बिहार

दूर तक फैली है फुलकाहा दुर्गा मंदिर की ख्याति, 87 वर्षों से हो रही है पूजा

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अररिया, रंजीत ठाकुर : नरपतगंज प्रखंड क्षेत्र के फुलकाहा बाजार में एक भव्य सार्वजनिक दुर्गा मंदिर है। जो 87 वर्ष पहले राजा कृत्यानंद सिंह के सहयोग से बनाया गया था। इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है। श्रद्धालुओं की अटूट आस्था है कि यहां हर मन्नते पूरी होती है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह कि यहां सांप्रदायिक सद्भाव का भी अटूट मिशाल देखने को मिलता है। पूजा महोत्सव में मुस्लिम समुदाय के लोग भी उत्साह के साथ भाग लेते हैं। यहां शारदीय नवरात्र में नवयुवक समिति के द्वारा पहली पूजा से लेकर आखिरी पूजा तक भव्य आयोजन किया जाता है। आस्था व विश्वास के साथ नवरात्रि में पूजा-अर्चना के लिए क्षद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।

बुजुर्गों के अनुसार 80 वर्ष पूर्व यहां झोपड़ीनुमा मिट्टी-एवं टीन से निर्मित दुर्गा मंदिर की स्थापना कर पूजा का शुभारंभ किया गया था। लेकिन मां की अपरंपार शक्ति की मुरीद हुए श्रद्धालुओं की आस्था इस मंदिर के प्रति दिन-प्रतिदिन बढ़ती गई। देवी की कृपा से समाज भी शांति एवं सदभाव के साथ प्रगति के पथ पर आगे बढ़ता गया। जिसका फलाफल है कि फूस का यह मंदिर आज भव्य स्वरूप ले चुका है। सामाजिक सहयोग से आज अररिया जिला के सबसे बड़े दुर्गा मंदिर के रूप में फुलकाहा दुर्गा मंदिर को पहचाना जाता है। चर्चा है कि फुलकाहा दुर्गा मंदिर ऐतिहासिक मंदिर है। जो अपने आप में एक विशेष स्थान रखता है। जानकारों के मुताबिक फुलकाहा दुर्गा मंदिर में पिछले 80 वर्षों से प्रत्येक वर्ष मां की प्रतिमाएं स्थापित होती थी।लेकिन 2018 में नवनिर्मित भव्य मंदिर स्थापित के पश्चात माता के साथ सभी प्रतिमाएं संगमरमर की लगाई है। इस बार 2025 में ग्रामीणों एवं नव कमिटी के सहयोग से भव्य माता का अलग से मिट्टी का बनाया गया है। तथा विजयादशमी के रोग रावण दहन का आयोजन किया गया है। बताया जाता है कि फुलकाहा, मानिकपुर, भंगही पंचायत के श्रद्धालुओं का काफी भीड़ होती है।

मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित मनोज झा के अनुसार नवरात्रि के दौरान सप्तमी को मंदिर का पट खुलता है और महानिशा पूजा के साथ सप्तमी तिथि को पूजा का मुख्य अनुष्ठान शुरू हो जाती है। जबकि दसवीं को पूजन अनुष्ठान की समाप्ति पर महिलाओं के द्वारा अबीर-गुलाल खेल का आयोजन बड़े हीं भव्य तरीके से की जाती है और दूसरे दिन गाजे-बाजे के साथ सुरसर नदी में प्रतिमा विसर्जन कर दी जाती है। इस दौरान आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में भक्तगण यहां पूजन कार्यक्रम में शामिल होने आते हैं।

सालों भर होते रहते हैं धार्मिक अनुष्ठान

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वैसे तो इस मंदिर में सालों भर भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। कोई न कोई विशेष धार्मिक अनुष्ठान होते रहते हैं। लेकिन यहां शारदीय नवरात्र के समय का दृश्य देखते हीं बनता है। यहां दुर्गा पूजा दरभंगा के आचार्य राधेश्याम झा जी के द्वारा शास्त्र के अनुसार होती है। नवरात्रि पूजा में यहां श्रद्धालुओं की भारी-भीड़ उमड़ती है। यहां दूर-दराज से श्रद्धालु मन्नतें मांगने आते हैं। मन्नतें पूरी होने पर श्रद्धा अनुसार लोग बढ़-चढ़ कर दान भी देते हैं।

मंदिर की विशेषताएं

इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह कि इस मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में सभी समुदाय के लोग पहुंचते हैं। यहां हर वर्ष पहली पूजा से लेकर दसवीं पूजा की संध्या तक भव्य भक्ति जागरण का आयोजन किया जाता है। पूजा कमिटी के अध्यक्ष श्यामदेव यादव नए पूजा समिति अध्यक्ष सुजीत साहा,मनोज यादव,ब्रजकिशोर राम,रंजीत साह, सोनू साह, रंजीत ठाकुर,महेश गुप्ता, शिव प्रसाद साहा, उमा प्रसाद साहा, पिंटू यादव, आदि ने कहा इस बर्ष का दुर्गा पूजा और बर्ष की भांति भव्य तरीके से किया जाएगा जिसमें अधिक भीड़ होने की संभावना है।

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