बलिया, संजय कुमार तिवारी। एक तरफ केन्द्र सरकार से लेकर यूपी सरकार तक किसानों की आय दोगुनी करने की बात कर रही है और यूपी के किसान खुशहाल है लेकिन किसानों की आय दोगुनी तो हुई नही। लेकिन किसान अपनी बदहाली पर आंसू जरूर बहा रहे है ऐसा ही मामला बलिया से है जहां बलिया में बारिश नही होने से किसानों की रोपाई की गई धान की बेहन खेतो में अब सुखने के कगार पर है वही खेतों में अब दरारे पड़ने लगी है।वही एक किसान अपनी खेतों की हालत को देखकर खेतों में सिर पर हाथ रखकर बैठ गया।की हे भगवान अब आप ही इस आपदा से बचाइए । बारिश नही होगी तो खेती कैसे बचेगी, परिवार कैसे जिएंगे काफी मेहनत करके खेतों की जुताई रोपाई कराई जाती है धान की बेहन की रोपाई करने में काफी खर्च लगता है।प्राइवेट ट्यूबल से पानी चलाने के लिए 200 रूपये लगते है अगर दस कट्ठा में चलाएंगे तो एक हजार रुपए लग जाते है ट्यूबल से धान नही होगा जबतक भगवान की कृपा नही होगी तबतक धान नही होगा।
जून माह में एक बूंद पानी नहीं हुआ जुलाई में फुह फाह हुआ भी तो यही हाल है बारिश खत्म हो गई है अगर सरकार की सिंचाई योजना भी यहां पर फ्लॉप हो गई है नहर में पानी तक नहीं आता है नहर तो है लेकिन हम लोग बूढ़ा हो गए लेकिन आजतक पानी नहर में नही आया।अगर आता है तो माघ महीने में एक दो बार आता है जब काम नही होता है तब आता है। जरा नहर को आपलोग भी देख लीजिए क्या सही है और क्या झूठ है ऊपर वाला कहता है की हम तो सफाई करा रहे है पानी पहुंचाने वाला कहा है जब बेलदार रहते थे तो नहरों को देख देख कर नहर की कटाई कराते थे तो पानी आता था लेकिन अब बेलदार भी दिखाई नही देते है सरकार का पैसा बैठले खा रहे हैं।सरकार तो सुविधा दे रही है लेकिन नीचे वाले ही हिला हवाली करते है। नहर में सफाई हुई ही नहीं और नही एक ठोप पानी भी नहीं आया। आप देख लीजिए नहर में पानी भी दिखाई देगी और सफाई भी दिखाई देगी की कितना नहर की सफाई हुई है। सिंचाई विभाग कागजों में नहरों की सफाई कर दी है लेकिन आप जब नहरों की हालत को देखेंगे तो कहेंगे कि कहा नहरों की सफाई हुई है यहां तो बस झाड़ झंखाड़ लगे हुए है।कभी नहरों की सफाई हुई ही नहीं होगी।