बिहार

नवनियुक्त चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों को दिया गया कालाजार संबंधी जरूरी प्रशिक्षण

अररिया(रंजीत ठाकुर): जिले में नवनियुक्त चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मियों को कालाजार रोग संबंधी समुचित जानकारी उपलब्ध कराते हुए उन्हें उपचार के लिये उपलब्ध साधनों से परिचित कराने के उद्देश्य से एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन शनिवार को सदर अस्पताल सभागार में किया गया। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यालय व डब्ल्यूएचओ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह, डीवीबीडीसीओ डॉ अजय कुमार सिंह, डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय समन्वयक डॉ दिलीप कुमार, वीवीडी कंस्लटेंट सुरेंद्र बाबु, डीपीओ केयर प्रियांका लांबा, सदर अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक डॉ राजेंद्र कुमार ने सामूहिक रूप से किया।

कालाजार उन्मूलन की दिशा में हुआ है सार्थक प्रयास :

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने कहा कि राज्य का उत्तर-पूर्वी इलाका कालाजार से ज्यादा प्रभावित इलाकों की सूची में शामिल है। बीते सालों में कालाजार उन्मूलन की दिशा में जिले में सार्थक प्रयास किये गये हैं। इसे निरंतर जारी रखने की जरूरत है। ताकि जिले में कालाजार के मामलों को पूर्णत: खत्म किया जा सके।

वर्तमान दौर में कालाजार का हर एक मामला महत्वपूर्ण :

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ अजय कुमार सिंह ने कहा कि कालाजार उन्मूलन के लिहाज से जिला निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है। जहां विशेष सतर्कता रखने की जरूरत है। लक्षण वाले मरीजों की जांच कब करायी जाये- जांच में कालाजार का मामला सत्यापित होने पर रोगी के इलाज में दवा के डोज का निर्धारण सहित अन्य बिंदुओं पर चिकित्सक व संबंधित कर्मियों को जरूरी जानकारी देना प्रशिक्षण का उद्देश्य है। इससे कालाजार उन्मूलन की दिशा में किये जा रहे प्रयासों को मजबूती मिलेगी। उन्होंने पुराने चिकित्सकों के रिओरियेंटेशन व नवनियुक्त कर्मियों को इस संबंध में समुचित जानकारी उपलब्ध कराने के लिये प्रशिक्षण को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने आगे भी इस तरह के प्रयास को जारी रखने की बात प्रशिक्षिण कार्यक्रम के दौरान कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में कालाजार का हर एक मामला महत्वपूर्ण हो चुका है। इसलिये बिना किसी लापरवाही हर एक मरीज का समुचित इलाज जरूरी हो चुका है।

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रोग की जांच व इलाज का है समुचित इंतजाम :

कार्यक्रम के मुख्य प्रशिक्षक डब्ल्यूएचओ के जोनल कॉर्डिनेटर डॉ दिलीप कुमार ने कालाजार के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि कालाजार लिश्मानिया डोनोवानी नामक परजीवी के कारण होता है। जो मादा बालू मक्खी के काटने से फैलता है। दो या दो से अधिक सप्ताह तक बुखार का होना, भूख न लगना, वजन कम होना, पैर, पेट, चेहरे व हाथ की त्वचा का रंग हल्का होना, खून की कमी, स्पिलीन का बढ़ना रोग के कुछ सामान्य लक्षण हैं। रोग की जांच के लिये आरके-39 किट का प्रयोग किया जाता है। कालाजार के वीएल पेशेंट को एंबीजोन दवा के सिंगिल डोज से ही ठीक किया जा सकता है। वहीं पीकेडीएल के मरीजों को मिल्टोफोसिन दवा के निर्धारित डोज से ठीक किया जा सकता है।

जागरूकता व सावधानी से रोग से बचाव संभव :

रोग से बचाव संबंधी उपायों की जानकारी देते हुए डीवीबीडीसीओ डॉ अजय कुमार सिंह ने कहा कि कालाजार संक्रमित मादा बालू मक्खी के काटने से फैलता है। जो घर के अंदर नमी व अंधेरे स्थान वाले स्थान पर रहता है। मच्छरों को पनपने से रोकना, शरीर को पूरी तरह से ढक कर रखना, कीटनाशक का प्रयोग, मच्छरदानी का इस्तेमाल, घर के बाहर, जमीन पर व गौशाला व पालतू जानवर के लिये बने घरों में सोने से परहेज करते हुए घरों में सिंथेटिक पाइराथ्राइड के छिड़काव रोग से बचाव के लिये जरूरी है। कार्यक्रम में डॉ प्रसांतो साह, डॉ मनोज कुमार, डॉ गौहर ताज बेगम, डॉ अलका कुमारी, डॉ स्वेताभ सुमन, डॉ रोहित कुमार, अस्पताल प्रबंधक विकास आनंद, पीसीआई के डीसी गौरव कुमार सहित अन्य मौजूद थे।

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