बिहार

डीएम द्वारा लोक शिकायत के 18 मामलों की सुनवाई की गई

पटना, (न्यूज़ क्राइम 24) जिलाधिकारी, पटना डॉ. चन्द्रशेखर सिंह द्वारा आज अपने कार्यालय-कक्ष में बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 के तहत द्वितीय अपील में शिकायतों की सुनवाई की गयी और उसका निवारण किया गया। लोक शिकायत के दो मामलों में निवारण में लापरवाही बरतने के आरोप में दो लोक प्राधिकारों के विरूद्ध कार्रवाई की गई।

डीएम डॉ. सिंह द्वारा आज लोक शिकायत के कुल 18 मामलों की सुनवाई की गई तथा समस्याओं का समाधान किया गया। लोक शिकायत के निष्पादन में शिथिलता बरतने के कारण प्रखंड विकास पदाधिकारी, मसौढ़ी के विरूद्ध ₹1,000 का अर्थदंड लगाया गया। साथ ही, जिला पंचायत राज पदाधिकारी, पटना से स्पष्टीकरण किया गया।

दरअसल अपीलार्थी श्री राजकुमार गिरी, ग्राम/शहर-दुधिचक, प्रखंड-मसौढ़ी, अनुमंडल-मसौढ़ी, जिला-पटना द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष लोक शिकायत निवारण हेतु द्वितीय अपील में वाद दायर किया गया है। अपीलार्थी की शिकायत लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत मसौढ़ी प्रखंड के चरमा पंचायत में स्वच्छता पर्यवेक्षक के चयन में पंचायत के स्थायी निवासी होने की अनिवार्यता एवं मार्ग-दर्शिका के अन्य प्रावधानों का उल्लंघन कर अनियमित तरीके से चयन करने के संबंध में है। जिलाधिकारी ने सुनवाई में पाया कि प्रखंड विकास पदाधिकारी, मसौढ़ी द्वारा इस मामले में कोई सार्थक कार्रवाई नहीं की गयी है। उनका प्रतिवेदन भी अस्पष्ट एवं असंतोषजनक है।

जिलाधिकारी ने कहा कि प्रखंड विकास पदाधिकारी, मसौढ़ी की यह कार्यशैली अत्यंत आपतिजनक है। परिवादी द्वारा अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, मसौढ़ी के समक्ष दिनांक 29.11.2024 को ही परिवाद दायर किया गया था। लगभग पाँच महीना की अवधि में भी परिवाद प्रखंड विकास पदाधिकारी, मसौढ़ी के स्तर पर ही लंबित है। जिलाधिकारी ने कहा कि यह अत्यंत खेदजनक है। लोक प्राधिकार का यह व्यवहार लोक शिकायत निवारण की मूल भावना के प्रतिकूल है। उनकी इस कार्यशैली से आवेदक की समस्या का समाधान नहीं हो सका है। उन्होंने कहा कि यह उनकी स्वेच्छाचारिता, शिथिलता तथा संवेदनहीनता को प्रदर्शित करता है।

लोक शिकायत के मामलों में असंवेदनशीलता प्रदर्शित करने, अस्पष्ट प्रतिवेदन देने तथा शिकायत निवारण में विलंब के कारण जिलाधिकारी द्वारा लोक प्राधिकार प्रखंड विकास पदाधिकारी, मसौढ़ी के विरूद्ध एक हजार रुपये का अर्थदंड लगाते हुए उनसे कारण-पृच्छा की गई। साथ ही उप विकास आयुक्त, पटना को सम्पूर्ण मामले की जाँच कर परिवादी की समस्या का विधिवत समाधान करने का निदेश दिया गया। दोनों अधिकारियों को सुनवाई की अगली तिथि से पूर्व परिवाद का नियमानुसार निवारण करते हुए कृत कार्रवाई प्रतिवेदन के साथ सुनवाई में उपस्थित रहने का निदेश दिया गया।

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एक अन्य मामले में अपीलार्थी श्री उपेन्द्र कुमार, ग्राम/शहर-धरहरा, थाना-पालीगंज, प्रखंड-पालीगंज, जिला-पटना द्वारा जिलाधिकारी के समक्ष लोक शिकायत निवारण हेतु द्वितीय अपील में वाद दायर किया गया है। अपीलार्थी की शिकायत अनुरक्षक के पद पर पाँच वर्षों से चयनित होने के बाद भी मानदेय की राशि का भुगतान नहीं किए जाने के संबंध में है। जिलाधिकारी ने सुनवाई में पाया कि लोक प्राधिकार जिला पंचायत राज पदाधिकारी, पटना द्वारा इस मामले में अपेक्षित कार्रवाई नहीं की गयी है। उनका प्रतिवेदन भी संतोषजनक नहीं है। ग्राम पंचायत के माध्यम से धरहरा में नल-जल का कार्य कराया गया था।

परिवादी को ग्राम पंचायत के माध्यम से अनुरक्षक के रूप में बहाल किया गया था। नगर पंचायत, पालीगंज के गठन के पश्चात श्री उपेन्द्र कुमार को नगर विकास एवं आवास विभाग के तहत प्रावधान नहीं होने के कारण अनुरक्षक के रूप में नहीं रखा गया तथा इनसे कोई सेवा नहीं ली जा रही है। जिलाधिकारी ने कहा कि प्रथम अपीलीय प्राधिकार द्वारा जिला पंचायत राज पदाधिकारी को परिवादी का ग्राम पंचायत में अनुरक्षक के पद पर सेवा प्रदान करने की अवधि का मानदेय भुगतान करने का आदेश दिया गया था परन्तु अपीलार्थी की शिकायत का समाधान नहीं किया गया है।

परिवादी द्वारा अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, पालीगंज के समक्ष दिनांक 30.09.2024 को ही परिवाद दायर किया गया था। लगभग सात महीना की अवधि में भी परिवाद जिला पंचायत राज पदाधिकारी के स्तर पर ही लंबित है। जिलाधिकारी ने कहा कि यह खेदजनक है। लोक प्राधिकार का यह व्यवहार लोक शिकायत निवारण की मूल भावना के प्रतिकूल है। लोक शिकायत के मामलों में असंवेदनशीलता प्रदर्शित करने तथा शिकायत निवारण में विलंब के कारण जिलाधिकारी द्वारा लोक प्राधिकार जिला पंचायत राज पदाधिकारी, पटना से कारण-पृच्छा की गई। साथ ही सुनवाई की अगली तिथि से पूर्व परिवाद का नियमानुसार निवारण करते हुए सुनवाई में कृत कार्रवाई प्रतिवेदन के साथ उपस्थित रहने का निदेश दिया गया।

डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि लोक शिकायतों का ससमय तथा गुणवत्तापूर्ण निवारण अत्यावश्यक है। लोक प्राधिकारों को तत्परता प्रदर्शित करनी होगी।

डीएम डॉ. सिंह ने कहा कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम, 2015 का सफल क्रियान्वयन प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। सभी पदाधिकारी इसके लिए सजग, संवेदनशील तथा सक्रिय रहें।

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