अररिया(रंजीत ठाकुर): बढ़ती आबादी पर नियंत्रण करने व परिवार नियोजन के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस का आयोजन किया जाता है। बढ़ती जनसंख्या हमारे विकास की की प्रक्रिया को प्रभावित करती है। किसी इलाके की जनसंख्या जितनी होगी वहां समस्याएं भी उतनी होगी। हमारे आसपास उपलब्ध संसाधन के समान वितरण के लिये जनसंख्या नियंत्रण के उपायों की मजबूती जरूरी है। जिले में इसे लेकर जरूरी तैयारियां शुरू कर दी गयी है। जिले में 27 जून से 10 जुलाई के बीच दंपति संपर्क पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है।
जनसंख्या नियंत्रण के प्रति लोगों का जागरूक होना जरूरी
सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने बताया कि विश्व जनसंख्या दिवस, के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये जिले में विशेष अभियान संचालित किया जा रहा है। विभागीय निर्देश के आलोक में 27 जून से दंपति संपर्क पखवाड़ा अभियान की शुरूआत की गयी है। इसमें जीविका दीदी, विकास मित्र, आशा, आंगनबाड़ी सेविका व स्थानीय जनप्रतिनिधि के सहयोग से परिवार नियोजन के उपायों के प्रति समुदाय को जागरूक करने का प्रयास किया जायेगा। बच्चों में पर्याप्त अंतर रखने, नियोजन के अस्थायी साधनों के महत्व, परिवार का आकार सीमित रखने के प्रति लोगों को जागरूक किया जाना है। नियोजन उपायों के प्रति रूचि लेने वाले दंपति को चिह्नित कर उन्हें इसका लाभ सुनिश्चित कराने का प्रयास किया जाना है। इसके अलावा विभिन्न प्रचार माध्यम व सोशल मीडिया के माध्यम जागरूकता अभियान संचालित किया जाना है।
11 जुलाई से होगा जनसंख्या नियंत्रण पखवाड़ा संचालित –
विश्व जनसंख्या दिवस 11 जुलाई से जिले में जनसंख्या स्थिरता पखवाड़ा संचालित किया जायेगा। इसमें परिवार नियोजन कार्यक्रम तहत उपलब्ध संसाधन, दवा अस्थायी व स्थायी उपायों के प्रति योग्य दंपति को उचित जानकारी देकर उन्हें इसे अपनाने के लिये प्रेरित किया जायेगा। उन्हें जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करायी जानी है। डीपीएम स्वास्थ्य रेहान अशरफ ने कहा कि जिले में परिवार नियोजन उपायों के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है। नियोजन के अस्थायी साधन तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं।
लोकप्रिय हो रहे हैं नियोजन के अस्थायी उपाय-
एनएफएचएस के आंकड़ों के मुताबिक जिले में पांच साल के दौरान नियोजन संबंधी उपाय अपनाने वाले परिवार की संख्या में 20 फीसदी वृद्धि हुई है। जिले में 15 से 49 साल के बीच मां बनने वाली 46 फीसदी महिलाएं किसी न किसी नियोजन उपायों को अपनाती हैं। इसमें 42 फीसदी महिलाएं नियोजन के लिये आधुनिक तरीकों पर विश्वास करती हैं। स्थायी नियोजन के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ कर 36 तक पहुंच गया है। वर्तमान में 0.1 प्रतिशत महिलाएं आईयूपीडी, पीपीआईयूडी का इस्तेमाल करती हैं। वहीं 0.9 फीसदी महिलाएं गर्भ निरोधक गोलियों का इस्तेमाल करती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक नियोजन के लिये लगभग 05 फीसदी कंडोम या गर्भ निरोधक इंजेक्शन का इस्तेमाल होता है।