बिहार

दलाई लामा ने किया शिलान्यास, बोधगया में 200 करोड़ की लागत से बनेगा भारत-तिब्बत विचार अध्ययन केंद्र

बोधगया(न्यूज़ क्राइम 24, साभार): तिब्बती बौद्ध धर्म गुरु 14 वें दलाईलामा ने मंगलवार को “द दलाई लामा सेंटर फॉर तिब्बतन एंड इंडियन एंशियंट विजडम” का रिमोट के माध्यम से शिलान्यास किया।

इस शिलान्यास समारोह में कानून मंत्री, भारत सरकार किरण रिजिजू, बिहार के कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत, पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी सहित अन्य वरीय मॉन्क्स एवं पदाधिकारीगण भी शरिक हुए।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बिहार सरकार के कृषि मंत्री श्री कुमार सर्वजीत में बताया कि बिहार सरकार द्वारा दलाई लामा सेंटर फॉर द्वितीय एंड इंडियन एंशियंट विजडम की स्थापना का महत्व को ध्यान में रखते हुए बहुत ही महत्वपूर्ण कदम उठाई है।

द दलाई लामा ट्रस्ट को इस संस्थान की स्थापना के लिए निःशुल्क भूमि बोधगया के प्रमुख स्थल पर दिये जाने से लेकर संस्थान के विकास हेतु हर पहलू पर आवश्यक सहयोग बिहार सरकार द्वारा दी जा रही है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दूरगामी सोंच के अनुरूप परम् पावन दलाई लामा जी के सिद्धांत को परिलक्षित करने वाले संस्थान बोधगया में महाबोधि मंदिर के ढाई किलोमीटर की परिधि में स्थापित किया जा रहा है।

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मुख्यमंत्री जी का इच्छा है कि महापावन दलाई लामा जी के सोंच एवं सिद्धांत बोधगया के पावन धरती पर निरंतर मूल्यों के रूप में बने रहें। दलाई लामा सेंटर फॉर द्वितीय एंड इंडियन एंड विजडम के उद्देश्य प्राचीन भारतीय एवं तिब्बत ज्ञान को उन्नत करने के लिए स्थापित किया जाना है।

तिब्बत के उन्नत संस्कृति के साथ भारतीय संस्कृति को समावेश से विश्व को होने वाले योगदान से संबंधित विषयों का अध्ययन कराया जाना है। यह संस्थान विश्व स्तरीय केन्द्र रहेगा, जिसमें प्राचीन भारतीय सोच एवं बुद्धि के उन्नति हेतु शिक्षा अनुसंधान एवं अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

यह संस्थान दुनिया भर के लोगों को परम् पावन दलाई लामा के संस्थान एवं ज्ञान को अध्ययन करने तथा उनके चार जीवन मूल्यों को पूर्ण रूप से लागू करने का अवसर प्रदान करेगा।धर्म को छूए बिना प्रेमपूर्ण दया एवं करूणा के मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देना।

सार्वभौमिक उत्तरदायित्व की वैश्विक भावना को बढ़ावा देना। दुनिया की धार्मिक परंपराओं के बीच अंतर धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देना।कार्यक्रम एवं पाठ्यक्रम मुख्य रूप से प्राचीन भारतीय दर्शन, मनोविज्ञान, तर्कशास्त्र, द्वंद्वात्मक एवं 14वें धर्मगुरू महापावन दलाई लामा की चार प्रमुख जीवन प्रतिबद्धताओं पर आधारित होंगे, जिसमें प्रेम, करूणा, दया, क्षमा एवं सहिष्णुता, जैसे बुनियादी मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देना, अंतर धार्मिक सद्भाव और समक्ष को बढ़ावा देना, तिब्बती संस्कृति और पर्यावरण का संरक्षण एवं आधुनिक भारतीय सभ्यता के भीतर आंतरिक विज्ञान की प्राचीन बौद्ध परंपरा का पुनरूद्धार करना है। 200 करोड़ की लागत से निर्मित होगा भारत तिब्बत विचाराधीन केंद्र। जिसमें भारत और तिब्बत के संस्कृति का समागम दिखेगा। 4 साल में यह अध्ययन केंद्र बनकर तैयार हो जाएगा।

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