हित कुपोषित बच्चों के कार्यक्रम से छुट्टी एवं फॉलो-अप के आंकड़ों की मासिक समीक्षा करना सुनिश्चित करना तथा पोषण और स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए समग्र और प्रभावी रणनीतियाँ अपनाना, आदि।

कार्ययोजना और निष्कर्ष बैठक के दौरान पोषण और अनीमिया सुधारने के लिए जीवनचक्र दृष्टिकोण अपनाने पर सहमति बनी। जिले में पोषण और स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने के सुझाव दिए गये। बैठक का समापन इस दृष्टिकोण के साथ हुआ कि अनीमिया मुक्त भारत और कुपोषण का सामुदायिक प्रबंधन कार्यक्रम को एक समन्वित और परिणाम-उन्मुख तरीके से लागू किया जाएगा।

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