बिहार

सुरक्षित प्रसव के साथ संस्थागत प्रसव के हैं कई अन्य फायदे, उठायें लाभ

अररिया, रंजीत ठाकुर प्रसव के दौरान किसी तरह जटिलता व असावधानी के कारण गर्भवती महिला व गर्भस्थ शिशु दोनों की जान को जोखिम होता है. इसलिये संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देना स्वास्थ्य विभाग की प्राथमिकताओं में शुमार है। इसे लेकर विभिन्न स्तरों पर विभाग द्वारा जरूरी पहल की गयी है. जिले के विभिन्न अस्पतालों में सुरक्षित व सुविधाजनक प्रसव संबंधी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराया गया है। संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना बेहद प्रभावी साबित हो रहा है। वहीं संस्थागत प्रसव के बाद लाभुकों को सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के तहत निर्धारित प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है।

प्रसव पूर्व जांच से जटिलताओं का प्रबंधन होता है आसान

सिविल सर्जन डॉ केके कश्यप ने बताया कि संस्थागत व सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा देने के लिये स्वास्थ्य विभाग गर्भधारण के प्रथम तिमाही में ही विभागीय स्तर से गर्भवती महिलाओं को चिह्नित करने पर विशेष जोर दिया जाता है। ताकि नियमित समयांतराल के बाद गर्भवती महिलाओं को संपूर्ण शारीरिक जांच सुनिश्चित कराया जा सके. पूरे प्रसव काल के दौरान कम से कम चार बार प्रसव पूर्व जांच को उन्होंने जरूरी बताया. उन्हें कहा कि इसके प्रति लोगों को जागरूक होने की जरूरत है. गर्भधारण के तत्काल बाद इसकी सूचना संबंधित क्षेत्र की फ्रंट लाइन वर्कर्स यानी आशा व आंगनबाड़ी सेविका को उपल ब्ध कराना जरूरी है. ताकि समय पर जांच सुनिश्चित हो सके. इसके माध्मम से गर्भवती महिलाएं उचित आहार से लेकर, यूरिन, रक्तचाप, वजन, एचआईवी, बच्चे की स्थिति के बारे में सभी जरूरी जानकारी प्राप्त कर सकती हैं. जरूरी दवाएं व चिकित्सकीय परामर्श उन्हें नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है. जो प्रसव संबंधी जटिलता को कम करने के लिहाज से महत्वपूर्ण है. जो गृह प्रसव की स्थिति में संभव नहीं हो पाता है.

विशेषज्ञों की प्रसव सुरक्षित व सुविधाजनक


सदर अस्पताल के वरीय चिकित्सक व एनसीडीओ डॉ राजेंद्र कुमार ने कहा कि संस्थागत प्रसव में विशेषज्ञ चिकित्सक व प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों की देखरेख में प्रसव संबंधी जटिलताओं का आसान समाधान संभव होता है. प्रसव के दौरान जरूरी जांच, खून की उपलब्धता, जरूरत पड़ने पर बीमार बच्चों का तत्काल इलाज सहित अन्य सुविधा आसानी से उपलब्ध हो पाता है. आधुनिक यंत्र व तकनीक की मदद से किसी तरह की जटिलता का पता समय पर लगाने में मदद मिलती है. इतना ही नहीं संस्थागत प्रसव के बाद विशेषज्ञ स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा नवजात को पहले छह माह तक केवल स्तनमान, स्तनपान की सही विधि, माताओं के लिये आहार संबंधी जरूरतें, बच्चों को गर्म रखने व साफ-सफाई का ध्यान रखने संबंधी जरूरी सलाह दी जाती है. जो जच्चा बच्च की सुरक्षा के लिहाज से जरूरी है.

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संस्थागत प्रसव से मिलती है कई तरह की सुविधाए


जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम संतोष कुमार ने बताया कि प्रसव के लिये गर्भवती महिला को अस्पताल लाने व प्रसव उपरांत उन्हें वापस घर पहुंचाने के लिये नि:शुल्क एंबुलेंस सेवा प्रदान किया जाता है. सरकारी अस्पताल में प्रसव के उपरांत जननी सुरक्षा योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र के लाभुकों को 1400 रुपये व शहरी इलाके के लाभुकों को 1000 रुपये प्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाता है. प्रसव के तुरंत बाद परिवार नियोजन के स्थायी साधन अपनाने पर लाभुक को 2000 रुपये व प्रसव के सात दिन बाद नियोजन कराने पर 3000 रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में भुगतान का प्रावधान है. इतना ही नहीं नवजात को जन्म के तत्काल बाद टीका का पूरा डोज भी उपलब्ध हो पाता है. जन्म पंजीकरण भी आसानी से हो पाता है.

संस्थागत प्रसव के फायदे


मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने व जच्चा बच्चा के स्वस्थ व सेहतमंद जींदगी के लिये जरूरी
मां से बच्चों में होने वाले गंभीर संक्रामक रोगों के प्रसार को नियंत्रित करना होता है आसान
संस्थागत प्रसव के तुरंत बाद नवजात को लगाया जाता है सभी जरूरी टीके
जन्म पंजीकरण के लिये बाद में होने वाली परेशानियों से होता है बचाव
विशेषज्ञों की देखरेख में होता है प्रसव, संभव होता है किसी तरह की जटिलताओं से बचाव
अस्पताल आने व प्रसव के उपरांत घर वापसी के लिये उपलब्ध कराया जाता है नि:शुल्क एंबुलेंस सेवा
संस्थागत प्रसव के बाद लाभुक को निर्धारित प्रोत्साहन राशि के भुगतान का है इंतजाम

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